आज हम आपको अमेरीका के एक ऑपरेशन पोपेये के बारे में जानकारी देने वाले हैं! 3 जुलाई, 1971 की सुबह। अमेरिकी अभी जगे ही थे कि उनके यहां न्यूयॉर्क टाइम्स अखबार आया। उसमें वियतनाम युद्ध के बारे में एक स्टोरी छपी थी। इसमें कहा गया था कि अमेरिकी सरकार ने सारी हदें पार करते हुए वियतनाम की जंग जीतने के लिए ऑपरेशन पोपेये चलाया है। इस मिशन में वियतनाम में जहरीले केमिकल एजेंट का इस्तेमाल किया गया और अमेरिकी वायुसेना पूरे वियतनाम में क्लाउड सीडिंग यानी कृत्रिम बारिश करवा रही है, ताकि हारी हुई जंग किसी भी कीमत पर जीती जा सके। इस खबर को पढ़ने के बाद अमेरिका समेत पूरी दुनिया में भूचाल सा आ गया। अमेरिकियों को ये बात पता चल गई कि वियतनाम में कैसे अमेरिकी सरकार पानी की तरह अपने सैनिकों के खून बहा रही है और जंग जीतने के लिए वियतनाम पर बर्बरता की हद पार कर चुकी है। इस कहानी के पीछे का संदर्भ यह है कि हाल ही में दिल्ली-एनसीआर में जहरीली हवाओं ने लोगों का दम घोंट रखा है। ऐसे में बीते साल की ही तरह इस बार भी क्लाउड सीडिंग की बात की जा रही है। जानते हैं इसके खतरनाक इस्तेमाल के बारे में। अमेरिकी फौजें जब वियतनामी गुरिल्ला लड़ाकों के आगे टिक नहीं पा रही थीं तो अमेरिकी सरकार ने एक खतरनाक मिशन लॉन्च करने की सोची। उस वक्त अमेरिकी एयरफोर्स ने 1967 से लेकर 1972 तक ऑपरेशन पोपेये को गुप्त रूप से चलाया, जिसे प्रोजेक्ट कंट्रोल्ड वेदर पोपेये या मोटरपूल या इंटरमीडियरी कम्पेट्रियट भी कहा गया। इस ऑपरेशन में अमेरिकी वायु सेना ने वियतनाम पर सैन्य क्लाउड सीडिंग की। जिससे वियतनाम की सड़कें बह गईं। बड़े पैमाने पर भूस्खलन हुआ, जिससे उत्तरी वियतनामी सैन्य आपूर्ति कुछ समय के लिए ठप पड़ गईं।
क्लाउड सीडिंग मौसम को बदलने वाली तकनीक है जिसका इस्तेमाल बादलों से कृत्रिम बारिश कराने के लिए किया जाता है। इसे विशेषज्ञ मौसम संशोधन भी कहते हैं। क्लाउड सीडिंग का मकसद वातावरण में बारिश या बर्फ की मात्रा बढ़ाना होता है। इसका इस्तेमाल ओलावृष्टि कम करने या कोहरा फैलाने के लिए भी किया जाता है। क्लाउड सीडिंग के लिए हेलीकॉप्टर या विमान से सिल्वर आयोडाइड, पोटैशियम आयोडाइड या ठोस कार्बन डाइऑक्साइड (ड्राई आइस) का छिड़काव किया जाता है। यह छिड़काव हवा के बहाव के विपरीत दिशा में किया जाता है। अमेरिकी साइंटिस्ट विंसेंट जे. शेफर ने क्लाउड सीडिंग की तकनीक ईजाद की थी। ऑपरेशन पोपेये अमेरिकी सरकार के रासायनिक मौसम संशोधन कार्यक्रम का हिस्सा था। थाईलैंड से कंबोडिया, लाओस और वियतनाम में ऐसे ऑपरेशनों को अंजाम दिया गया। कहा जाता है कि अमेरिका के तत्कालीन रक्षा मंत्री मेल्विन लैयर्ड की मंजूरी के बिना विदेश मंत्री हेनरी किसिंजर और अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA ने इन ऑपरेशनों को अंजाम दिया था। माना जाता है कि इसके लिए अमेरिकी संसद यानी कांग्रेस ने मंजूरी नहीं दी थी।
दक्षिण वियतनामी खुफिया और कमांडो टीमों को उत्तरी वियतनाम में घुसपैठ में मदद करने के लिए अमेरिका ने कृत्रिम बादलों और बारिश का इस्तेमाल किया। अमेरिकी वायुसेना ने अम्लीय वर्षा यानी तेजाबी बारिश के लिए एक केमिकल एजेंट बनाया, जो उत्तरी वियतनाम के रडार उपकरणों को नुकसान पहुंचाता था। इसे घातक कृत्रिम बारिश को ईकोसाइड कहा गया। यानी वियतनाम के जंगलों का बड़े पैमाने पर सफाया किया गया, जहां वियतनामी गुरिल्ला लड़ाके छिपकर रहते थे।
अमेरिकी रक्षा विभाग ने क्लाउड सीडिंग को वियतनाम के अलावा दुनिया के बाकी हिस्सों में भी आजमाया। 1960 के दशक के मध्य में भारत में बिहार के विनाशकारी सूखे ने अमेरिका को ऑपरेशन पोपेये को आजमाने का मौका दिया। प्रोजेक्ट ग्रोमेट नाम से अमेरिकी विमानों ने गर्मियों से पहले मानसून के बादलों को सूखी धरती पर बारिश के लिए क्लाउड सीडिंग कराई। मगर, उनका ये प्रयास असफल रहा। बाद में प्रोजेक्ट पोपेये को युद्ध के हथियार के रूप में लाओस और वियतनाम में आजमाया गया। 1963 से 1969 तक अमेरिका के राष्ट्रपति रहे लिंडन बी जॉनसन ने वियतनाम युद्ध जीतने के लिए कसम खाई थी। वो हर हाल में इसे जीतना चाहते थे, मगर वो अपने मंसूबे में कभी कामयाब नहीं हो सके।
रेनमेकिंग इन एसईएएसआईए नामकी एक रिपोर्ट में बताया गया है कि अमेरिकी वायुसेना के विमानों से ऑपरेशन पोपेये के तहत लेड आयोडाइड और सिल्वर आयोडाइड के इस्तेमाल की योजना बनाई गई थी। इसे पहले कैलिफोर्निया में नेवल एयर वेपन्स स्टेशन चाइना लेक में विकसित किया गया था। इसके बाद ओकिनावा, गुआम, फिलीपींस, टेक्सास और फ्लोरिडा में परीक्षण किया गया था। यह ऑपरेशन प्रोजेक्ट स्टॉर्मफ्यूरी का हिस्सा था।
ऑपरेशन पोपेये का मकसद वियतनामी दुश्मन की सैन्य आपूर्ति ट्रकों, सड़कों को बर्बाद करने के लिए था। इसके तहत दुश्मन के इलाकों में इतनी कृत्रिम बारिश कराना, ताकि जंग में वियतनामी हार जाएं। इस कृत्रिम बारिश से वियतनामी शहर हो चि मिन्ह समेत कई इलाकों की सड़कों की सतह नर्म हो गईं। बारिश से हुए भूस्खलन के चलते सड़कें बर्बाद हो गईं। नदियों के पुल बहा दिए गए। ऑपरेशन का लक्ष्य हर मानसूनी सीजन में बारिश के दिनों को 30 से 45 दिन तक बढ़ाया जाना था।
अमेरिकी विमान आधिकारिक तौर पर मौसमी टोही मिशन पर थे और विमान के पायलटों ने मौसम रिपोर्ट डेटा भी तैयार किया। मौसम टोही स्क्वाड्रन से गुआम से नियमित आधार पर कई जंगी विमान ऑपरेशन में भेजे गए थे। स्क्वाड्रन के अंदर बारिश कराने के अभियानों को कोड नाम मोटरपूल दिया गया था। वियतनाम युद्ध में जहरीले केमिकल के इस्तेमाल के बारे में सनसनीखेज खुलासा पहली बार एक प्रतिष्ठित अखबार के रिपोर्टर जैक एंडरसन ने किया था। एंडरसन ने अपनी रिपोर्ट में तब इस ऑपरेशन का नाम इंटरमीडियरी कम्पेट्रियट कहा था। ऑपरेशन पोपेये (पॉप आई) नाम अमेरिकी रक्षा मुख्यालय यानी पेंटागन ने दिया था, जिसने ऑपरेशन पोपेये को लेकर पेंटागन पेपर्स जारी किया था।