आज हम आपको बताएंगे कि आखिर केएस राजन्ना कौन है जिन्हें राष्ट्रपति ने पद्मश्री प्रदान किया है! गुरुवार, राष्ट्रपति भवन, पद्मश्री पुरस्कार के लिए डॉ. केसी राजन्ना का नाम उद्घोषित होता है। उद्घोषणा के बाद हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठता है। हॉल में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, पीएम मोदी से लेकर कई गणमान्य व्यक्ति मौजूद हैं। सभी पूरे उत्साह और सम्मान के साथ उस व्यक्ति को स्वागत कर रहे हैं जो हौसले और जज्बे का पर्याय बन चुका है। राजन्ना जब 11 महीने के थे तभी पोलियो के कारण हाथ और पैर गंवाना पड़ा था। आज जब राष्ट्रपति की तरफ पद्म पुरस्कार लेने बढ़ रहे थे तो आंखों में चमक भी थी और सम्मान पाने की खुशी भी। गर्व से सीना चौड़ा भी था और उन लोगों के प्रति आभार भी दिख रहा था जो उनकी खुशी में खुश थे।2003 में पैरालंपिकक में दो मेडल भी जीत चुके हैं। राजन्ना को 54 साल की उम्र में साल राज्य में कमिश्नर नियुक्त किया गया था। राजन्ना मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा धारक है। पुरस्कार ग्रहण करने से पहले वे पीएम मोदी के पास गए। इस पर पीएम ने उनका हाथ पकड़ लिया। इसके बाद राजन्ना ने राष्ट्रपति के सामने मंच पर जाने से पहले शीश झुकाया। उन्होंने राष्ट्रपति का भी विशेष रूप से अभिवादन किया। राष्ट्रपति जब उन्हें पद्मश्री से सम्मानित कर रही थी तब पूरा हॉल में शायद ही कोई होगा जो उनकी उपलब्धि पर गर्व ना कर रहा है। डॉ. राजन्ना को सम्मानित करने वाले पत्र में दिव्यांजनों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध दिव्यांग सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में वर्णित किया गया था।
डॉ. केएस राजन्ना को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किए जाने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। लोग डॉ. राजन्ना के हौंसले की खूब तारीफ कर रहे हैं।1980 में उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा भी हासिल कर लिया। डॉ. राजन्ना ने साल 2003 में पैरालंपिकक में दो मेडल भी जीत चुके हैं। राजन्ना को 54 साल की उम्र में साल राज्य में कमिश्नर नियुक्त किया गया था। राजन्ना मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा धारक है। एक यूजर @Bitt2DA ने लिखा कि आज पद्मश्री पुरस्कार भी धन्य हो गया ऐसे महान इंसान को मिलकर… यह होता है असली सम्मान ! भावुक कर दिया इस वीडियो ने। एक अन्य यूजर ने लिखा कि यह इस व्यक्ति का सम्मान नहीं है बल्कि यह पद्मश्री पुरस्कार का सम्मान है। …यह एक वास्तविक सम्मान है!
डॉ. केएस राजन्ना कर्नाटक के मांड्या जिले के रहने वाले हैं। वह अपने मात-पिता की सातवीं संतान हैं। 11 साल की उम्र में पोलियो की वजह से हाथ-पैर गंवाने के बावजूद उनका उत्साह कभी कम नहीं हुआ। उन्होंने ना सिर्फ अपनी पढ़ाई पूरी की बल्कि लेखन, हस्तशिल्प के साथ ही डिस्कस थ्रो, ड्राइविंग और स्विमिंग भी सीखी। 1975 में उन्होंने स्टेट सिविल सर्विस की परीक्षा पास की। 1980 में उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा भी हासिल कर लिया। डॉ. राजन्ना ने साल 2003 में पैरालंपिकक में दो मेडल भी जीत चुके हैं। राजन्ना को 54 साल की उम्र में साल राज्य में कमिश्नर नियुक्त किया गया था। राजन्ना मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा धारक है।
उन्होंने 2002 में पैरालिंपिक में डिस्कस थ्रो में स्वर्ण पदक और तैराकी में सिल्वर पदक जीतकर एक खिलाड़ी के रूप में प्रशंसा हासिल की है। उन्होंने अपना खुद का बिजनेस शुरू किया। इसमें उन्होंने शारीरिक रूप से विकलांगों सहित 500 से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान किया। डॉ. राजन्ना के अनुसार विकलांग व्यक्तियों (पीडब्ल्यूडी) के लिए कोई राजनीतिक आरक्षण नहीं है। बता दें कि महीने के थे तभी पोलियो के कारण हाथ और पैर गंवाना पड़ा था। आज जब राष्ट्रपति की तरफ पद्म पुरस्कार लेने बढ़ रहे थे तो आंखों में चमक भी थी और सम्मान पाने की खुशी भी। गर्व से सीना चौड़ा भी था और उन लोगों के प्रति आभार भी दिख रहा था जो उनकी खुशी में खुश थे। पुरस्कार ग्रहण करने से पहले वे पीएम मोदी के पास गए। इस पर पीएम ने उनका हाथ पकड़ लिया। इसके बाद राजन्ना ने राष्ट्रपति के सामने मंच पर जाने से पहले शीश झुकाया। उन्होंने राष्ट्रपति का भी विशेष रूप से अभिवादन किया। राष्ट्रपति जब उन्हें पद्मश्री से सम्मानित कर रही थी तब पूरा हॉल में शायद ही कोई होगा जो उनकी उपलब्धि पर गर्व ना कर रहा है। ऐसे में उन्होंने उम्मीद जताई कि यह पुरस्कार राज्य और केंद्र सरकार को एक विकलांग व्यक्ति को विधान परिषद या राज्यसभा के सदस्य के रूप में नियुक्त करने के लिए प्रेरित करेगा।