आज हम आपको बताएंगे कि देश में पहली बार एडिशनल एनएसए का पोस्ट क्यों बनाया गया है! क्या भारत के जेम्स बॉन्ड कहे जाने वाले अजित डोभाल के बाद राजिंदर खन्ना राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) होंगे? बीते दिनों राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय (एनएससीएस) में कई बदलाव हुए। नरेंद्र मोदी 9 जून, 2014 को तीसरी बार प्रधानमंत्री बने तो अगले ही दिन 10 जून से अजित डोभाल का भी तीसरा कार्यकाल शुरू हो गया। वो 2014 और 2019 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के साथ-साथ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्त होते रहे। लेकिन पीएम मोदी के तीसरे कार्यकाल में एनएससीएस में एक नई बात हुई है। वो यह कि पहली बार एडिशनल एनएसए की नियुक्ति हुई है। यह नया पद राजिंदर खन्ना को दिया गया है जो डेप्युटी एनएसए के पोस्ट से प्रमोट हुए हैं। राजिंदर खन्ना देश की एक्सटर्नल इंटेलिजेंस एजेंसी रॉ के प्रमुख रह चुके हैं। दरअसल, मोदी सरकार ने अपने तीसरे कार्यकाल में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय का पुनर्गठन कर दिया है। बदलावों में रिपोर्टिंग सिस्टम में चेंज भी शामिल है। रिपोर्टिंग में बदलाव दोनों स्तरों पर हुए हैं- पहला सचिवालय के अंदर और दूसरा एनएसए ऑफिस एवं केंद्रीय मंत्रियों के बीच। एनएसए पहले से बड़े संगठन के मुखिया बन गए हैं। अब तक उनके अंदर सिर्फ तीन डेप्युटी हुआ करते थे, लेकिन अब एक एडिशनल एनएसए भी हैं। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार और भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड (एनएसएबीआई) रहे संजय बारू बताते हैं कि अब एनएसए का मुख्य काम एडवाइजरी का हो गया है जबकि ऑपरेशनल मामलों में उनकी भूमिका घटी है। बारू ने अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित अपने लेख में कहा है कि अब एनएसए डोभाल राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड (एनएसएबीआई) और स्ट्रैटिजिक पॉलिसी ग्रुप (एसपीजी) जैसे सलाहकार संस्थाओं के साथ डील करेंगे।
बारू कहते हैं कि चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) और तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ-साथ रक्षा, गृह और विदेश समेत कुछ और विभागों के सचिव एनएसए को रिपोर्ट तो करते ही हैं, ये सभी अपने मंत्रियों को भी रोजमर्रा की रिपोर्टिंग करते हैं। ऐसे में देखना होगा कि इन विभागों के मंत्री नए बदलावों को किस नजरिए से देखते हैं।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल तक या फिर अगले आदेश तक अपने पद पर बने रहेंगे। बारू का कहना है कि वैसे तो प्रधानमंत्री के प्रधान सलाहकार सिविल ब्यूरोक्रेसी से डील करते हैं, लेकिन अगर एनएसए ने अति-सक्रियता दिखाकर कैबिनेट सेक्रेटरी और सरकार के अन्य सेक्रेटरीज की मीटिंग लेने लगे तो खींचतान की स्थिति हो सकती है।
संजय बारू को मुताबिक, एडिशनल एनएसए का जो पद क्रिएट किया गया है, वो अब एनएस और मिड लेवल के छह यूनिट हेड्स के बीच गेटकीपर की भूमिका निभाएगा। ये यूनिट हेड तीन डिप्टी एनएसए और तीनों सेनाओं के प्रमुख हैं। इसका मतलब है कि प्रधानमंत्री और रोजमर्रा के स्तर पर राष्ट्रीय सुरक्षा की मॉनिटरिंग करने वालों के बीच नौकरशाही का एक और लेयर बन गया है। सवाल है कि क्या अब भी प्रधानमंत्री को हर दिन एनएसए ही ब्रीफ करेंगे या फिर यह जिम्मेदारी अब एडिशनल एनएसए के पास चली गई है या फिर एनएसए और एडिशनल एनएसए दोनों मिलकर पीएम को ब्रीफ करेंगे? एक और सवाल है कि रॉ और आईबी के प्रमुखों का और फिर सीडीएस का पीएम के साथ रिश्ते कैसे होंगे?
बारू का कहना है कि इन बदलावों ने सिविल और मिलिट्री दोनों ब्यूरोक्रेसीज के अंदर कई तरह से सवाल खड़े कर दिए हैं। अटकलें तो इस बात की भी लग रही हैं कि क्या मोदी सरकार ने राजिंदर खन्ना को प्रमोट करके एनएसए डोभाल को कोई संदेश दिया है। इन्हीं अटकलों के बीच यह भी कहा जा रहा है कि संभव है कि अजित डोभाल अपना कार्यकाल पूरा करेंगे, उसके बाद ही राजिंदर खन्ना को उनकी जगह दी जाएगी। बता दें कि सभी अपने मंत्रियों को भी रोजमर्रा की रिपोर्टिंग करते हैं। ऐसे में देखना होगा कि इन विभागों के मंत्री नए बदलावों को किस नजरिए से देखते हैं। बारू का कहना है कि वैसे तो प्रधानमंत्री के प्रधान सलाहकार सिविल ब्यूरोक्रेसी से डील करते हैं, लेकिन अगर एनएसए ने अति-सक्रियता दिखाकर कैबिनेट सेक्रेटरी और सरकार के अन्य सेक्रेटरीज की मीटिंग लेने लगे तो खींचतान की स्थिति हो सकती है। डोभाल की तीसरी नियुक्ती में कहा गया है कि वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल तक या फिर अगले आदेश तक अपने पद पर बने रहेंगे।