आज हम आपको 72 वर्षीय अम्मा की दुखी की कहानी बताने जा रहे है! सड़क किनारे ठेला लगाकर बच्चों की कैप, बैग और क्लिप बेचने वाली 72 साल की सुकुमारीअम्मा का हमेशा से सपना था कि उनका अपना एक घर हो। कमाई इतनी नहीं थी कि वो उससे अपना ये सपना पूरा कर सकें, इसलिए अक्सर सुकुमारीअम्मा लॉटरी खरीदकर अपना भाग्य आजमाया करती थीं। 15 मई 2024 को सुकुमारीअम्मा की किस्मत चमक गई। उन्होंने एक दिन पहले जो लॉटरी का टिकट खरीदा था, उसपर उन्हें पूरे एक करोड़ का इनाम लगा। हालांकि, ये रकम उनके हाथों तक पहुंच पाती, इससे पहले ही उनके साथ एक बड़ा धोखा हो गया। दरअसल, सुकुमारीअम्मा ने 14 मई को टिकट वेंडर कन्नन से एक ही सीरीज के 12 टिकट खरीदे थे। इन टिकटों के लिए उन्होंने उसे 1200 रुपए दिए। कन्नन को जब पता चला कि सुकुमारीअम्मा को 1 करोड़ का पहला इनाम लगा है तो उसके मन में लालच आ गया। उसने सुकुमारीअम्मा से कहा कि उनके सारे टिकटों पर 100-100 रुपए का इनाम मिला है। इसमें काफी समय लग सकता था। ऐसे में कन्नन से समझौता करने के लिए सुकुमारीअम्मा ने एक दूसरी याचिका दाखिल की। ये वो याचिका थी, जिसके तहत समझौते लायक अपराधों के लिए कोर्ट की स्वीकृति से मामलों का निपटारा किया जाता है।सुकुमारीअम्मा की उम्मीदें टूट गईं और उन्होंने कन्नन को अपने टिकट दे दिए। कन्नन ने कहा कि वो कल आकर इनाम के रुपए दे देगा। इसके बाद कन्नन अपने घर पहुंचा और ये कहते हुए मिठाई बांटने लगा कि उसे 1 करोड़ की लॉटरी लगी है।
कन्नन के घर के पास एक दूसरा टिकट वेंडर रहता था, जो जानता था कि जिस टिकट पर जैकपॉट लगा है, वो सुकुमारीअम्मा ने खरीदा था। वो तुरंत उनके पास पहुंचा और कन्नन के धोखे की पूरी कहानी बताई।इससे वो टिकट का मालिक बन गया था। इसीलिए, हमने समझौते के बारे में सोचा, क्योंकि अगर मामला लंबा खिंचता तो लॉटरी ऑफिस में टिकट जमा करने की 30 दिन की समय-सीमा खत्म हो जाती। सुकुमारीअम्मा कन्नन पर काफी भरोसा करती थीं, उन्हें उम्मीद नहीं थी कि वो उनके साथ ऐसी धोखाधड़ी करेगी। उन्होंने कन्नन के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई और अगले ही दिन पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। अब यहां समस्या ये थी कि कन्नन उस टिकट के पीछे अपना नाम लिखकर बैंक में जमा कर चुका था।
सुकुमारीअम्मा के सामने अब दोहरा संकट था। नियम के मुताबिक, उन्हें 30 दिनों के भीतर टिकट को लॉटरी ऑफिस में जमा करना था और कन्नन के खिलाफ कोर्ट की कार्यवाही 30 दिनों में पूरी होना संभव नहीं था। हालांकि उन्होंने हार नहीं मानी और कानूनी लड़ाई लड़नी शुरू कर दी। शुरुआत में सुकुमारीअम्मा के वकील ने टिकट हासिल करने के लिए धारा 451 के तहत याचिका दायर की थी। लेकिन, इसमें काफी समय लग सकता था। ऐसे में कन्नन से समझौता करने के लिए सुकुमारीअम्मा ने एक दूसरी याचिका दाखिल की। ये वो याचिका थी, जिसके तहत समझौते लायक अपराधों के लिए कोर्ट की स्वीकृति से मामलों का निपटारा किया जाता है।
सुकुमारीअम्मा की शिकायत के आधार पर पुलिस ने कन्नन के खिलाफ धोखाधड़ी और आपराधिक विश्वासघात के आरोप के तहत मामला दर्ज किया था। कोर्ट में समझौते के तहत सुकुमारीअम्मा ने कन्नन के खिलाफ दर्ज मामला वापस लेने पर अपनी सहमति दे दी। इसके बाद सुकुमारीअम्मा को उनका टिकट वापस मिल गया औ उन्होंने 30 दिन के भीतर इसे लॉटरी ऑफिस में जमा करा दिया। कन्नन को जब पता चला कि सुकुमारीअम्मा को 1 करोड़ का पहला इनाम लगा है तो उसके मन में लालच आ गया। उसने सुकुमारीअम्मा से कहा कि उनके सारे टिकटों पर 100-100 रुपए का इनाम मिला है। सुकुमारीअम्मा की उम्मीदें टूट गईं और उन्होंने कन्नन को अपने टिकट दे दिए।लॉटरी दफ्तर की तरफ से कमीशन और टैक्स काटने के बाद अब सुकुमारीअम्मा को 63 लाख रुपए मिलेंगे। कन्नन के घर के पास एक दूसरा टिकट वेंडर रहता था, जो जानता था कि जिस टिकट पर जैकपॉट लगा है, वो सुकुमारीअम्मा ने खरीदा था। वो तुरंत उनके पास पहुंचा और कन्नन के धोखे की पूरी कहानी बताई। सुकुमारीअम्मा कन्नन पर काफी भरोसा करती थीं, उन्हें उम्मीद नहीं थी कि वो उनके साथ ऐसी धोखाधड़ी करेगी।सुकुमारीअम्मा के वकील ने बताया कि कन्नन ने अपने हस्ताक्षर के साथ टिकट को बैंक में जमा किया था। इससे वो टिकट का मालिक बन गया था। इसीलिए, हमने समझौते के बारे में सोचा, क्योंकि अगर मामला लंबा खिंचता तो लॉटरी ऑफिस में टिकट जमा करने की 30 दिन की समय-सीमा खत्म हो जाती।