आज हम आपको बताएंगे कि वास्तविकता में दिल्ली को कौन चला रहा है! आखिर देश की राजधानी दिल्ली को कौन चला रहा है? इस सवाल का जवाब दिल्ली में रहने वाला हर शख्स जानना चाहता है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद यह सवाल खड़ा हुआ है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने बीती सोमवार को दिल्ली के उपराज्यपाल के पक्ष में एक फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि कानून एलजी को दिल्ली नगर निगम में एल्डरमैन नियुक्त करने का अधिकार देता है। फैसले में यह भी कहा गया कि उपराज्यपाल एल्डरमैन नियुक्ति के लिए मंत्री परिषद की सलाह मानने के लिए बाध्य नहीं हैं। यह फैसला आम आदमी पार्टी सरकार के लिए एक और झटका है। हाल ही में भारी बारिश के बाद दिल्ली के हालात बहुत खराब हो गए थे। जगह-जगह पर सीवर लाइनें चोक हो गई थी। नगर निगम स्थायी समिति के गठन की प्रक्रिया में तेजी लाएगा। सुप्रीम कोर्ट की ओर से 15 महीने से सुरक्षित रखा गया फैसला सोमवार को सुनाए जाने के बाद, उपराज्यपाल कार्यालय की ओर से यह पहली प्रतिक्रिया है।सड़कों पर घुटनों तक पानी भर गया था। ऐसे यह स्थिति और भी पेचीदा हो गई है क्योंकि अब यह सवाल उठता है कि आखिर दिल्ली चला कौन रहा है? सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच अधिकारों को लेकर चल रही खींचतान के बीच आया है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला AAP सरकार के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है, क्योंकि इससे दिल्ली सरकार के कामकाज में और भी मुश्किलें आ सकती हैं।
दिल्ली में पिछले महीने बारिश ने बहुत तबाही मचाई है। दिल्ली के IGI एयरपोर्ट पर पानी भर गया और नुकसान भी हुआ। राजेंद्र नगर स्थित एक कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में बारिश का पानी भरने से तीन UPSC के छात्रों की मौत हो गई। इसके अलावा एक छात्र की मौत करंट लगने से हुई। नालों में गिरने से भी दो लोगों की मौत हुई है। बारिश की वजह से दिल्ली में बहुत नुकसान हुआ है। इस बीच दिल्ली में आम आदमी पार्टी सरकार और उपराज्यपाल वी के सक्सेना के बीच तनाव फिर से बढ़ गया है। एलजी दिल्ली के ड्रेनेज सिस्टम से काफी नाराज है। वह दिल्ली के बदहाल नालों का जायजा कर चुके हैं। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को जमकर लताड़ भी लगाई थी।
दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना के कार्यालय ने बुधवार को कहा कि दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) में ‘एल्डरमैन’ की नियुक्ति पर उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद, आम आदमी पार्टी (आप) को ‘आत्मनिरीक्षण’ करने की जरूरत है। उपराज्यपाल कार्यालय की ओर से जारी एक बयान में यह उम्मीद भी जताई गई है कि नगर निगम स्थायी समिति के गठन की प्रक्रिया में तेजी लाएगा। सुप्रीम कोर्ट की ओर से 15 महीने से सुरक्षित रखा गया फैसला सोमवार को सुनाए जाने के बाद, उपराज्यपाल कार्यालय की ओर से यह पहली प्रतिक्रिया है।
प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की पीठ ने सोमवार को दिल्ली सरकार की उस दलील को खारिज कर दिया जिसमें यह कहा गया था कि उपराज्यपाल को एमसीडी में 10 एल्डरमैन की नियुक्ति के मामले में मंत्रिपरिषद की सलाह और सहायता पर कार्य करने के लिए बाध्य माना जाए। उपराज्यपाल सचिवालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, ‘उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने उम्मीद जताई है कि उच्चतम न्यायालय की तीन न्यायाधीशों की पीठ द्वारा ‘एल्डरमैन’ की नियुक्ति के मामले में स्पष्ट रूप से दिए गए फैसले के बाद एमसीडी आवश्यक प्रक्रियाओं को लागू करने के लिए शीघ्रता से कदम उठाएगा, बता रहे हैं सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच अधिकारों को लेकर चल रही खींचतान के बीच आया है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला AAP सरकार के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है, क्योंकि इससे दिल्ली सरकार के कामकाज में और भी मुश्किलें आ सकती हैं। बता दें कि दिल्ली में पिछले महीने बारिश ने बहुत तबाही मचाई है। दिल्ली के IGI एयरपोर्ट पर पानी भर गया और नुकसान भी हुआ। राजेंद्र नगर स्थित एक कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में बारिश का पानी भरने से तीन UPSC के छात्रों की मौत हो गई। जो पिछले लगभग 19 महीनों से लंबित पड़े हैं।’ दिल्ली सरकार पर व्यर्थ मुकदमेबाजी में उलझने का आरोप लगाते हुए उपराज्यपाल कार्यालय ने कहा कि सरकार ने न केवल उच्चतम न्यायालय का समय बर्बाद किया, बल्कि जानबूझकर एमसीडी को भी पंगु बना दिया।