आज हम आपको ईरान के राजाओं की एक हज़ार एक रात की कहानी सुनाने जा रहे हैं! अरब समेत कई मुस्लिम देशों में आज भी बूढ़े-बुजुर्ग दादा-दादी या नाना-नानी नई पीढ़ी को एक कहानी अक्सर सुनाया करते हैं, जो अरब दुनिया में ‘अलिफ लैला वा लैला’ के नाम से मशहूर है। इस्लाम के आगमन के बाद से रोमन सम्राटों के साथ हुए 8 धर्मयुद्धों के दौरान अरब के गांवों में ऐसे चमत्कारिक लोक किस्सों का जन्म हुआ, जिसने तलवारों के बल पर इस्लाम कबूल कर रहे लोगों के दिलों में कहीं गहराई तक पैबस्त कर दिया। इन्हीं कहानियों को ‘एक हजार एक रात’ कहा गया। आज धर्मयुद्धों से जन्मी इन्हीं दिलचस्प किस्सों के बारे में जानते हैं। धर्मयुद्ध शब्द इन दिनों महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव, 2024 में प्रचार-प्रसार के दौरान गूंज रहा है। अलिफ लैला वा लैला यानी वन थाउजेंड एंड वन नाइट्स इस्लाम के स्वर्णिम काल के दौरान अरबी भाषा में संकलित मध्य पूर्वी लोककथाओं का एक संग्रह है। इसका पहला अंग्रेजी भाषा का संस्करण 1706-1721 के बीच आया, जिसे आमतौर पर लोग अरेबियन नाइट्स कहते थे। ये कहानियां पश्चिम एशिया, मध्य एशिया, दक्षिण एशिया और उत्तरी अफ्रीका के कई विद्वानों और लेखकों ने जुटाई थीं। कुछ कहानियां तो प्राचीन और मध्यकालीन अरबी, संस्कृत, फारसी और मेसोपोटामिया साहित्य से जुड़ी हैं।
अरेबियन नाइट्स की सभी कहानियों को सुल्तान शहरयार को उसकी बेगम शेहरजादी सुनाती थी। हरम में सुल्तान को हर रात में एक कहानी सुनाती थी। ये कहानियां ऐसी रची गई थीं कि ये किस्तों में चलती रहती थीं। ये कविताएं, गीत और गद्य तीनों रूपों में हैं। सबसे मशहूर कहानियां हैं-अलादीन एंड द वंडरफुल लैंप और अली बाबा एंड द फोर्टी थीव्स। हालांकि, अलादीन का चिराग और अलीबाबा की कहानियां ‘एक हजार एक रात’ का हिस्सा नहीं थीं। फ्रांसीसी ट्रांसलेटर एंटोनी गैलैंड ने सीरियाई लेखिका हन्ना दियाब की पेरिस यात्रा के दौरान इन दोनों कहानियों के बारे में सुना था। इसी तरह द सेवेन बॉयेज ऑफ सिंदबाद द सेलर की कहानी भी बाद में जोड़ी गई थी।
एक हजार एक रात की अधिकांश कहानिया मूल रूप से अब्बासी खलीफाओं और मामलुक युग की लोक कहानियां थीं। वन थाउजेंड एंड वन नाइट्स प्राचीन ईरान में शायद पहलवी फारसी भाषा में लिखी गई ‘हेजर अफसान’से ली गई हैं, जो बदले में पुराने भारतीय ग्रंथों का अनुवाद हो सकता है। धर्मयुद्धों से काफी पहले रोमन सम्राट शारलेमेन और बगदाद के खलीफा अल रशीद एक ही समय में महान बादशाह हुआ करते थे। प्रथम धर्मयुद्ध के दौरान शारलेमेन को पहले धर्मयुद्धकर्ता के रूप में दिखाया गया है।दोनों राजाओं को मरणोपरांत भी बहुत सम्मान मिला। दोनों व्यक्ति अपनी मृत्यु के बाद भी लोककथाओं और लोकप्रिय कहानियों के वीर नायक के रूप में जीवित रहे। अल रशीद का एक काल्पनिक संस्करण ‘एक हजार और एक रात’ में भी मिलता है।
अरेबियन नाइट्स की इन लोकप्रिय कहानियों में खलीफा अपने लोगों की बहुत परवाह करता है। वह उनके हालात जानने के लिए रात में गुप्त रूप से उनके बीच घूमता है। बाद में अकबर समेत हिंदुस्तान के मुगल बादशाहों में भी यही परंपरा देखने को मिली। आधुनिक दुनिया में इराक के तानाशाह सद्दाम हुसैन, ईरान के पहलवी राजवंशों के सुल्तानों और सीरियाई तानाशाह बशर अल असद में भी ऐसी प्रवृत्ति देखी गई। सद्दाम ने अपने राष्ट्रपति पद के शुरुआती वर्षों में अब्बासी खलीफा के ‘एक हजार और एक रात’ वाले व्यक्तित्व को भी अपनाया। उन्हें टेलीविजन पर पारंपरिक केफियेह स्कार्फ या टोपी पहने हुए कारखानों, स्कूलों, मस्जिदों, खेतों और घरों का दौरा करते हुए दिखाया गया था।
अल रशीद के दरबारी कवि अबू नुवास की कविताओं में ‘एक हजार और एक रात’ को दर्शाया गया है। उस वक्त शारलेमेन के पादरी समलैंगिकता की निंदा करने और उसे पशुता के बराबर मानने के साथ-साथ समलैंगिकों का उत्पीड़न करने में बिजी थे। उस वक्त अबू नुवास काल्पनिक कहानियों को जीवंत बनाने में लगे हुए थे। अबू नुवास खलीफा अल-रशीद की अक्सर आलोचना करते रहते थे। ऐसे में उन्हें बगदाद छोड़कर मिस्र भागना पड़ा। मध्य एशिया, दक्षिण एशिया और उत्तरी अफ्रीका के कई विद्वानों और लेखकों ने जुटाई थीं। कुछ कहानियां तो प्राचीन और मध्यकालीन अरबी, संस्कृत, फारसी और मेसोपोटामिया साहित्य से जुड़ी हैं।हालांकि, बाद में अल रशीद की तरह शारलेमेन कई मध्ययुगीन कथाओं और किंवदंतियों का सितारा बन गया, जिसमें वीरता के साथ-साथ हास्य का भी भरपूर मिश्रण था। प्रथम धर्मयुद्ध के दौरान शारलेमेन को पहले धर्मयुद्धकर्ता के रूप में दिखाया गया है।