Friday, November 22, 2024
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आखिर आरक्षण पर क्यों गरमा रही है सियासत?

हाल ही में आरक्षण पर सियासत पूरी तरह से गरमा गई है! केंद्र के विभिन्न मंत्रालयों में जॉइंट सेक्रेटरी, डायरेक्टर और डिप्टी सेक्रेटरी के प्रमुख पदों पर ‘लैटरल एंट्री’ के जरिए 45 स्पेशलिस्ट नियुक्त किए जाने के फैसले पर विपक्षी दलों ने निशाना साधा है। कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) ने इस फैसले को एससी, एसटी और ओबीसी के खिलाफ बताया है और केंद्र से इस फैसले को वापस लेने की मांग की है। यूपीएससी ने बीते शनिवार को इन पदों के लिए विज्ञापन दिया है, जिसमें 10 जॉइंट सेक्रेटरी, 35 डायरेक्टर और डिप्टी सेक्रेटरी के पद शामिल है। इन पदों को कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर लैटरल एंट्री के जरिए से भरा जाना है।समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक्स पर लिखा कि ये देश के खिलाफ एक बड़ा षड्यंत्र है। उन्होने अधिकारियों और युवाओं से आग्रह है कि अगर बीजेपी सरकार इसे वापस न ले तो आगामी 2 अक्टूबर से एक नया आंदोलन शुरू करने में हमारे साथ कंधे-से-कंधा मिलाकर खड़े हों। सरकारी तंत्र पर कॉरपोरेट के कब्जे को हम बर्दाश्त नहीं करेंगे क्योंकि कॉरपोरेट की अमीरोंवाली पूंजीवादी सोच ज्यादा से ज्यादा लाभ कमाने की होती है। ऐसी सोच दूसरे के शोषण पर निर्भर करती है, जबकि हमारी ‘समाजवादी सोच’ गरीब, किसान, मजदूर, नौकरीपेशा, अपना छोटा-मोटा काम-कारोबार-दुकान करनेवाली आम जनता के पोषण और कल्याण की है। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी अपनी विचारधारा के संगी-साथियों को पिछले दरवाजे से यूपीएससी के उच्च सरकारी पदों पर बैठाने की जो साजिश कर रही है, उसके खिलाफ एक देशव्यापी आंदोलन खड़ा करने का समय आ गया है।

नरेंद्र मोदी संघ लोक सेवा आयोग की जगह ‘राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ’ के जरिए लोकसेवकों की भर्ती कर संविधान पर हमला कर रहे हैं। केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों में महत्वपूर्ण पदों पर लेटरल एंट्री के ज़रिए भर्ती कर खुलेआम SC, ST और OBC वर्ग का आरक्षण छीना जा रहा है। मैंने हमेशा कहा है कि टॉप ब्यूरोक्रेसी समेत देश के सभी शीर्ष पदों पर वंचितों का प्रतिनिधित्व नहीं है, उसे सुधारने के बजाय लेटरल एंट्री द्वारा उन्हें शीर्ष पदों से और दूर किया जा रहा है। यह UPSC की तैयारी कर रहे प्रतिभाशाली युवाओं के हक़ पर डाका और वंचितों के आरक्षण समेत सामाजिक न्याय की परिकल्पना पर चोट है। ‘चंद कॉरपोरेट्स’ के प्रतिनिधि निर्णायक सरकारी पदों पर बैठ कर क्या कारनामे करेंगे इसका ज्वलंत उदाहरण SEBI है, जहां निजी क्षेत्र से आने वाले को पहली बार चेयरपर्सन बनाया गया। प्रशासनिक ढांचे और सामाजिक न्याय दोनों को चोट पहुंचाने वाले इस देश विरोधी कदम का INDIA मजबूती से विरोध करेगा। ‘IAS का निजीकरण’ आरक्षण खत्म करने की ‘मोदी की गारंटी’ है।

कांग्रेस की दोहरी नीति सीधी भर्ती के मामले में साफ दिख रही है। दरअसल, लैट्रल एंट्री की शुरुआत तो यूपीए सरकार ने ही की थी। साल 2005 में यूपीए सरकार ने ही दूसला प्रशासनिक सुधार आयोग बनाया था, जिसके अध्यक्ष वीरप्पा मोइली थे। यूपीए काल के प्रशासनिक सुधार आयोग ने खास ज्ञान की जरूरत वाले पदों पर विशेषज्ञों की भर्ती की सिफारिश की थी। एनडीए सरकार ने इस सिफारिश को लागू करने के लिए एक पारदर्शी तरीका बनाया है। भर्तियां अब यू पी एस सी के जरिए पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से होंगी। इस सुधार से देश का कामकाज बेहतर होगा।

बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने कहा कि केंद्र में विभिन्न कैटिगरी के 45 उच्च पदों पर सीधी भर्ती का फैसला सही नहीं है क्योंकि सीधी भर्ती के माध्यम से नीचे के पदों पर काम कर रहे कर्मचारियों को प्रमोशन के लाभ से वंचित रहना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि इन सरकारी नियुक्तियों में एससी, एसटी और ओबीसी वर्गों के लोगों को उनके कोटे के अनुपात में अगर नियुक्ति नहीं दी जाती है तो यह संविधान का सीधा उल्लंघन होगा। साथ ही उन्होंने कहा कि इन उच्च पदों पर सीधी नियुक्तियों को बिना किसी नियम के बनाए हुए भरना बीजेपी सरकार की मनमानी होगी, जो कि गैर- कानूनी और असंवैधानिक होगा।

तेजस्वी यादव ने लिखा, ‘केंद्र की मोदी सरकार बाबा साहेब के लिखे संविधान और आरक्षण के साथ कैसा घिनौना मजाक और खिलवाड़ कर रही है, यह विज्ञापन उसकी एक छोटी सी बानगी है।’ आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने कहा, “भारतीय जनता पार्टी आरक्षण विरोधी पार्टी है। यह पार्टी पूरे देश में पिछड़ों, वंचितों और दलितों का आदिवासियों का आरक्षण खत्म करना चाहती है। इनको 240 सीटें ही मिलीं। अगर इनकी 300 सीटें भी आ जातीं तो ये जॉइंट सेशन बुलाकर संविधान ही बदल देते। ये आरक्षण खत्म कर देते।”

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