यह सवाल उठना लाजिमी है कि अमेरिका 61 लोगों के प्रत्यर्पण की अपील पूरी कब करेगा! भारत ने पिछले 20 सालों में अमेरिका से 61 लोगों के प्रत्यर्पण का अनुरोध किया है, लेकिन ज्यादातर मामलों में कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इनमें से कुछ मामलों में तो कई बार अपील के बावजूद भी कोई जवाब नहीं मिला है। यह जानकारी तब सामने आई जब अमेरिका ने खुद एक भारतीय अधिकारी विकास यादव पर खालिस्तानी अलगाववादी जीएस पन्नू की हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया है। जानकारी के अनुसार, प्रत्यर्पण के लिए लंबित पड़े अनुरोधों में गोल्डी बरार और तहव्वुर हुसैन राणा जैसे चर्चित नाम भी शामिल हैं। इनमें से गोल्डी बरार पर आतंकवादी गिरोह चलाने, हत्या और जबरन वसूली जैसे गंभीर आरोप हैं। वहीं, तहव्वुर राणा 26/11 के मुंबई आतंकी हमले की साजिश में शामिल था। दिलचस्प बात यह है कि भारत ने इसी साल अमेरिका को पांच नए प्रत्यर्पण अनुरोध भेजे हैं। इनमें से एक हरजोत सिंह पर देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने, आतंकवाद के लिए पैसे मुहैया कराने और एक आतंकवादी संगठन का सदस्य होने जैसे आरोप हैं।
इस साल जिन अन्य लोगों के खिलाफ प्रत्यर्पण अनुरोध भेजे गए हैं, उनमें अनमोल बिश्नोई, नेल्सन के. कंबाटा, जेम्स लैरी अल्फोर्ड (महिलाओं की शील भंग करने का मामला) और साहिल कुमार (जाली पासपोर्ट का मामला) शामिल हैं। इन सबके अलावा, कनाडा से भी 26 प्रत्यर्पण अनुरोध लंबित पड़े हैं। भारत ने कनाडा के साथ लॉरेंस बिश्नोई गिरोह सहित कई आपराधिक गुटों की जानकारी भी साझा की है। हालांकि, अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। यह जानकारी विदेश मंत्रालय ने दी है।
26/11 मुंबई आतंकी हमले में वांटेड तहव्वुर राणा को जून 2020 में भारत के अनुरोध पर अमेरिका में गिरफ्तार किया गया था। उसकी जमानत याचिका जुलाई 2020 में खारिज कर दी गई थी। 2023 में, कैलिफोर्निया के सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट की जिला अदालत ने राणा के प्रत्यर्पण पर रोक लगा दी थी ताकि उसकी अपील पर नौवें सर्किट के लिए यूएस कोर्ट ऑफ अपील्स सुनवाई कर सके। तहव्वुर हुसैन राणा 26/11 के मुंबई आतंकी हमले की साजिश में शामिल था। अमेरिका ने तहव्वुर हुसैन राणा के मामले में कुछ महीने पहले ही भारत को अदालती कार्यवाही की जानकारी दी थी और आश्वासन दिया था कि आगे भी इस बारे में अपडेट देता रहेगा।
गोल्डी बरार, जिस पर भारत के कई हिस्सों में आतंकी हत्याओं और जबरन वसूली के मामलों में मास्टरमाइंड होने का आरोप है। वह सिद्धू मूसेवाला की हत्या के मामले में भी वांटेड है।जूरी ने उसे एक विदेशी आतंकवादी संगठन की मदद करने और डेनमार्क में एक असफल लश्कर साजिश का समर्थन करने की साजिश रचने का दोषी पाया। सूत्रों के अनुसार, बरार के खिलाफ पहला प्रत्यर्पण अनुरोध जनवरी 2023 में भेजा गया था। इसके बाद भारत ने कई बार गुहार लगाई, लेकिन अमेरिका ने कोई जवाब नहीं दिया। हालांकि, इस साल सितंबर में अमेरिका ने गोल्डी बरार के बारे में और जानकारी मांगी है।
2023 में ही, भारत ने धोखाधड़ी और बलात्कार के आरोप में वांटेड चार लोगों के लिए भी अमेरिका से प्रत्यर्पण की मांग की। इनके अलावा, नीरव मोदी की पत्नी, अमी एन मोदी के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में प्रत्यर्पण का अनुरोध 2020 से लंबित है। इस मामले में भी अमेरिका को इसी महीने याद दिलाया गया है।बता दें कि हेडली के लिए टिकटों की व्यवस्था करके लश्कर की साजिश में मदद करने वाले पाकिस्तानी मूल के कनाडाई ट्रैवल एजेंट तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण के लिए भारत का अनुरोध भी पेंडिंग है। हालांकि अमेरिकी अदालत ने लॉस एंजिल्स की जेल से राणा के प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है, लेकिन उनके वकीलों ने भारत को कानून का सामना करने के प्रयास को विफल करने के लिए नए तरीके अपनाए हैं। विदेश मंत्रालय (MEA) ने बताया कि अमेरिका के अलावा, भारत ने कनाडा के साथ 26 प्रत्यर्पण अनुरोध साझा किए हैं और लॉरेंस बिश्नोई गिरोह सहित गिरोहों पर सुरक्षा जानकारी भी साझा की गई है, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
राणा ने अपने प्रत्यर्पण का विरोध करने के लिए हैबियस कार्पस याचिका दायर की थी, लेकिन इसे खारिज कर दिया गया और पिछले साल प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी गई थी। अपने फैसले में पैनल ने यह भी माना कि भारत ने मजिस्ट्रेट जज के सामने पर्याप्त और सक्षम सबूत पेश किए थे कि राणा आरोपी अपराधों में शामिल था। जूरी ने उसे एक विदेशी आतंकवादी संगठन की मदद करने और डेनमार्क में एक असफल लश्कर साजिश का समर्थन करने की साजिश रचने का दोषी पाया।