आज हम आपको बताएंगे कि लोकसभा चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी में कौन से दिग्गज मौजूद है!लोकसभा चुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी अपने प्रत्याशियों की दो लिस्ट जारी कर चुकी है। पहली लिस्ट में 16 प्रत्याशियों का ऐलान किया गया, वहीं दूसरी लिस्ट में 11 प्रत्याशियों के नाम आए। कई सीटों अखिलेश ने प्रत्याशी दोहराए हैं, वहीं कई ऐसी सीटें भी हैं, जो दूसरे दलों से आए नेताओं को दी गई हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव परिणाम पर नजर डालें तो अखिलेश यादव की रणनीति साफ हो जाती है। उन चुनावों में कांग्रेस के प्रत्याशी इन सीटों पर या तो जमानत नहीं बचा पाए थे या तीसरे नंबर पर ही रहे थे। यही नहीं अखिलेश ने कुछ ऐसे नामों पर भी दांव लगाया है, जो पिछले चुनावों में भले जीत न सके हों, लेकिन अपने दम पर अच्छा प्रदर्शन किए थे। तो आइए एक-एक सीट पर चलकर आपको बताते हैं पूरी गणित, समाजवादी पार्टी का यूपी में सबसे मजबूत किलों में शामिल है, संभल सीट। अखिलेश यादव ने यहां से डॉ शफीकुर्रहमान बर्क को एक बार फिर प्रत्याशी बनाया है। वह समाजवादी पार्टी सबसे बड़ा चेहरा माने जाते हैं। उनकी उम्र 93 वर्ष हो चुकी है। पांच बार से सांसद और चार बार से विधायक हैं। संभल से वह 2014 में एक बार चुनाव हारे थे। उसके बाद वह 2019 में सपा के टिकट पर फिर से सांसद बने। 2019- सपा से शफीकुर्रहमान बर्क ने भाजपा के परमेश्वर लाल सैनी को हराया था। कांग्रेस के मेजर जगत पाल सिंह तीसरे नंबर पर रहे थे। जमानत भी नहीं बचा पाए थे। 2019 में भाजपा के डॉ चंद्रसेन जादौन ने अक्षय यादव को नजदीकी मुकाबले में हराया था। उस चुनाव में शिवपाल सिंह यादव अपनी अलग पार्टी पीएसपी लोहिया से इस सीट पर लड़े थे और तीसरे स्थान पर रहे थे। अब शिवपाल सिंह यादव की घर वापसी हो चुकी है और अक्षय यादव की दावेदारी भी मजबूत नजर आ रही है।
ये सीट सपा का गढ़ मानी जाती रही है। 2019 के चुनाव में मुलायम सिंह यादव ने प्रेम सिंह शाक्य को हराया था। मुलायम सिंह यादव की निधन के बाद ये सीट खाली हुई और डिंपल यादव ने यहां से उपचुनाव लड़ा और भाजपा के रघुराज शाक्य को आसानी से हरा दिया। डिंपल इस बार फिर से प्रत्याशी हैं और इस सीट पर उनकी दावेदारी सबसे मजबूत है। पिछले आम चुनाव में स्वर्गीय कल्याण सिंह के बेटे राजवीर सिंह उर्फ राजू भैया ने इस सीट पर सपा के देवेंद्र सिंह यादव को हराया था। उस चुनाव में कांग्रेस के हरिओम की जमानत जब्त हुई थी। अब देखना होगा देवेश शाक्य क्या प्रदर्शन करते हैं? संघमित्रा मौर्य ने धर्मेंद्र यादव को हराया था। कांग्रेस के सलीम इकबाल शेरवानी तीसरे स्थान पर रहे थे। संघमित्रा स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी हैं। वह 2022 में सपा में शामिल हो गए थे। सपा ने एक बार फिर धर्मेंद्र को चुनाव मैदान में उतारा है। अब स्वामी ने भी सपा छोड़ दी है और अपनी अलग पार्टी बनाने का ऐलान किया है। हालांकि स्वामी प्रसाद मौर्य के पिछले दो साल की राजनीति को देखते हुए संघमित्रा को भाजपा से टिकट मिलेगा या नहीं? इस पर संशय बरकरार है।
पिछले चुनाव में भाजपा से अजय कुमार मिश्रा ने सपा की डॉ पूर्वी वर्मा को हराया था, कांग्रेस के जफर अली नकवी तीसरे स्थान पर रहे थे। इस बार अखिलेश ने उत्कर्ष पर दांव खेला है। 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने खीरी की सभी विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी। यहां भाजपा से रेखा वर्मा ने बसपा के अरशद इलियास सिद्धीकी को हराया था, जितिन प्रसाद तीसरे नंबर पर रहे थे। अब जितिन प्रसाद योगी सरकार में मंत्री हैं। आनंद भदौरिया अखिलेश यादव के करीबी नेताओं में शुमार रहे हैं। 2014 में भी वो चुनाव लड़े थे तब तीसरे नंबर पर रहे थे।
इस सीट पर पिछले चुनाव में स्वामी साक्षी महाराज ने अरुण कुमार शुक्ता को हराया था, कांग्रेस से अन्नू टंडन तीसरे स्थान पर रही थीं। साक्षी महाराज दो बार से लगातार सांसद हैं। अन्नू टंडन अब सपा प्रत्याशी हैं। 2009 में उन्होंने यहां से जीत हासिल की थी। राजनाथ सिंह ने सपा की पूनम शत्रुघ्न सिन्हा को हराया था, कांग्रेस के आचार्य प्रमोद कृष्णम तीसरे नंबर पर रहे थे। प्रमोद कृष्ण को हाल ही में कांग्रेस से निष्कासित कर दिया गया है। उनकी पीएम नरेंद्र मोदी से करीबी की चर्चा है। वहीं अखिलेश की पसंद रविदास मेहरोत्रा सपा के जुझारू नेता माने जाते हैं। पहली बार वह जनता दल के टिकट पर 1989 में लखन्ऊ पूर्वी सीट से विधायक बने थे। कई बार चुनाव हारे फिर 23 साल बाद वह लखनऊ मध्य से चुनाव जीत और सपा सरकार में मंत्री बने। 2022 में वह फिर से विधायक चुने गए हैं।
कीर्तिवर्द्धन सिंह उर्फ राजा भैया ने सपा के विनोद कुमार उर्फ पंडित सिंह को हराया, कांग्रेस से कृष्णा पटेल तीसरे स्थान पर रहीं। पंडित सिंह का देहांत हो चुका है और अखिलेश ने इस बार श्रेया वर्मा को चुनाव मैदान में उतारा है। श्रेया वर्मा स्वर्गीय बेनी प्रसाद वर्मा की पोती हैं और पूर्व मंत्री राकेश वर्मा की बेटी हैं। श्रेया वर्मा बेनी प्रसाद वर्मा की तीसरी पीढ़ी हैं। वह सपा की महिला कार्यकारणी में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी हैं। बसपा से अफजाल अंसारी ने मनोज सिन्हा को हराया, एसबीएसपी के रामजी तीसरे और कांग्रेस के अजीत प्रताप कुशवाहा चौथे स्थान पर रहे। इस सीट पर अंसारी परिवार की अच्छी पकड़ मानी जाती रही है। यही कारण है कि अखिलेश ने बसपा से सपा में आए अफजाल अंसारी को टिकट दिया है। देखना ये होगा कि इस बार भाजपा किसे चुनाव मैदान में उतारती है। मनोज सिन्हा पिछले चुनाव में हार के बाद जम्मू कश्मीर के उप राज्यपाल बनाए गए थे। भाजपा से महेंद्र नाथ पांडेय ने सपा के संजय चौहान को हराया, जन अधिकार पार्टी की शिवकन्या कुशवाहा तीसरे स्थान पर रही थीं। इस बार सपा ने वीरेंद्र सिंह को टिकट दिया है। वीरेंद्र सिंह बसपा, कांग्रेस में भी रह चुके हैं।