आखिर अब्बास अंसारी किस पार्टी के विधायक हैं?

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हाल ही में अब्बास अंसारी बहुत दिनों से खबरों में बने हुए हैं! उत्तर प्रदेश की राजनीति में इन दिनों जुड़ने-बिछड़ने का दौर चल रहा है। कोई किसी के साथ जुड़ने को लेकर अपनी तत्परता दिखा रहा है तो कोई किसी को खुद से अलग दिखाने को बेताब है। इन तमाम जुड़ाव-बिछड़ाव के बीच राजनीति चरम पर है। मामला अब्बास अंसारी से शुरू करिए और आगे देखते चले जाइए। आपको सभी बातें साफ होती जाएंगी। मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद से शिवपाल यादव समाजवादी पार्टी से जुड़ने की कोशिश करते दिख रहे हैं। लेकिन, खुद को अलग भी दिखा रहे हैं। वहीं, कुछ दिन पहले यूपी विधानसभा के सत्र के दौरान एकजुट दिखने वाले अब्बास अंसारी को ओम प्रकाश राजभर खुद से अलग करने की कोशिश करते दिख रहे हैं। राजनीति का यह खेल इन दिनों यूपी के राजनीतिक महकमे में चर्चा का विषय बना हुआ है। सबसे अधिक इस बात की चर्चा हो रही है क्या ओम प्रकश राजभर अपनी अगली राजनीतिक उड़ान के पहले बैरियर्स को तोड़ तो नहीं रहे हैं? पहले समाजवादी पार्टी से पल्ला झाड़ा। अब अब्बास अंसारी से अपना रिश्ता खत्म बता दिया। ऐसे में उनके नए राजनीतिक ठिकाने पर चर्चा शुरू हो गई है।

अब्बास अंसारी पिछले काफी समय से वांछित थे। पकड़ में नहीं आ रहे थे। यूपी पुलिस अब्बास को पकड़ने के लिए तिकड़म लगाती रही। सुभासपा से विधायक बने अब्बास ऐसे गायब हुए कि कोर्ट से गिरफ्तारी पर राहत मिलने के बाद ही सामने आए। पिछले दिनों यूपी विधानसभा सत्र के दौरान अब्बास अंसारी अपनी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर के साथ नजर आए थे। इस दौरान दोनों की अलग ही केमिस्ट्री दिख रही थी। अब्बास उस समय राजभर की तारीफ करते थक नहीं रहे थे। लेकिन, अब अब्बास अंसारी ईडी के शिकंजे में फंसे हैं तो फिर ओम प्रकाश राजभर ने उनसे अपना पीछा छुड़ा लिया है। और तो और वे कहते दिख रहे हैं कि अब्बास हमारे विधायक ही नहीं हैं। उन्हें तो हमारी पार्टी में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने प्लांट किया था।

मुख्तार अंसारी और ओम प्रकाश राजभर पहले से मित्र रहे हैं। उन्होंने यूपी चुनाव 2022 में टिकट वितरण के दौरान प्रेस कांफ्रेंस में इस संबंध में अपनी बात कही थी। उन्होंने कहा था कि मुख्तार अंसारी के साथ हमारे पुराने संबंध हैं। अब्बास अंसारी उनके बेटे हैं। अब्बास के खिलाफ कोई आपराधिक मुकदमा दर्ज नहीं है। उनकी साफ छवि को देखते हुए टिकट देने का फैसला लिया गया है। ओम प्रकाश राजभर ने अपने बयान में कहा था कि अब्बास को लड़ाने का फैसला सपा का नहीं, सिर्फ हमारा है। मुख्तार अंसारी से मेरे बहुत पुराने संबंध हैं। मुख्तार अंसारी के बेटे का कोई आपराधिक इतिहास भी नहीं है। भाजपा पर निशाना साधते हुए तब राजभर ने कहा था कि बृजेश सिंह, संगीत सोम और सुरेश राणा को टिकट किसने दिया है? राजभर ने तब कहा था कि अब्बास को टिकट देने के फैसले से अखिलेश यादव का कोई लेना-देना नहीं है। हम मुख्तार अंसारी से जेल में मिले थे। मुख्तार अंसारी से उनके पुराने राजनीतिक संबंध हैं।

ओम प्रकाश राजभर ने 15 फरवरी 2022 को जिस अब्बास को अपना आदमी बताया था। मुख्तार के साथ अपने पुराने राजनीतिक संबंध बता रहे थे। वही राजभर करीब 8 माह बाद 6 सितंबर को यह कहते देखे गए कि अब्बास अंसारी हमारे विधायक नहीं हैं। उन्होंने कहा कि अब्बास अंसारी अखिलेश यादव के विधायक हैं। केवल विधिक तौर पर पार्टी का चुनाव चिन्ह लेने के कारण ही वह हमारी पार्टी के विधायक कहला रहे हैं। अब्बास सपा का ही झंडा लगाकर घूमते थे। अखिलेश पर आरोप लगाते हुए राजभर ने कहा कि उन्होंने डमी प्रत्याशियों को सुभासपा का टिकट दिलवाकर पार्टी को खत्म करने का प्रयास किया। ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि सपा मुखिया अखिलेश को बहुत घमंड हो गया था कि विधानसभा चुनाव के बाद प्रदेश में उनकी सरकार बन रही है। इसलिए उन्होंने डमी उम्मीदवार देकर मुझे खत्म करने का प्रयास किया। आरोप लगाया कि कुछ जगहों पर बहुत कहने के बाद ही मजबूत उम्मीदवारों को सुभासपा के कोटे से टिकट दिया गया।

ओम प्रकाश राजभर ने अखिलेश यादव पर निशाना साधा। दरसअल, यूपी चुनाव के बाद से ही राजभर के निशाने पर अखिलेश रहे हैं। यूपी चुनाव में सपा गठबंधन को बहुमत न मिलने का कारण उन्होंने अखिलेश की रणनीति को जिम्मेदार ठहराया। अखिलेश यादव को जमीन पर उतर कर राजनीति की सलाह दी। पीएम मोदी और सीएम योगी से राजनीति सीखने तक की नसीहत दे डाली। अब आरोप लगाया है कि अखिलेश ने जिस सीट पर सुभासपा को टिकट दिया, वहां चाहा कि पार्टी हार जाए। हम उनके दांव को समझ नहीं पाए थे। दरअसल, यूपी चुनाव के दौरान सपा गठबंधन में शामिल सुभासपा ने 12 सीटों पर चुनाव लड़ा था। पार्टी को छह सीटों पर जीत मिली। सुभासपा के विजेता उम्मीदवारों में पूर्व बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी भी शामिल हैं।

ओम प्रकाश राजभर के पिछले दिनों भाजपा से निकटता की बातें सामने आई थीं। हालांकि, भाजपा की ओर से उन्हें भाव नहीं दिया गया। भाजपा के सीनियर नेताओं की ओर से कोई बड़ा बयान तो सामने नहीं आया है। डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक तो उन्हें साथी बताते रहे हैं। लेकिन, भाजपा में नंबर दो के नेताओं को राजभर की पलटीमार पॉलिटिक्स पसंद नहीं आती। योगी सरकार में मंत्री अनिल राजभर ने तो पिछले कई दिनों में ओपी राजभर पर निशाना साधा है। भाजपा के करीबी जाने में सबसे बड़ी बाधा अब्बास अंसारी ही हैं। योगी सरकार अब्बास के मामले में कोई समझौता करने को तैयार नहीं है। ऐसे में पहले सपा और अब अब्बास को झटका देकर 2024 के रण से पहले राजभर भाजपा के निकट जाने के संकेत तो नहीं दे रहे। राजनीतिक गलियारे में इस प्रकार की सुगबुगाहट भी तैर रही है।

हालांकि, लोकसभा चुनाव के पहले नगर निकाय चुनाव में राजभर अगर अपनी ताकत का प्रदर्शन कर देते हैं तो फिर नेगोशिएशन की पावर बढ़ सकती है। ऐसे में बाहुबली मुख्तार अंसारी परिवार से पल्ला झाड़कर खुद को पाक साफ और अखिलेश से अब्बास का नाता जोड़कर उन्हें कटघड़े में खड़ा करने की कोशिश के रूप में भी इस बयान को देखा जा रहा है।