आखिर पाकिस्तान की ऐसी हालत के पीछे क्या कारण है?

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यह सवाल उठना लाजिमी है कि पाकिस्तान की ऐसी हालत के पीछे क्या कारण है! भारत और पाकिस्तान की आजादी को 78 साल हो गए हैं। पाकिस्तान बुधवार, 14 अगस्त को अपना 78वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। पाकिस्तान में कायदे आजम कहे जाने वाले मोहम्मद अली जिन्ना ने मुस्लिमों के लिए अलग देश के लिए संघर्ष किया था। पाकिस्तान के बनने के बाद मुस्लिम लीग के नेता जिन्ना ने नए देश के लिए देखे कई सपनों का जिक्र किया था। हालांकि करीब आठ दशक बाद आज पाकिस्तान आर्थिक मोर्चे पर विफल है तो विदेश नीति और घरेलू मामलों में भी वह फेल है। पाकिस्तान कैसे आगे बढ़ने की बजाय पिछड़ा और राजनेताओं का इसमें क्या रोल रहा है, इस पर देश बड़े अखबार डॉन ने अपना संपादकीय लिखा है। डॉन अपने संपादकीय में लिखता है कि पाकिस्तान ऐसे समय में स्वतंत्रता दिवस मना रहा है, जब देश आर्थिक स्थिरता, राजनीतिक ध्रुवीकरण और उग्रवाद से जूझ रहा है। ये संकट कोई नए नहीं हैं। आजादी के बाद से ही देश एक संकट से दूसरे संकट की ओर बढ़ता रहा है लेकिन वर्तमान परिस्थितियों में देश पर निराशा का पहाड़ छाया हुआ है। खासतौर से युवा एक सम्मानजनक जीवन जीने की उम्मीद खो रहे हैं।

लेख कहता है कि सत्तारूढ़ वर्ग की ओर से निराशा को दूर करने के लिए बहुत कम प्रयास हुए। यही वजह है कि 24 करोड़ लोगों को कोई उम्मीद नहीं दिख रहा है। सरकारों की ओर से कहा जाता है कि अर्थव्यवस्था सुधार पर है लेकिन आबादी का बड़ा हिस्सा महंगाई की मार झेल रहा है और लोग गरीबी के मुंह में जा रहे हैं। राजनीतिक मोर्चे पर ऐसा लगता है कि कोई भी सौहार्द्र हासिल करने के लिए काम नहीं करना चाहता है। अतिवादी ताकतें लगातार जिन्ना के इस देश को निगल रही हैं।

पाकिस्तान बीते दशकों में लगातार जिन्ना के नजरिए ले दूर होता जा रहा है। अगर अल्लाह जिन्ना को आज के पाकिस्तान को देखने की अनुमति दे तो वह इस मुल्क को पहचान भी नहीं पाएंगे। देश को कैसे चलाया जाना चाहिए, इसके लिए जिन्ना ने एक खाका छोड़ा लेकिन उनके बाद जो भी सत्ता में आया, उसने इस बात के लिए अपनी पूरी ताकत लगा दी कि उनके किसी भी निर्देश को लागू नहीं किया जाए। उदाहरण के लिए जिन्ना ने लोकतंत्र, संवैधानिकता, अल्पसंख्यकों की रक्षा, भ्रष्टाचार को खत्म करने के बारे में बात की थी। हर एक सरकार ने इसके उलट ही काम किया है।

पाकिस्तान में बनी सरकारों ने वोट के सम्मान को पैरों तले कुचल दिया गया है। किसी ने ये समझा ही नही ‘सच्ची’ आजादी केवल तभी हासिल की जा सकती है जब पाकिस्तान के बच्चों को बेहतर कल का आश्वासन दिया जाए। देश के लोग दमघोंटू अस्तित्व से मुक्त हों और अपनी पूरी क्षमता हासिल कर सकें। इसी बीच पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के बारे में इस्लामाबाद स्थित थिंक टैंक तबदलैब ने कहा है कि देश की माली हालत नाजुक दौर में है। थिंक टैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान की ऋण प्रोफाइल बेहद चिंताजनक है। देश की उधार लेने और खर्च करने की आदतें अस्थिर होना इस चिंता को और बढ़ाता है। 68 पेज की ये रिपोर्ट रविवार को जारी की गई। इसमें कहा गया है कि देश का कुल ऋण और देनदारियां, घरेलू और विदेशी ऋण सहित 77.66 ट्रिलियन रुपए 271.2 बिलियन डॉलर हैं।

रिपोर्ट इस बात पर भी चिंता जाहिर करती है कि देश का प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 2011 के 1,295 डॉलर से घटकर 2023 में 1,223 डॉलर हो गया है। इसमें छह प्रतिशत की कमी आई है। इसका मतलब यह है कि देश का कर्ज उसकी आय की तुलना में बहुत तेज रफ्तार से बढ़ रहा है। इससे और ज्यादा उधार लेने की जरूरत पड़ रही है। 2011 के बाद से पाकिस्तान का विदेशी ऋण करीब दोगुना हो गया है, जबकि घरेलू ऋण छह गुना बढ़ गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे देश की ऋण प्रोफाइल पर खतरे की घंटी बज गई है। देश की सरकारों के उधार लेने और खर्च करने की आदतों को भी रिपोर्ट में अस्थिर कहा गया है। देश व्यापक आर्थिक अस्थिरता के प्रति संवेदनशील हो गया है और बाहरी कार्यक्रमों पर बहुत अधिक निर्भर हो गया है, जिससे ऋण चक्र बढ़ गया है। रिपोर्ट में बढ़ते संकट को कम करने के जो तरीके बताए गए हैं। उनमें- कारोबारी माहौल को जोखिम से मुक्त करना, राजकोषीय अनुशासन और प्रभावी व्यय प्रबंधन को लागू करना, महत्वपूर्ण परियोजनाओं के लिए पूंजी लाने के लिए विशेष फंड, साझेदारी के निर्माण के माध्यम से विदेशी मुद्रा प्रवाह में वृद्धि, प्रत्यक्ष कर जाल का विस्तार और निर्यात-उन्मुख औद्योगिक नीति की स्थापना शामिल है।