यह सवाल उठना लाजिमी है कि शहीद के सम्मान पर पहला हक आखिर किसका होता है! क्या किसी सैनिक के शहीद होने के बाद उनके माता-पिता को कोई मदद नहीं मिलती और शहीद सैनिक की पत्नी को ही सारी आर्थिक मदद मिलती है? ऐसा नहीं है। यह सवाल इसलिए उठा क्योंकि सियाचीन में शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह के माता-पिता ने सवाल किया है। कैप्टन अंशुमान को कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया है। शहीद अंशुमान के माता पिता का कहना है कि उनकी पत्नी मायके चली गई हैं। वे सरकार से मांग कर रहे हैं कि एनओके (नेक्स्ट ऑफ किन यानी निकटतम परिजन) के नियमों में बदलाव किया जाए। सेना सूत्रों के मुताबिक इंश्योरेंस की राशि में से 50 लाख रुपये शहीद अंशुमान की मां को और 50 लाख रुपये की राशि उनकी पत्नी को मिली है। यूपी सरकार से जो आर्थिक मदद मिली उसका 35 लाख रुपये शहीद की पत्नी और 15 लाख रुपये शहीद की मां को मिला है। नियमों के मुताबिक जब सेना में कोई भी अफसर या जवान भर्ती होता है तो उन्हें एक डिटेल फॉर्म भरना होता है जिसे- आफ्टर मी फोल्डर कहते हैं। इसमें एनओके की पूरी जानकारी होती है। अगर सैनिक की शादी नहीं हुई है तो उनके माता या पिता में से कोई उनका एनओके हो सकता है। सैनिक ने जिसे नॉमिनी बनाया है और जितने पर्सेंट का बनाया है उसे यह मिलेगा। चाहे वह माता-पिता हो, पत्नी हो या फिर बच्चे। साथ ही डिपेंडेंड पैरंट्स को मेडिकल फैसिलिटी मिलती रहती है।शादी होने के बाद उनकी पत्नी ही एनओके होती है!
अगर सैनिक की मौत हो जाती है या शहादत होती है तो उस स्थिति में अलग अलग आर्थिक मदद है। सामान्य तौर पर देखें तो तीन तरह की फैमिली पेंशन होती है। पहली है ओर्डिनरी फैमिली पेंशन। यह उस स्थिति में एनओके को मिलती है जब किसी बीमारी की वजह से या सामान्य स्थिति में सैनिक की मौत होती है। यह आखिरी सैलरी का 30 पर्सेंट होता है। दूसरी पेंशन है स्पेशल फैमिली पेंशन। यह उस स्थिति में एनओके को मिलती है जब सैनिक की ड्यूटी के दौरान या ड्यूटी की वजह से मौत होती है। यह सैलरी का 60 पर्सेंट होता है। तीसरी पेंशन होती है लिबरलाइज्ड फैमिली पेंशन। यह बैटल कैजुवल्टी होने पर एनओके को मिलती है। यह सैलरी का 100 पर्सेंट होता है। नियमों के मुताबिक पेंशन के हकदार एनओके ही होते हैं। इसके अलावा अगर सैनिक को वीरता के लिए कोई गैलेट्री अवॉर्ड मिलता है तो वह भी एनओके को ही जाता है। इसके साथ मिलने वाली राशि भी एनओके के पास ही जाती है।
अगर सैनिक शादीशुदा थे तो एनओके पत्नी ही होंगी। ऐसी स्थिति में माता पिता को क्या मिलता है। सैनिक की जो इंश्योरेंस की राशि होती है, जो पीएफ की राशि होती है, जो एक्स ग्रेशिया होता है और जो ग्रेच्युटी होती है, उसके लिए सैनिक जिसे चाहें उसे नॉमिनी बना सकते हैं। उन्हें अपनी विल लिखनी होती है जिसकी पूरी डिटेल सेना के पास होती है। सैनिक ने जिसे नॉमिनी बनाया है और जितने पर्सेंट का बनाया है उसे यह मिलेगा। चाहे वह माता-पिता हो, पत्नी हो या फिर बच्चे। साथ ही डिपेंडेंड पैरंट्स को मेडिकल फैसिलिटी मिलती रहती है।
अगर एनओके पत्नी है और वह दूसरी शादी कर लें तो उसके भी अलग अलग नियम है। अगर पत्नी को ओर्डिनरी फैमिली पेंशन मिल रही है तो वह दूसरी शादी करते ही बंद हो जाएगी, चाहे उनके बच्चे हों या ना हो। लेकिन अगर पत्नी को स्पेशल फैमिली पेंशन मिल रही है तो वह मिलती रहेगी। अगर पत्नी बच्चों को छोड़ देती है तो सैलरी का जो 60 पर्सेंट पेंशन में मिल रहा होता है उसका 30 पर्सेंट पत्नी को और 30 पर्सेंट बच्चों को मिलेगा। बता दें कि नियमों के मुताबिक जब सेना में कोई भी अफसर या जवान भर्ती होता है तो उन्हें एक डिटेल फॉर्म भरना होता है जिसे- आफ्टर मी फोल्डर कहते हैं। इसमें एनओके की पूरी जानकारी होती है। अगर सैनिक की शादी नहीं हुई है तो उनके माता या पिता में से कोई उनका एनओके हो सकता है। शादी होने के बाद उनकी पत्नी ही एनओके होती है। ऐसे ही अगर पत्नी को लिबरलाइज्ड फैमिली पेंशन मिल रही है और दूसरी शादी करने पर वह जारी रहेगी। अगर वे बच्चों को छोड़ती है तो फिर जो सैलरी का 100 पर्सेंट पेंशन मिल रही थी उसका 30 पर्सेंट पत्नी को मिलेगा और 70 पर्सेंट बच्चों को मिलेगा।