हाल ही में सात सांसदों ने लोकसभा में शपथ नहीं ली है! 18वीं लोकसभा के पहले सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को राहुल गांधी, अखिलेश यादव, असदुद्दीन ओवैसी और संबित पात्रा समेत कई सासंदों ने संसद सदस्य के रूप में शपथ ली। लेकिन अभी भी सात ऐसे सांसद हैं, जिन्होंने शपथ नहीं ली है। प्रोटेम स्पीकर ने पंजाब से सांसद और खालिस्तानी समर्थक अमृतपाल का नाम लिया, लेकिन अमृतपाल की मौजूदगी नहीं थी। इसके अलावा सपा सांसद अफजाल अंसारी सदन में तो आए, लेकिन शपथ नहीं ले सके। आइए बताते हैं 18वीं लोकसभा में किस-किस सांसद ने शपथ नहीं ली है। मंगलवार को पंजाब के सांसदों के शपथ दिलाई जा रही थी। लोकसभा सेक्रेटरी जनरल ने डिब्रूगढ़ की जेल में बंद कथित खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह का नाम शपथ लेने के लिए पुकारा। इससे पहले अगर ये सांसद शपथ नहीं लेते हैं, तो ये सभी सांसद लोकसभा स्पीकर के लिए वोटिंग में शामिल नहीं हो पाएंगे।हालांकि खडूर साहिब सीट से निर्वाचित हुए सिंह सदन में उपस्थित नहीं थे। अमृतपाल सिंह को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत गिरफ्तार किया गया है, हाल ही में उनके खिलाफ एनएसए की अवधि को एक साल के लिए बढ़ाने का फैसला किया गया था। इसी के चलते वो जेल से बाहर नहीं आ पाए। लेकिन लोकसभा में नियमों के तहत शपथ के लिए अमृतपाल सिंह का नाम भी लिया गया था।
समाजवादी पार्टी पार्टी के सांसद अफजाल अंसारी को भी लोकसभा में शपथ नहीं दिलाई गई। वो सदन में पहुंचे जरूर थे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के चलते उन्हें शपथ नहीं दिलाई गई। अफजाल संसद पहुंचे और कुछ देर अखिलेश यादव के बगल में भी बैठे। दरअसल लोकसभा सचिवालय ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार उन्हें सदन की कारवाई में भी भाग लेने से रोका गया था। चूंकि शपथ ग्रहण भी लोकसभा की कार्यवाही का हिस्सा है, इसलिए अफजाल को शपथ नहीं दिलाई गई।
इस बार जम्मू-कश्मीर की बारामूला लोकसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार इंजीनियर राशिद चुनाव जीता है। राशिद टेरर फंडिंग से जुड़े मामले में जेल में बंद है। राशिद ने शपथ ग्रहण के लिए अंतरिम जमानत मांगी थी। लेकिन फिलहाल राशिद को जमानत नहीं मिली है। हालांकि पटियाला हाउस कोर्ट एक जुलाई को मामले को सूचीबद्ध किया है। अब तक जिन सात सांसदों ने शपथ नहीं ली है, उसमें तीन टीएमसी के तीन, कांग्रेस के एक, समाजवादी पार्टी के एक और दो निर्दलीय सांसद हैं। कांग्रेस के शशि थरूर, टीमएसी के दीपक अधिकारी, शत्रुघ्न सिन्हा और हाजी नूरुल इस्लाम ने भी अभी तक शपथ नहीं ली है। वहीं निर्दलीय अमृतपाल सिंह और इंजीनियर राशिद भी शपथ नहीं ले पाए।
जिन सासंदों ने शपथ नहीं ली है, उन्हें न तो सदन में वोट देने की इजाजत होगी और न ही सांसद की कोई भी सुविधा मिलेगी। कल लोकसभा अध्यक्ष पद का चुनाव होना है। यही नहीं आपको बता दें कि नेता प्रतिपक्ष का कद कैबिनेट रैंक का होता है। नेता विपक्ष सीबीआई निदेशक सहित कई अहम पदों के लिए बनी सिलेक्ट कमिटी का मेंबर होता है। वहीं वह संसद की प्रतिष्ठित पीएसी लोकलेखा समिति का अध्यक्ष होता है। दरअसल, पीएम मोदी लोकसभा में नेता सदन हैं। कांग्रेस का मानना है कि राहुल गांधी के नेता विपक्ष होने के बाद अगले पांच साल वह पीएम के सामने स्वाभाविक विकल्प के रूप में उभरेंगे। गौरतलब है कि 2014 और 2019 आम चुनाव में कांग्रेस को उतनी सीटें नहीं मिली थी, जिससे नेता प्रतिपक्ष का दर्जा मिल सके।पार्टी का मानना था कि अब वक्त आ गया है कि राहुल गांधी को आगे बढ़कर पार्टी को लीड करना चाहिए। जिस तरह से राहुल गांधी ने अपनी भारत छोड़ो यात्रा के दौरान पार्टी की अगुवाई की, पार्टी चाहती थी कि वैसा ही नेतृत्व लोकसभा में पार्टी का करें। पार्टी के भीतर नेता प्रतिपक्ष के लिए राहुल गांधी पहली पसंद के तौर पर उभरे थे, इसलिए कहा जा रहा था कि नेतृत्व की भूमिका में आने के लिए यह एक बेहतरीन मौका है। पार्टी का मानना था कि राहुल गांधी को अपने पिता वह पूर्व पीएम राजीव गांधी और मां सोनिया गांधी की तरह नेता प्रतिपक्ष बनकर सदन में लोगों के मुद्दे उठाने चाहिए। लोकसभा की कुल सीट का कम से कम दस फीसदी सीट जीतना नेता विपक्ष का पद हासिल करने के लिए जरूरी होता है। इससे पहले अगर ये सांसद शपथ नहीं लेते हैं, तो ये सभी सांसद लोकसभा स्पीकर के लिए वोटिंग में शामिल नहीं हो पाएंगे।