Saturday, December 21, 2024
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आखिर क्या है यूनिफाइड पेंशन स्कीम?

आज हम आपको यूनिफाइड पेंशन स्कीम के बारे में जानकारी देने वाले हैं !केंद्रीय कर्मचारियों के बीच पुराने पेंशन को लागू करने की बढ़ती मांग के बीच केंद्र सरकार ने अहम निर्णय लिया है। केंद्रीय कर्मचारियों के लिए नई पेंशन स्कीम लागू करने की घोषणा सरकार ने की है। पेंशन स्कीम को लेकर सियासी घमासान चलता रहा है। ओपीएस को लेकर कांग्रेस लगातार सरकार को घेरती रही है। ऐसे में पीएम नरेंद्र मोदी नीत केंद्र सरकार ने शनिवार को एक बड़ा फैसला लेते हुए देश में पेंशन योजना का नया प्रारूप पेश किया, जिसे एकीकृत पेंशन योजना अथवा यूनिफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) नाम दिया गया है। यह योजना देशभर में 1 अप्रैल 2025 से लागू होगी। कैबिनेट फैसले की जानकारी देते हुए केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि कर्मचारियों की ओर से ये मांग की गई थी कि उन्हें सुनिश्चित पेंशन दी जाए। सरकार ने इस मांग पर रिसर्च की और 50 फीसदी सुनिश्चित पेंशन योजना को लेकर आई। सरकार की ओर से कहा गया कि इस योजना से लगभग 23 लाख कर्मचारियों को लाभ मिलेगा। यह पेंशन का एक और विकल्प रहेगी। देश में मौजूद नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस) फिलहाल जारी रहेगी। कर्मचारियों को पुरानी और नई योजना में से किसी एक को चुनने का विकल्प रहेगा। एनपीएस और यूपीएस दोनों में एक चुनने का विकल्प होगा। जो पहले से एनपीएस चुन चुके हैं उन्हें भी इसका फायदा मिलेगा। रोचक है कि इस योजना का लागू करने से पहले पीएम मोदी ने दिन में केंद्रीय कर्मचारियों से जुड़े संगठनों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की थी।

बता दे 25 साल या उससे ज्यादा समय तक नौकरी करने वालों को पूरा लाभ मिलेगा।

पेंशन तय करने के लिए रिटायरमेंट के वक्त पिछले 12 महीनों में ली गई सेलरी के बेसिक हिस्से का औसत निकालकर पेशन तय होगी। मौटे तौर पर यह बेसिक का 50 फीसदी पेंशन के तौर पर मिलेगा। नौकरी में रहते हुए अगर कर्मचारी का निधन होता है तो उसके परिवार या साथी को फैमिली पेंशन का 60 मिलेगा। फिलहाल यह 50 फीसदी है। फैमिली पेंशन आधी मिलती है। पेंशन पाने के लिए कम से कम दस साल की सेवा अनिवार्य रहेगी। न्यूनतम 10 साल की नौकरी के बाद रिटायर होने पर 10,000 रुपये प्रति माह सुनिश्चित न्यूनतम पेंशन। कर्मचारियों को एनपीएस और यूपीएस दोनों में एक चुनने का विकल्प होगा। जो पहले से एनपीएस चुन चुके हैं, उन्हें भी इसका लाभ मिलेगा। माना जा रहा है कि एनपीएस वालों को यूपीएस में जाने से फायदा होगा। केंद्र की योजना के आधार पर राज्य सरकार भी इसी मॉडल को लागू कर सकेंगी। इसके लिए कर्मचारियों को अलग से अंशदान नहीं करना होगा। इसका हिस्सा केंद्र सरकार उठाएगी,जो लगभग 18 फीसदी रहेगा। जबकि कर्मचारी का योगदान एनपीएस की ही तरह इसमें भी दस फीसदी रहेगा।योजना में महंगाई इंडेक्सेशन का लाभ मिलेगा रिटायरमेंट पर ग्रेच्युटी के साथ-साथ हर छह महीने की सेवा के बदले मासिक वेतन वेतन+डीए का दसवां हिस्सा जुड़ कर मिलेगा। यह रकम तयशुदा पेंशन से कम नहीं होगी।

पीएम मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने यूपीएस लाकर लंबे समय से विपक्ष की ओर से की जा रही ओपीएस की मांग को खारिज करने की कोशिश की है। केंद्र सरकार यह योजना ऐसे समय में लाई है कि जब देश के दो राज्यों हरियाणा और जम्मू कश्मीर में चुनावों का ऐलान हो चुका है। जल्द ही महाराष्ट्र और झारखंड में भी चुनाव होने हैं। माना जा रहा है कि यूपीएस लाकर केंद्र सरकार ने नाराज मिडल क्लास को एक राहत देने की कोशिश की है। जिसका फायदा वह इन चुनावों में देख रही है। अभी चार राज्यों के विधानसभा से पहले केंद्र सरकार का यह फैसला इसी दिशा में कोर्स करेक्शन माना जा रहा है। हालांकि केंद्र सरकार ने कहा कि इस योजना को लागू करने के लिए चुनाव आयोग की अनुमति की जरूरत नहीं है। उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ सालों से पुराने पेंशन स्कीम को लेकर तेज राजनीति हो रही थी। कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर बीजेपी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार को घेरा था। राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने राज्य कर्मचारियों के लिए पुराने पेंशन को लागू भी किया था। इसका असर देखा गया था कि बीजेपी सरकार को सरकारी कर्मचारियों की नाराजगी का सामना करना पड़ा था।

इस योजना को लागू करने से पहले सरकार ने कई तरह की कवायद की। इनकें बारे में वैष्णव ने कहा कि हमने जहा एक ओर केंद्र सरकार के जॉइंट कंसल्टेटिव मैकेनिज्म के साथ कई बार मीटिंग की तो वहीं इस पर गौर किया कि दुनिया के कई देशों में यह योजना किस तरह की लागू है। इस पर खासा विचार विमर्श हुआ। वहीं भारत की इकोनमी और केंद्र सरकार के बजट को समझने के लिए आरबीआई के साथ मीटिंग की गईं। इसके बाद यूनिफाइड पेंशन स्कीम को लागू किया गया।

इस बारे में जॉइंट कंसलटेटिव मशीनरी के स्टाफ साइड के सेक्रेटरी शिव गोपाल मिश्रा का कहना था कि शायद भारत के इतिहास में यह पहला मौका होगा कि जब किसी प्रधानमंत्री ने सरकारी कर्मचारियों से सलाह मशविरा किया। हमारी मुलाकात बेहद सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई। मिश्रा ने उम्मीद जताई कि इससे एनपीएस में आने वाले कर्मचारियों को खास फायदा होगा, जिन्हें 2004 के बार बाजार के उतार-चढ़ाव पर छोड़ दिया गया था। एनपीएस के कर्मचारियों को भी अब सुनिश्चित पेंशन मिल सकेगी।

 

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