वर्तमान में चीन लद्दाख में लगातार दखल दे रहा है!लद्दाख में 2020 में चीनी सेना के बीच खतरनाक झड़प के बाद भारतीय सेना ने बेहद सख्त रुख दिखाते हुए ड्रैगन को जैसे का तैसा जवाब दे रहा है। इसका असर अब दिख भी रहा है और चीनी सैनिकों की हिमाकत को अब वहां रह रहे चरवाहे भी करार जवाब दे रहे हैं। कुछ दिन पहले सोशल मीडिया पर आए एक वीडियो में इसकी बानगी भी देखने को मिली। लद्दाख में भारतीय चरवाहों ने चीनी सैनिकों के साथ सख्ती करते दिखे। दरअसल, चरवाहे चारागाहों में अपने जानवर को ले जा रहे थे। यहीं पर चरवाहे और चीनी सैनिकों के बीच बहस हो रही थी। भारतीय चरवाहे अपने पारंपरिक चारागाहों में अंदर तक जा रहे हैं। जब पीपुल्स लिबरेशन आर्मी पीएलए के सैनिक उन्हें वापस धकेलने की कोशिश करते हैं तो चरवाहे अपनी जमीन पर डटे रहते हैं। इससे पहले, अक्सर सेना ही चरवाहों की आवाजाही को सीमित कर देती थी ताकि चीनी सैनिकों के साथ टकराव से बचा जा सके। सोशल मीडिया पर सामने आए एक वीडियो में ऐसे ही एक घटना के अनुसार, निडर चरवाहे पीएलए के सैनिकों का विरोध करते दिख रहे हैं, जो हल्के बख्तरबंद गाड़ियों के साथ उनके पास आए थे। बताया जा रहा है कि यह घटना 2 जनवरी को हुई थी!
खबरों के मुताबिक चीनी सैनिक भारतीय क्षेत्र में एक किलोमीटर अंदर का कागजंग तक आ गए थे। चुशूल निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले लद्दाख हिल काउंसिल के पार्षद कोंचोक स्टैनजिन ने घटना की पुष्टि करते हुए एक्स लिखा कहा, ‘कोई शक नहीं है कि हमारी सेना हमेशा नागरिकों के साथ है। चीनी सैनिक हिमाकत की कोशिश कर रहे थे। लेकिन हमारे चरवाहों ने उनका मजबूती के साथ सामना किया।
गौरतलब है कि गलवान झड़प के बाद से लगभग हर सर्दियों में ऐसी घटनाएं हो रही हैं। हर बार, चीनी सैनिकों की हिमाकत को वहां मौजूद गांव वाले और चरवाहों ने ही रोका था। या फिर स्थानीय लोगों के दावे के अनुसार सादे कपड़ों में आए भारतीय सैनिकों ने। पिछले साल, जब डेमचोक के आसपास सीएनएन जंक्शन क्षेत्र में चरवाहों को पीएलए ने रोका तो सेना ने हस्तक्षेप किया था। कुछ साल पहले इसी तरह की घुसपैठ के एक वीडियो में दिखता है कि कैसे गांव वाले और नागरिक लाठी और पथराव के साथ घुसपैठियों की ओर दौड़ रहे थे। कगजंग और दमचुले इलाकों में ये घटनाएं अक्सर होती रहती हैं। क्योंकि यहां चारागाहों को लेकर दोनों देशों के बीच विवाद है। ये क्षेत्र इसलिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि सर्दियों में जब पशु अपने बच्चे को जन्म देते हैं तो यही चारागाह उनके लिए एकमात्र भोजन का स्रोत होते हैं।
बता दे कि यह न्योमा गांव के पास एलएसी का इलाका है। गांववालों के मुताबिक वे इस जगह पर अपने जानवरों को हमेशा ले जाते हैं। लेकिन चीनी सैनिक उसे अपना इलाका बताते हुए उन्हें रोकने लगे। गांव वालों ने चीनी सैनिकों से कहा कि ये जगह उनकी है और ये उनका चरागाह है। गांव वालों ने चीनी सैनिकों से खूब बहस भी की और चीनी सैनिकों की गाड़ी पर पत्थर भी मारे। वीडियो में चीनी सैनिक पूरे घटनाक्रम को रेकॉर्ड करते दिख रहे हैं और चरवाहों से वापस जाने को कह रहे हैं। चीनी सैनिकों के आर्मर्ड वीइकल भी दिखाई दे रहे हैं। लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल के पास के चरागाह सिर्फ वहां आसपास रहने वाले गांव वालों और उनके पशुओं के लिए ही अहम नहीं है बल्कि यह भारत की सीमा की सुरक्षा के लिहाज से भी अहम हैं। इसलिए आए दिन कभी चीन के सैनिक भारत के लोगों को वहां अपने पशु ले जाने से रोकते हैं तो कभी भारतीय सैनिक चीन की तरफ से आए लोगों को अपने पशु वहां से दूर ले जाने के लिए कहते हैं। कगजंग और दमचुले इलाकों में ये घटनाएं अक्सर होती रहती हैं। क्योंकि यहां चारागाहों को लेकर दोनों देशों के बीच विवाद है। ये क्षेत्र इसलिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि सर्दियों में जब पशु अपने बच्चे को जन्म देते हैं तो यही चारागाह उनके लिए एकमात्र भोजन का स्रोत होते हैं।चरागाह इसलिए भी अहम हैं क्योंकि इसके जरिए दोनों देश उस जगह पर अपना दावा पुख्ता करते हैं। जिन जगहों पर भारत के लोग अपने पशुओं को लेकर जाते हैं वह भारत का इलाका है और भले ही चीन उसे अपना बताता है लेकिन भारतीय चरवाहे उस जगह पर भारतीय दावे को पुख्ता करते हैं।