आखिर विरोधियों पर क्यों भड़कते रहते हैं प्रशांत किशोर?

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आज हम आपको बताएंगे कि प्रशांत किशोर विरोधियों पर क्यों भड़कते रहते हैं! ऐसा लगता है, चुनावी विश्लेषक प्रशांत किशोर को बीजेपी विरोधियों के ताने चुभ गए हैं। करन थापर के साथ इंटरव्यू में हुई उनकी नोक-झोंक पर चर्चा गरमाने के बाद भी प्रशांत अपने अनुमानों पर अड़े हैं। उनका कहना है कि केंद्र में बीजेपी सरकार की वापसी की राह में कोई रोड़ा नहीं है, संख्याबल को लेकर चर्चा जरूर हो सकती है। उधर, बीजेपी विरोधी खेमे का जाना-माना चेहरा योगेंद्र यादव ने भी अपने अनुमानों में एनडीए सरकार की वापसी की बात कही। तब प्रशांत किशोर को उनके ऊपर पक्षपात का लांछन लगाने वालों को करारा जवाब देने का मौका मिल गया। उन्होंने योगेंद्र यादव के प्रेडिक्शन का हवाला देकर कहा, ‘4 जून को पता चल जाएगा कि कौन किसकी बात कर रहा है।’ योगेंद्र यादव ने कहा है कि बीजेपी को 240 से 260 सीटें आएंगी जबकि उसके गठबंधन साथियों को 35 से 45 सीटें मिल सकती हैं। यानी एनडीए को कम-से-कम 275 और अधिकतम 305 सीटें आ सकती हैं। बीजेपी को सीटों के रूप में कहीं बड़ा नुकसान होता नहीं दिख रहा है। वो कहते हैं कि अगर बीजेपी उत्तर-पश्चिम भारत के अपने गढ़ में कुछ सीटें गंवा सकती है तो उसे दक्षिण-पूरब में कुछ सीटों का फायदा हो सकता है। इस तरह बीजेपी को 2019 या उससे भी बड़ी जीत मिल सकती है।अगर कम से कम सीटों का अनुमान ही सही मान लिया जाए तो भी सरकार एनडीए की ही बनेगी क्योंकि बहुमत का आकंड़ा 272 ही है। प्रशांत किशोर ने योगेंद्र यादव के इसी अनुमान को लेकर अपनी टिप्पणी सोशल मीडिया एक्स पर साझा की है।

दरअसल, प्रशांत किशोर लंबे समय से यही कह रहे हैं कि बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति लोगों में कुछ हद तक नाराजगी हो सकती है, लेकिन उनके खिलाफ इतना गुस्सा नहीं है कि वोटर उनसे निजात पाने के लिए वोट करे। उनका दावा है कि उत्तर पश्चिमी क्षेत्र में, जो भाजपा का गढ़ है, कुछ सीटें घट भी गईं तो उसे दक्षिण पूर्वी इलाकों में कुछ सीटें मिल जाएंगी। इस तरह बीजेपी को पिछली बार की तरह ही 303 के आसपास या उससे भी ज्यादा सीटें मिल सकती हैं। हालांकि, अगर कोई उनसे सीटों की संख्या को लेकर असहमति जताता है तो प्रशांत कहते हैं कि अगर सीटें घट भी गईं तो 272 के नीचे तो नहीं जाने वालीं और 272 सीटें आ गईं तो सरकार बीजेपी की ही बनेगी।

बता दे कि चुनाव विश्लेषक प्रशांत किशोर लोकसभा चुनावों के परिणाम को लेकर अपने अनुमान के लिए लगातार चर्चा में हैं। देश के बड़े-बड़े मीडिया हाउस के साथ नामी-गिरामी स्वतंत्र पत्रकार भी प्रशांत किशोर से पूछ रहे हैं कि 4 जून को क्या होने वाला है। वो अपने हरेक इंटरव्यू में यही दावा कर रहे हैं कि सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (BJP) फिर से केंद्र की सत्ता में आ रही है और नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं। उनका कहना है कि जमीन पर भाजपा और पीएम मोदी के खिलाफ कोई गुस्सा नहीं दिख रहा, हल्की-फुल्की नाराजगी है भी तो बीजेपी को सीटों के रूप में कहीं बड़ा नुकसान होता नहीं दिख रहा है। वो कहते हैं कि अगर बीजेपी उत्तर-पश्चिम भारत के अपने गढ़ में कुछ सीटें गंवा सकती है तो उसे दक्षिण-पूरब में कुछ सीटों का फायदा हो सकता है। इस तरह बीजेपी को 2019 या उससे भी बड़ी जीत मिल सकती है।

इस पर बीजेपी विरोधियों की त्योरियां चढ़ गई हैं। मीडिया हाउस द वायर के लिए इंटरव्यू कर रहे पत्रकार करन थापर के साथ प्रशांत किशोर की नोक-झोंक भी हो गई। करन ने प्रशांत के विश्लेषण पर पूछ लिया कि वो अपने अनुमानों को लेकर कितना आश्वस्त हैं? उन्होंने कहा कि मई, 2022 में प्रशांत किशोर ने हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के सफाये की बात कही थी जो पूरी तरह गलत निकली, बता दे कि बीजेपी को 240 से 260 सीटें आएंगी जबकि उसके गठबंधन साथियों को 35 से 45 सीटें मिल सकती हैं। यानी एनडीए को कम-से-कम 275 और अधिकतम 305 सीटें आ सकती हैं। अगर कम से कम सीटों का अनुमान ही सही मान लिया जाए तो भी सरकार एनडीए की ही बनेगी क्योंकि बहुमत का आकंड़ा 272 ही है। प्रशांत किशोर ने योगेंद्र यादव के इसी अनुमान को लेकर अपनी टिप्पणी सोशल मीडिया एक्स पर साझा की है। इसलिए वो पूछ रहे हैं कि इस बार उनके अनुमान कितने विश्वसनीय हो सकते हैं। तो आइए हम भी जानने की कोशिश करते हैं कि प्रशांत किशोर के अनुमान और उनकी विश्लेषण क्षमता पर कितना भरोसा किया जा सकता है।