आज हम आपको कश्मीरी पंडित टिक लाल तापलू की कहानी सुनाने जा रहे हैं जिसे हाल ही में पीएम मोदी ने याद किया था! जम्मू-कश्मीर चुनाव में बीजेपी जमकर प्रचार कर रही है। बीजेपी ने कश्मीरी पंडितों को लुभाने के लिए टीका लाल टपलू विस्थापित समाज पुनर्वास योजना के जरिये कश्मीरी पंडितों की ‘घर वापसी’ का वादा किया है। टीका लाल टपलू की आंतकियों ने हत्या कर दी थी। वो बीजेपी के सीनियर नेता थे। आज पीएम मोदी ने भी कश्मीर में एक सभा में टीका लाल टपलू को याद किया। जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के आतंकियों ने आज के दिन यानी 14 सितंबर 1989 को उनकी हत्या की थी। आखिर टीका लाल टपलू कौन हैं, जिनके नाम पर बीजेपी ने योजना शुरू करने का ऐलान किया है। पीएम मोदी ने जम्मू-कश्मीर में एक सभा को संबोधित करते हुए कहा, ‘आपके इसी विश्वास को आगे बढ़ाते हुए जम्मू कश्मीर भाजपा ने आपके लिए एक से बढ़कर एक संकल्प लिए हैं। आज ही हमनें टीका लाल टपलू को याद किया है, उन्हें श्रद्धांजलि दी है। तीन दशक से ज्यादा हो गए, इसी दिन उन्हें आतंकवादियों ने शहीद किया था। उनकी हत्या के बाद कश्मीरी पंडितों के साथ अत्याचार का एक अंतहीन सिलसिला चला। ये भाजपा है, जिसने कश्मीरी पंडितों की आवाज उठाई और उनके हित में काम किया। जम्मू कश्मीर भाजपा ने कश्मीरी हिंदुओ की वापसी और पुनर्वास के लिए टीका लाल टपलू योजना बनाने का ऐलान किया है। इससे कश्मीरी हिंदुओं को उनका हक दिलाने में तेजी आएगी।’
कश्मीरी पंडितों के जाने-माने नेता और भाजपा के वरिष्ठ नेता टीका लाल टपलू की 14 सितंबर 1989 को जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के आतंकवादियों ने हत्या कर दी थी। टपलू एक वकील थे और कश्मीरी पंडितों के लिए आवाp उठाते थे। उनकी हत्या ने घाटी में कश्मीरी पंडितों के खिलाफ हिंसा की एक भयानक लहर शुरू कर दी, जिसके कारण हज़ारों पंडितों को अपना घर छोड़कर भागना पड़ा। टीका लाल टपलू श्रीनगर में पैदा हुए थे और उन्होंने पंजाब और उत्तर प्रदेश में शिक्षा प्राप्त की थी। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद, वे जम्मू और कश्मीर लौट आए और वकालत शुरू कर दी। उनकी हत्या के दिन, एक बच्ची के रोने की आवाज सुनकर वे अपने घर से बाहर निकले थे। बच्ची की मां ने बताया कि उसकी बेटी के स्कूल में फंक्शन था और उसके पास पैसे नहीं थे। टपलू ने तुरंत अपनी जेब से पांच रुपये निकाले और बच्ची को देने लगे, तभी आतंकवादियों ने उन पर गोलियां बरसा दीं।वे जल्द ही कश्मीरी पंडित समुदाय के एक प्रमुख नेता बन गए और 1967 के आंदोलन और आपातकाल के दौरान कई बार जेल भी गए। टपलू बीजेपी के शुरुआती सदस्यों में से एक थे और जम्मू-कश्मीर में पार्टी के उपाध्यक्ष भी बने। वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से भी जुड़े हुए थे।
कश्मीरी पंडितों के लिए टपलू की सक्रियता और उनका भाजपा और आरएसएस से जुड़ाव ने उन्हें आतंकवादियों का निशाना बना दिया। 12 सितंबर 1989 को उनके घर पर हमला हुआ, हालांकि, वे बच निकलने में कामयाब रहे। लेकिन, 14 सितंबर को जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट जाते समय आतंकवादियों ने उन पर हमला कर दिया और उनकी हत्या कर दी। टपलू की हत्या ने घाटी में दहशत का माहौल पैदा कर दिया। कश्मीरी पंडितों को निशाना बनाया जाने लगा और उन्हें जान से मारने की धमकियाँ मिलने लगीं। इस भयावह स्थिति के कारण हजारों कश्मीरी पंडित अपने घरों को छोड़कर दूसरे राज्यों में जाकर बसने के लिए मजबूर हो गए।
टीका लाल टपलू सिर्फ एक नेता नहीं बल्कि एक ऐसे इंसान थे जो लोगों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहते थे। उनकी हत्या के दिन, एक बच्ची के रोने की आवाज सुनकर वे अपने घर से बाहर निकले थे। बच्ची की मां ने बताया कि उसकी बेटी के स्कूल में फंक्शन था और उसके पास पैसे नहीं थे। टपलू ने तुरंत अपनी जेब से पांच रुपये निकाले और बच्ची को देने लगे, तभी आतंकवादियों ने उन पर गोलियां बरसा दीं। टीका लाल टपलू की हत्या ने कश्मीरी पंडितों के घावों को और गहरा कर दिया। बता दें कि आतंकवादियों ने शहीद किया था। उनकी हत्या के बाद कश्मीरी पंडितों के साथ अत्याचार का एक अंतहीन सिलसिला चला। ये भाजपा है, जिसने कश्मीरी पंडितों की आवाज उठाई और उनके हित में काम किया। उनकी हत्या को आज भी कश्मीरी पंडितों के खिलाफ हुए अत्याचारों की याद दिलाता है। यही वजह है कि बीजेपी ने ऐलान किया है अगर उनकी सरकार बनती है तो वे कश्मीरी पंडितों की घर वापसी के लिए योजना चलाएंगे, जिसका नाम टपलू के नाम पर होगा।