हाल ही के दिनों में कई लोगों को लगातार हार्टअटैक आते जा रहे हैं! 24 साल में बंगाली एक्ट्रेस एंड्रिला शर्मा की मौत, 78 साल की मशहूर अभिनेत्री तबस्सुम का निधन, टीवी एक्टर सिद्धांत वीर और कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव ने जिम करते वक्त गंवाई जान। ऐसे कई सेलिब्रिटी और आम लोग हैं, जो हर दिन एक ऐसी बीमारी की चपेट में आकर जिंदगी से हाथ धो रहे हैं, जो आने से पहले कोई दस्तक भी नहीं दे रही है। हां, आपने सही समझा। हम बात कर रहे हैं कार्डियक अरेस्ट की, जिसे आमतौर पर हार्ट अटैक के नाम से जाना जाता है। आंकड़ों के मुताबिक, कोरोना महामारी के बाद अचानक हार्ट अटैक से मरने वालों की संख्या बढ़ गई है। आखिर ऐसा क्या वजह है कि हार्ट अटैक की बीमारी में एकाएक इजाफा हो गया है? ताज्जुब की बात यह है कि अब तक इस साइलेंट किलर को खुलकर चर्चा भी नहीं हो रही है। आमतौर पर हार्ट अटैक से होने वाली मौतों के पीछे कई कारण हुआ करते हैं, मगर पिछले डेढ़ सालों में हार्ट अटैक से ऐसे लोगों की मौत हुई है, जो शारीरिक तौर पर पूरी तरह फिट थे।
जिन लोगों को कोरोना हो चुका है उन लोगों को डॉक्टर विशेष सावधानी बरतने की सलाह देते हैं। ऐसे में हार्ट अटैक के पीछे की असली वजह कोरोना को ही समझा जा रहा है। हालांकि अब तक इसकी कोई पुष्टि नहीं हुई है। एक नई स्टडी से पता चला है कि कोविड से संक्रमित हो चुके लोगों में कई जानलेवा बीमारियों का खतरा तुलनात्मक रूप से अधिक है। इस अध्ययन के आधार पर करोड़ों लोग खतरे के दायरे में आते हैं। द सन की खबर के अनुसार, Heart में छपी रिसर्च में कहा गया है कि कोरोना के चलते अस्पताल में भर्ती हुए लोगों में, अंसक्रमित लोगों की तुलना में, वीनस थ्रोम्बोम्बोलिज़्म (VTE) विकसित होने की संभावना 27 गुना अधिक है। जिन लोगों को इलाज के लिए अस्पताल नहीं जाना पड़ा उनमें VTE विकसित होने की संभावना अंसक्रमितों की तुलना में तीन गुना ज्यादा है। वीटीई एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें नसों में खून का थक्का बन जाता है। अगर यह थक्का बड़ा हो जाए या इसका इलाज न किया जाए तो यह मौत का कारण भी बन सकता है।
लंदन की क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने कहा कि जिन लोगों को कोविड संक्रमण के चलते अस्पताल में भर्ती कराया जाता है, उनमें दिल की धड़कनें रुकने की संभावना 21 गुना और स्ट्रोक आने की संभावना 17 गुना ज्यादा होती है। उनमें एट्रियल फाइब्रिलेशन अनियमित हृदय और पेरीकार्डिटिस हृदय की सूजन और हार्ट अटैक की भी संभावना अधिक होती है। निष्कर्ष बताते हैं कि हृदय रोग और मौत का सबसे बड़ा जोखिम संक्रमण के पहले 30 दिनों के भीतर होता है लेकिन बाद में भी कुछ समय के लिए इसका खतरा रहता है।
हाल फिलहाल में हो रही हार्ट अटैक से मौतों के पीछे कोरोना वैक्सीन को मुख्य कारण बताया जाता है। हालांकि इसके पीछे कोई साइंटिफिक रीजन नहीं है। यह सिर्फ एक बेबुनियाद चर्चा का विषय है। जी बिजनेस हिंदी वेबसाइट को दिए इंटरव्यू में अमृता अस्पताल में कार्डियोलॉजी, प्रोफेसर और एचओडी डॉ विवेक चतुर्वेदी ने बताया है कि भारत में मौजूद कोरोना वैक्सीन और हार्ट अटैक का कोई संबंध नहीं है। हालांकि सोशल मीडिया पर इस बारे में कई तरह के सवाल उठ रहे हैं कि क्या कोरोना वैक्सीन के प्रभाव से हार्ट अटैक के चांसेज बढ़ रहे हैं? इस पर डॉ विवेक का कहना है कि भारत में मौजूद किसी भी वैक्सीन का हार्ट अटैक या दिल से जुड़ी बीमारियों का कोई लिंक नहीं पाया गया है। वहीं राजीव गांधी अस्पताल में कार्डियो सर्जन और सीनियर कंस्लटेंट डॉ. अजीत जैन का मानना है कि ये बात सही है कि इससे जुड़े कोई रिपोर्ट नहीं हैं जो यह साबित करते हों कि इसका हार्ट अटैक से कोई संबंध है, लेकिन भारत में जितनी भी कोरोना की वैक्सीन दी जा रही हैं, उनमें से किसी की भी लॉन्ग स्टडी नहीं हुई है, इनकी स्टडी की जानी चाहिए।
आंकड़ों के अनुसार, भारत में हार्ट अटैक से मरने वालों में 10 में से 4 की उम्र 50 साल से कम है। वहीं 10 साल में भारत में हार्ट अटैक से होने वाली मौतें करीब 75% तक बढ़ गई हैं। अमेरिका के एक रिसर्च जनरल में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2015 तक भारत में 6.2 करोड़ लोगों को दिल से जुड़ी बीमारी हुई। इसमें से 2.3 करोड़ लोग ऐसे थे जिनकी उम्र 40 साल से कम है। यानी, 40 फीसदी दिल के मरीजों की उम्र 40 साल से कम है, ऐसी ही एक स्टडी 2018 में भी आई थी, तब साइंस जर्नल लैंसेट ने दिल की बीमारियों से जुड़े 1990 से 2016 तक के आंकड़े जुटाए थे। इस स्टडी में दावा किया गया था कि 1990 में भारत में होने वाली कुल मौतों में से 15.2% का कारण दिल से जुड़ी बीमारियां थीं। 2016 में ये आंकड़ा बढ़कर 28.1% पर आ गया। यानी, 2016 में भारत में होने वाली हर 100 में 28 मौत का कारण दिल से जुड़ी बीमारियां थीं।