आज हम आपको बताएंगे कि इस चुनाव में कौन से दिग्गज नेता परास्त हुए हैं! लोकसभा चुनाव-2024 के नतीजों ने सबको हैरान कर दिया। बीजेपी को जहां नतीजों में भारी झटका लगा तो वहीं कांग्रेस समेत INDI गठबंधन राहत की सांस ले रहा है। भले ही बीजेपी को अपने दम पर बहुमत नहीं मिला हो, लेकिन एनडीए बहुमत के जादुई आंकड़े को पार कर चुका है और जल्द सरकार बनाने का दावा भी कर सकता है। दूसरी ओर INDI गठबंधन के हाथ फिलहाल तो सत्ता की चाबी लगती नहीं नजर आ रही है। हालांकि इस बार संसद में विपक्ष मजबूत स्थिति में जरूर दिखेगा। लोकसभा चुनाव की बात करें तो कुछ सीटों पर तो नतीजे ऐसे आए, जिसकी न सत्ता पक्ष ने उम्मीद की थी, न ही विपक्ष ने। हम ऐसे ही कुछ उम्मीदवारों और सीटों के बारे में बता रहे हैं, जिनके नतीजों ने सबको चौंका दिया। महज चार महीने पहले 22 जनवरी को अयोध्या में भव्य राम मंदिर का उद्घाटन हुआ था। पूरे देश में राम लहर थी। माना जा रहा है कि राम मंदिर का मुद्दा बीजेपी को काफी फायदा पहुंचाएगा। लेकिन लोकसभा चुनावों के नतीजे में ये कहानी उलटी पड़ गई। फैजाबाद लोकसभा सीट पर बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा। यहां समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार चुनाव जीत गए। सिर्फ इतना ही नहीं अयोध्या मंडल की अन्य चारों सीटों पर भी बीजेपी को हार का मुंह देखना पड़ा।
दशकों से गांधी परिवार की पारंपरिक सीट मानी जाने वाली अमेठी पर कांग्रेस ने वापसी कर ली है। भले ही यहां से गांधी परिवार का कोई सदस्य सांसद नहीं बना, लेकिन गांधी परिवार के खास माने जाने वाले किशोरी लाल शर्मा ने बीजेपी की उम्मीदवार और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को 1.7 लाख से अधिक मतों से हराया। 2019 में स्मृति ईरानी ने अमेठी में राहुल गांधी को हराया था। मणिपुर हिंसा के बाद से ही बीजेपी को वहां विरोध का सामना करना पड़ रहा है। लोकसभा चुनावों में भी भी बीजेपी को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा। अशांत मणिपुर में कांग्रेस ने दोनों सीटों पर जीत दर्ज की है। मणिपुर के पहाड़ी इलाकों में रहने वाले कुकी और इम्फाल घाटी में रहने वाले मैतई दोनों ही समुदायों ने कांग्रेस को वोट दिया।
भले ही हिंदी पट्टी के राज्यों में बीजेपी को नुकसान हुआ है, लेकिन दक्षिण भारत के कुछ राज्यों में बीजेपी ने सबको हैरान कर दिया है। केरल में पहली बार बीजेपी का खाता खुला है। केरल की त्रिशूर लोकसभा सीट से अभिनेता से नेता बने सुरेश गोपी ने चुनाव जीत लिया और बीजेपी की झोली में एक सीट डाल दी।
लोकसभा चुनावों से पहले बीजेपी ने पश्चिम बंगाल के संदेशखाली विवाद को जमकर उठाया। पीएम मोदी से लेकर तमाम नेताओं ने इस मुद्दे पर बंगाल की ममता सरकार को घेरने की कोशिश की। लेकिन संदेशखाली विवाद का बशीरहाट चुनाव नतीजों पर कोई असर पड़ता नजर नहीं आया। इस सीट पर तृणमूल कांग्रेस के नूरूल इस्लाम ने बीजेपी की रेखा पात्रा को 3.4 लाख से ज्यादा वोटों से हराया। रेखा पात्रा संदेशखाली मामले में विरोध प्रदर्शनों का प्रमुख चेहरा थीं। यूपी की नगीना लोकसभा सीट के नतीजों ने भी सबको हैरान कर दिया। यहां से आजाद समाज पार्टी के प्रमुख और दलित नेता चंद्रशेखर आजाद को 1.5 लाख वोटों से जीत मिली है। खास बात ये है कि नगीना से चंद्रशेखर बिना किसी के समर्थन के चुनाव लड़े हैं। उन्हें न बीएसपी का साथ मिला न ही समाजवादी पार्टी का।
पंजाब के लोकसभा चुनाव के नतीजों ने भी सबको हैरान कर दिया। जेल में बंद खालिस्तान समर्थक उपदेशक अमृतपाल सिंह और बेअंत सिंह इंदिरा गांधी की हत्या करने वाले के बेटे सरबजीत सिंह खालसा पंजाब में चुनाव जीते हैं। पंजाब में जहां खालिस्तान समर्थक लोकसभा चुनाव जीते हैं, तो जम्मू-कश्मीर में भी जेल में बंद कट्टरपंथी चुनाव जीत गया। जम्मू-कश्मीर के बारामूला में, UAPA के तहत जेल में बंद इंजीनियर राशिद ने उमर अब्दुल्ला को हराया। बीजेपी का गढ़ माने जाने वाले गुजरात में बीजेपी को क्लीन स्वीप करने से कांग्रेस ने रोक दिया। कांग्रेस ने गुजरात की बनासकांठा सीट जीत ली है, जिससे भाजपा की लगातार तीन बार सभी सीटें जीतने की उम्मीद टूट गई है।
यूपी में समाजवादी पार्टी ने शानदार प्रदर्शन किया है। लेकिन गौर करने की बात ये है कि यादव परिवार के 5-5 सदस्यों ने लोकसभा चुनाव जीते हैं। अखिलेश यादव कन्नौज से, डिंपल यादव मैनपुरी से, आदित्य यादव बदायूं से, अक्षय यादव फर्रुखाबाद से और धर्मेंद्र यादव आजमगढ़ से चुनाव जीते हैं।