आखिर किन सेलिब्रिटीज ने दी है अपनी घातक बीमारियों को मात?

0
81

आज हम आपको बताएंगे कि किन सेलिब्रिटीज ने अपनी घातक बीमारियों को मात दी है! हिना खान ने हाल ही में सोशल मीडिया पर खुलासा किया कि वे ब्रेस्ट कैंसर की तीसरी स्टेज से जूझ रही हैं, मगर हार नहीं मानने वाली। रिसर्च, एक्सपर्ट और ब्रेस्ट कैंसर सर्वाइवर सेलेब्स का मानना है कि स्तन कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी को भी हराया जा सकता है, बशर्ते पीड़ित शर्म, हिचक और डर से परे अपनी बीमारी का खुल कर इलाज करवाए, इसके प्रति जागरूक हो। मगर आम तौर पर इसे सोशल स्टिग्मा मान कर महिलाएं इलाज में देर कर देती हैं। जानी-मानी एक्ट्रेस हीना खान ने हाल ही में जब सोशल मीडिया पर एक बहुत ही भावुक करने वाली पोस्ट शेयर करके बताया कि वे कैंसर की तीसरी स्टेज से जूझ रही हैं तो इंडस्ट्री व फैंस में डर और चिंता की लहर दौड़ गई। फैंस और इंडस्ट्री का फिक्रमंद होना स्वाभाविक है। देश में कैंसर से होने वाली महिलाओं की मौत के आंकड़े डरावने हैं। कैंसर की जंग जीत चुकी ताहिरा कश्यप ने भी खुलासा किया, ‘अपने ट्रीटमेंट के दौरान मुझे पता चला कि कई औरतें अपनी मैमोग्राफी, कीमोथेरेपी महज इसलिए नहीं करवातीं, क्योंकि एक जॉइंट फैमिली सिस्टम में वे ब्रा नहीं बोल सकती, तो ये कैसे बोलें कि उनके ब्रेस्ट में गांठ है। ट्रीटमेंट न करवाने के कारण कई अपनी जान भी गंवा देती हैं।’

वाकई WHO और कैंसर रिसर्च एजेंसियों के मुताबिक, भारत में कैंसर के हर साल डेढ़ से दो लाख नए मामले आते हैं, जिसमें करीब 25 प्रतिशत महिलाओं की मौत हो जाती है। अपोलो हॉस्पिटल की एक रिपोर्ट ने तो देश में बढ़ते ब्रेस्ट कैंसर पेशंट्स को देखते हुए भारत को कैंसर कैपिटल करार दे दिया गया है। बॉलीवुड में ताहिरा कश्यप ही नहीं मुमताज, सोनाली बेंद्रे, महिमा चौधरी, छवि मित्तल जैसी एक्ट्रेसेस अगर कैंसर को मात कर सर्वाइवर बनीं, तो महज इसलिए कि उन्होंने अपनी इस बीमारी को किसी तरह का सोशल स्टिग्मा या कलंक न मान कर बिना शर्म और हिचक के इसका इलाज करवाया और इसे लेकर जागरूकता भी फैलाई। ताहिरा कश्यप ने अपनी जर्नी पर किताब लिखी, तो छवि मित्तल ने सोशल मीडिया पर एक यूजर द्वारा ब्रेस्ट काटने के कॉमेंट पर उसे पूरी ब्रेस्ट सर्जरी समझा दी थी।

कैंसर की लड़ाई लड़ चुकी महिमा चौधरी कहती हैं, ‘हिना खान का जब अपने ब्रेस्ट कैंसर के बारे में पता चला, तो सबसे पहले उन्होंने मुझे फोन किया। महिलाएं अगर अपनी इस बीमारी के बारे में खुल कर बात करेंगी, तो जागरूकता फैलेगी, क्योंकि ये सफर और ट्रीटमेंट इतने मुश्किल होते हैं कि आपके दिमाग में 100 तरह के सवाल होते हैं, मेरा ट्रीटमेंट सही है या नहीं? मैं बचूंगी या नहीं? आम तौर पर महिलाएं अपने फिजिकल अपीयरेंस (अपने स्तन) को लेकर बहुत ज्यादा फिक्रमंद होती हैं। जबकि आज कल ब्रेस्ट की रिकंस्ट्रक्टिव ( ब्रेस्ट रिकंस्ट्रक्शन सर्जरी में इंप्लांट करके नई ब्रेस्ट बनाई जाती है)और प्लास्टिक सर्जरी इतनी बढ़िया है कि किसी को कुछ पता नहीं चलता। कई बार छोटे शहर की महिलाएं ब्रेस्ट की रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी नहीं करवातीं। जरूरत पड़ने पर ये सर्जरी जरूर करवानी चाहिए। ब्रेस्ट रिइंप्लांट बहुत आम और कामयाब सर्जरी है। इस पर काफी रिसर्च हो रखी है।’ हमारे पास आने वाले 80 प्रतिशत केसे ऐसे होते हैं, जो शर्म या झिझक के कारण समय पर नहीं आते। कई महिलाएं डॉक्टर को अपना स्तन नहीं दिखाना चाहती। कइयों को लगता है कि इसमें स्तन काटने पड़ जाएंगे। कई ऐसा भी सोचती हैं कि इससे उनके स्त्रीत्व कम हो जाएगा। कैंसर को लेकर बहुत बड़ा डर भी होता है और अवेयरनेस की कमी भी। मगर आज के दौर में अर्ली डिटेक्शन के बाद आप लम्पेक्टोमी सिर्फ गांठ रिमूव करने की प्रक्रिया कर सकते हैं।’

कहती हैं, ‘कैंसर के फैलाव के कारण मास्टक्टोमी करनी पड़ती है, जहां ब्रेस्ट को रिकन्सट्रक्ट या रीइम्प्लांट किया जाता है। जितना जल्दी आप कैंसर को डिटेक्ट करेंगे, तो पीड़ित को पूरा ब्रेस्ट निकालने की जरूरत नहीं पड़ेगी। अगर एडवांस स्टेज में भी पता चलता है, तो जरूरी नहीं कि ब्रेस्ट निकालना ही पड़े। ब्रेस्ट साल्वेज, बचाव किया जा सकता है। एक केस में 81 साल की उम्रदराज महिला फर्स्ट स्टेज में ही हमारे पास आ गई थी। सर्जरी करके उसकी गांठ निकाल दी गई और आज वो स्वस्थ हैं।’ 40 के होने के बाद साल में एक बार मैमोग्राफी का टेस्ट होना चाहिए।’