यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्राइम के मामले में धर्म हमेशा क्यों घुसता है! लॉरेंस बिश्नोई कैद में रहकर भी आजाद है और सलमान खान आजाद होकर भी कैद में है, लॉरेंस सच्चा हिंदू है जय श्रीराम, लॉरेंस सच्चा देश भक्त है, हर घर से एक लॉरेंस निकलना चाहिए… सोशल मीडिया के तमाम प्लेटफॉर्म पर आजकल ये ही सब चल रहा है। मुंबई में बाबा सिद्दीकी के मर्डर के बाद से ही लॉरेंस बिश्नोई और सलमान खान टॉप ट्रेंड पर हैं। हर कोई इनसे जुड़ी खबरें और वीडियो देखना चाहता है। किसी जान पर आफत बनी हुई है लेकिन लोगों के लिए ये एक तमाशा है। इस तमाशे को और इंटरेस्टेड बनाने के लिए हिंदू-मुस्लिम एंगल भी जोड़ दिया गया है। पहले कहा जाता था कलाकारों का कोई धर्म नहीं होता, लेकिन सोशल मीडिया यूनिवर्सिटी बता रही है कि सलमान खान ‘मुसलमान’ है और गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई ‘सच्चा हिंदू’। फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब समेत सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लोग बिना किसी संकोच के लॉरेंस का समर्थन कर रहे हैं। साथ ही चेतावनी भी दे रहे हैं कि अब अच्छा मौका हाथ लगा है, इसे नहीं गंवाना है। ताज्जुब की बात है कानून की नाक के नीचे सोशल मीडिया का दुरुपयोग चल रहा है, लेकिन पट्टी हटने के बाद भी कानून को कुछ नहीं दिख रहा है। लोकतांत्रिक देश में लोग सरेआम एक अपराधी का समर्थन कर रहे हैं लेकिन कोई कुछ नहीं बोल रहा है। एक युवा को और बड़ा अपराधी बनने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है, लेकिन सब मौन हैं।
सोशल मीडिया में तमाम पोस्ट और कमेंट्स लॉरेंस बिश्नोई को ‘हिंदू डॉन’ के तौर पर प्रोजेक्ट कर रहे हैं। लोग लॉरेंस का खुला समर्थन करते हुए बोल रहे हैं। लॉरेंस पीछे मत हटना, लॉरेंस हिंदुओं का शेर है। कमेंट्स और पोस्ट करने वालों के लिए कितना आसान है किसी को गलत रास्ता चुनने की सीख देना। लेकिन क्या ये लोग अपने घरों के बच्चों को अपराध की दुनिया में जाने की सीख देंगे। लॉरेंस बिश्नोई 31 साल का युवा है। 10 साल से जेल में बंद है। काले हिरण के शिकार मामले में सलमान खान को हत्या की धमकी देने से चर्चा में है। एक युवा को सही सीख देने की जगह लोग उसे अपराध की दुनिया का ‘दाऊद इब्राहिम’ बनने की नसीहत दे रहे हैं।
लॉरेंस बिश्नोई भी किसी का बेटा है, किसी का भाई है, उसके परिवार ने भी लॉरेंस को लेकर कुछ सपने सजाए होंगे। ये पूरा प्रकरण देखकर उसका परिवार भी दुखी होगा। लेकिन किसी को किसी के इमोशन से क्या फर्क पड़ता है। और फर्क क्यों पड़े उनके बच्चे तो आईआईटी में दाखिला लेना चाहते हैं। किसी का बच्चा आईएएस और आईपीएस बनना चाहता है। दूसरे का बच्चा बर्बाद हो उनपर क्या जोर पड़ेगा। वो तो बस भारत में एक ‘हिंदू डॉन’ को देखना चाहते हैं। सोशल मीडिया पर नफरती माहौल बनाया जा रहा है। जबकि लॉरेंस बिश्नोई खुद अपने इंटरव्यू में कह चुका है कि उसे ना राजनीति में आना है और ना ही किसी गरीब पर अत्याचार करना है। लेकिन सोशल मीडिया उसे जबदस्ती ‘हिंदू डॉन’ बनाने में लगी है।
उधर सलमान खान एक ऐसे एक्टर हैं जिनकी फिल्मों ने देश में ‘100 करोड़ रुपये’ के बिजनेस वाला ट्रेंड सेट किया था। लोग दिवाली और ईद के आसपास लगने वाली सलमान की फिल्मों को हाथोंहाथ लेते हैं। सलमान को सुपर स्टार मानने वालों में मुसलमानों से ज्यादा संख्या हिंदुओं की है। क्या सलमान खान को सिर्फ फिल्मों में ही पसंद करते हैं लोग? क्या रियल लाइफ में सलमान खान को सिर्फ ‘मुसलमान’ के तौर पर देखा जाता है? ऐसे कई सवाल अब खड़े होने लगे हैं। हालांकि बुद्धिजीवियों का एक वर्ग है जो मानता है सोशल मीडिया पर अब हर मामले को लेकर एक नैरेटिव सेट किया जाता है। हिंदू-मुस्लिम करने में लोगों का ज्यादा मजा आता है, इसलिए सलमान और लॉरेंस केस में भी यही हो रही है।
सलमान खान को जान से मारने की धमकी का मामला बेहद गंभीर है। इस मामले को सोशल मीडिया पर मजाक ना बनाएं। साथ ही लॉरेंस बिश्नोई को जबरदस्ती और बड़ा अपराधी बनाने की कवायद भी बंद करें। मीम्स बनाकर मामले की गंभीरता को कमजोर ना करें। सोशल मीडिया पर खुलेआम अपराध और अपराधी का समर्थन करना बेहद खतरनाक है। दरअसल इसकी आड़ में नए अपराधी और नए गैंग एक्टिव हो सकते हैं। देश की शांति व्यवस्था चरमरा सकती है। इसकी आंच सोशल मीडिया पर नफरत फैलाने वालों तक भी पहुंचे, इससे पहले सतर्क हो जाएं।