आखिर क्या है वंदे मेट्रो ट्रेन?

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आज हम आपको वंदे मेट्रो ट्रेन के बारे में जानकारी देने वाले हैं! भारतीय रेल की नई सौगात वंदे मेट्रो का पहला रैक रेल मंत्रालय के चेन्नई स्थित सवारी डिब्बा कारखाना या आईसीएफ में बन कर तैयार है। अब इसकी लोड टेस्टिंग, स्पीड टेस्ट और आक्सीलरेशन या कंपन्न टेस्ट होगा। इसके लिए इस रैक को चेन्नई से राजस्थान के कोटा डिवीजन में भेजा जा रहा है। यह ट्रेन मेट्रो शहरों में चलने वाली मेट्रो सर्विस ट्रेन की तरह ही है। यह ट्रेन पूरी तरह से एयर कंडीशंड है। इसे एक शहर को दूसरे शहर से जोड़ने के लिए सुपरफास्ट इंटरसिटी ट्रेन के रूप में बनाया जा रहा है। इसकी गति 100 से 150 किमी तक होगी। वंदे मेट्रो की सेवा उन लोगों के बहुत काम आएगी, जो नजदीक के बड़े शहरों में नौकरियां करने रोजाना आते-जाते हैं।

वंदे मेट्रो को डेवलप कर रहे रेलवे के अधिकारियों ने उम्मीद जाहिर की है कि यह ट्रेन लोगों के सफर को आरामदायक और सुकून भरा बना देगी। यह ट्रेन आधुनिक फीचर्स से लैस है और पहले से चल रहे रैक के मुकाबले तेज रफ्तार से दौड़ सकेगी। पूरी की पूरी ट्रेन एयर कंडीशंड है तो इसमें सफर करने से पैसेंजर्स को थकान का अनुभव भी नहीं होगा। अभी तक आपने भारतीय रेल की इंटरसिटी ट्रेन या लोकल ट्रेन में आपने ऑटोमेटिक डोर नहीं देखा होगा। लेकिन इस ट्रेन में ऑटोमेटिक डोर लगे हैं। ये दरवाजे उसी तरह के हैं, जैसे वंदे भारत एक्सप्रेस में हैं। इसलिए इसमें आगे इंजन लगा कर इसे खींचा जाएगा। ट्रेन के आगे इंजन लगाने के लिए ही अभी इसमें नाक नहीं लगाई गई है। जब ट्रेन का ट्रॉयल पूरा हो जाएगा तो फिर इसमें नाम जोड़ दिया जाएगा।इसकी खासियत यह है कि ट्रेन के चलने के बाद कोई पैसेंजर दरवाजे या पायदान पर खड़े नहीं हो सकेंगे।इस समय किस स्टेशन से ट्रेन चली है आदि। इस ट्रेन के हर डिब्बे में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। मतलब कि यदि डिब्बे या ट्रेन में कोई अप्रिय घटना हो तो उसकी अपने आप रिकार्डिंग हो जाएगी। इसके साथ ही डिब्बे में इमरजेंसी टॉक बैक यूनिट, आधुनिक शौचालय और कुछ अन्य सुविधाएं भी जोड़ी गई हैं। इस ट्रेन में पैनोरामिक विंडो और मॉडर्न टॉयलेट लगाए गए हैं। इससे पैंसेजर्स को सफर के दौरान बेहतर अनुभूति तो होगी ही, यदि उन्हें रास्तें टॉयलेट का उपयोग करना पड़े तो वहां भी सुखद अनुभूति हो। रेलवे के सूत्रों का कहना है टॉयलेट में इंटरनेशनल स्टेंडर्ड के सामानों का उपयोग किया गया है। मतलब कि यात्रियों को कहीं से भी विदेशी ट्रेन से कम नहीं लगेगा।

पहली वंदे मेट्रो में 12 कोच बनाए गए हैं। इसमें दोनों तरफ इंजन कोच समेत छह मोटर कोच हैं और छह ट्रेलर कोच। एक तरह से इसे एसी मेमू कह सकते हैं। हालांकि इसमें सुविधाएं वंदे भारत एक्सप्रेस जैसी होंगी। रेलवे के अधिकारियों का कहना है कि इस कोच में 100 लोग बैठकर और 200 खड़े होकर सफर कर सकेंगे। इसकी अधिकतम रफ्तार 160 किलोमीटर प्रति घंटे की है। मतलब कि यदि खाली पटरी मिले तो यह ट्रेन आपको हवा से बातें कराएगी। इस ट्रेन के एसी कंपार्टमेंट एक-दूसरे से जुड़ें हैं।

वंदे मेट्रो ट्रेन को डेली पैसेंजर्स के हिसाब से डेवलप किया गया है। इसमें जगह-जगह मोबाइल चार्जिंग प्वॉइंट बनाए गए हैं। यही नहीं डिब्बे के अंदर रूट इंडिकेटर डिस्प्ले लगा है। मतलब कि आपको पता चलता रहेगा कि अलगा स्टेशन कौन सा आने वाला है। इस समय किस स्टेशन से ट्रेन चली है आदि। इस ट्रेन के हर डिब्बे में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। मतलब कि यदि डिब्बे या ट्रेन में कोई अप्रिय घटना हो तो उसकी अपने आप रिकार्डिंग हो जाएगी। इसके साथ ही डिब्बे में इमरजेंसी टॉक बैक यूनिट, आधुनिक शौचालय और कुछ अन्य सुविधाएं भी जोड़ी गई हैं।

आप वंदे भारत एक्सप्रेस को देखते होंगे तो उसे उसकी नाक से पहचानते होंगे। वंदे भारत की तरह ही वंदे मेट्रो में ही नाक लगेगी। चूंकि अभी ट्रेन को आक्सीलरेशन ट्रायल पर भेजा जा रहा है, इसके लिए इस रैक को चेन्नई से राजस्थान के कोटा डिवीजन में भेजा जा रहा है। यह ट्रेन मेट्रो शहरों में चलने वाली मेट्रो सर्विस ट्रेन की तरह ही है। यह ट्रेन पूरी तरह से एयर कंडीशंड है। इसे एक शहर को दूसरे शहर से जोड़ने के लिए सुपरफास्ट इंटरसिटी ट्रेन के रूप में बनाया जा रहा है।इसलिए इसमें आगे इंजन लगा कर इसे खींचा जाएगा। ट्रेन के आगे इंजन लगाने के लिए ही अभी इसमें नाक नहीं लगाई गई है। जब ट्रेन का ट्रॉयल पूरा हो जाएगा तो फिर इसमें नाम जोड़ दिया जाएगा।