हाल ही में संसद से गांधी और अंबेडकर की प्रतिमा को हटा दिया गया है! संसद भवन परिसर में महापुरुषों की मूर्तियां हटाए जाने को लेकर जो विवाद उठा, उस पर लोकसभा सचिवालय की सफाई आई है। सचिवालय की ओर से कहा गया कि सेंट्रल विस्टा के तहत सौंदर्यीकरण के चलते यह मूर्तियां हटाई गई हैं। काम खत्म होने के बाद उन्हें उचित तरीके से प्रदर्शित किया जाएगा। कहा गया कि संसद भवन परिसर से किसी भी महापुरुष की प्रतिमा को हटाया नहीं गया है, बल्कि उन्हें संसद भवन परिसर के अंदर ही व्यवस्थित और सम्मानजनक रूप से स्थापित किया जा रहा है। बता दें कि इस प्रेरणा स्थल’ को इस प्रकार विकसित किया जा रहा है कि संसद परिसर में भ्रमण के लिए आने वाले आगंतुक इन महापुरूषों की प्रतिमाओं का सुगमता से दर्शन कर सकें और उनके जीवन दर्शन से प्रेरणा ले सकें। इस ‘प्रेरणा स्थल’ में हमारे महापुरुषों एवं स्वतंत्रता सेनानियों के जीवन व उनके योगदान के बारे में आगंतुकों को आधुनिक तकनीक के माध्यम से विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराने की भी व्यवस्था की जा रही है। यही नहीं इन महापुरुषों और स्वतंत्रतता सेनानी महानायकों ने अपने जीवन दर्शन और अपने कृतित्व से देश के जनजातीय गौरव को स्थापित किया, शोषित-वंचित समाज के उत्थान का मार्ग प्रशस्त किया है। वे हमारे राष्ट्र की वर्तमान एवं आने वाली पीढ़ियों के लिए शाश्वत प्रेरणा के स्रोत हैं। उल्लेखनीय है कि सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत चल रहे काम के चलते संसद परिसर में लगी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, संविधान निर्माता बाबा साहेब अंबेडकर और छत्रपति शिवाजी की प्रतिमाओं को उनकी जगह से हटाया गया है। जिसे लेकर कांग्रेस ने गुरुवार को सवाल भी उठाया। कांग्रेस के मीडिया प्रभारी जयराम रमेश ने मुद्दे को सोशल मीडिया पर उठाते हुए निशाना साधा कि संसद भवन के सामने छत्रपति शिवाजी महाराज, महात्मा गांधी और बाबासाहेब अंबेडकर की मूर्तियों को उनके विशिष्ट स्थानों से हटा दिया गया है। यह बेहद अपमानजनक हरकत है।
इसके बाद लोकसभा सचिवालय की ओर से कहा गया कि संसद के नए भवन के निर्माण के पश्चात संसद परिसर में लैंडस्केपिंग और सौंदर्यीकरण की कार्य योजना बनायी गई है, ताकि इस परिसर को संसद की उच्च गरिमा और मर्यादा के अनुरूप भव्य और आकर्षक बनाया जा सके। संसद परिसर में देश के महापुरुषों और स्वतंत्रता सेनानियों की प्रतिमाएं कैंपस के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग स्थानों पर स्थापित की गई थीं। इन महापुरुषों और स्वतंत्रतता सेनानी महानायकों ने अपने जीवन दर्शन और अपने कृतित्व से देश के जनजातीय गौरव को स्थापित किया, शोषित-वंचित समाज के उत्थान का मार्ग प्रशस्त किया है। वे हमारे राष्ट्र की वर्तमान एवं आने वाली पीढ़ियों के लिए शाश्वत प्रेरणा के स्रोत हैं।
संसद परिसर में अलग अलग स्थानों पर स्थित होने की वजह आगंतुक इन प्रतिमाओं को सुविधाजनक रूप से नहीं देख पाते थे। इसलिए इन सभी प्रतिमाओं को संसद भवन परिसर में ही सम्मानजनक रूप से एक भव्य ‘प्रेरणा स्थल’ में स्थापित किया जा रहा है। इस प्रेरणा स्थल’ को इस प्रकार विकसित किया जा रहा है कि संसद परिसर में भ्रमण के लिए आने वाले आगंतुक इन महापुरूषों की प्रतिमाओं का सुगमता से दर्शन कर सकें और उनके जीवन दर्शन से प्रेरणा ले सकें। इस ‘प्रेरणा स्थल’ में हमारे महापुरुषों एवं स्वतंत्रता सेनानियों के जीवन व उनके योगदान के बारे में आगंतुकों को आधुनिक तकनीक के माध्यम से विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराने की भी व्यवस्था की जा रही है।
जिसे लेकर कांग्रेस ने गुरुवार को सवाल भी उठाया। कांग्रेस के मीडिया प्रभारी जयराम रमेश ने मुद्दे को सोशल मीडिया पर उठाते हुए निशाना साधा कि संसद भवन के सामने छत्रपति शिवाजी महाराज, इसके बाद लोकसभा सचिवालय की ओर से कहा गया कि संसद के नए भवन के निर्माण के पश्चात संसद परिसर में लैंडस्केपिंग और सौंदर्यीकरण की कार्य योजना बनायी गई है,काम खत्म होने के बाद उन्हें उचित तरीके से प्रदर्शित किया जाएगा। कहा गया कि संसद भवन परिसर से किसी भी महापुरुष की प्रतिमा को हटाया नहीं गया है, बल्कि उन्हें संसद भवन परिसर के अंदर ही व्यवस्थित और सम्मानजनक रूप से स्थापित किया जा रहा है। ताकि इस परिसर को संसद की उच्च गरिमा और मर्यादा के अनुरूप भव्य और आकर्षक बनाया जा सके। संसद परिसर में देश के महापुरुषों और स्वतंत्रता सेनानियों की प्रतिमाएं कैंपस के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग स्थानों पर स्थापित की गई थीं।महात्मा गांधी और बाबासाहेब अंबेडकर की मूर्तियों को उनके विशिष्ट स्थानों से हटा दिया गया है। यह बेहद अपमानजनक हरकत है। जिससे विज़िटर्स उनके जीवन और विचारों से प्रेरणा ले सकें।