क्या अमेरिका में हो रहा है लोगों पर अत्याचार?

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वर्तमान में अमेरिका में लोगों पर अत्याचार हो रहा है !अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर अकसर अमेरिका भारत को प्रवचन देता रहता है। लेकिन वो खुद अपने गिरेबां में झांक कर नहीं देखता कि उनके यहां क्या हो रहा। किस तरह कैंपस में घुसकर अमेरिकी पुलिस गुंडागर्दी कर रही। स्टूडेंट्स को अरेस्ट कर रही। यहां तक कि छात्राओं को पुरुष पुलिसवाले गिरफ्तार कर रहे। फिलीस्तीन के समर्थन में विरोध-प्रदर्शन करने के आरोप में एक भारतीय मूल की छात्रा को अरेस्ट किया गया है। स्टूडेंट्स ही नहीं अमेरिकी पुलिस महिला प्रोफेसर को भी नहीं बख्श रही। उन्हें भी घसीटते हुए अरेस्ट करती नजर आ रही। इस चौंकाने वाली घटना वीडियो भी वायरल हो रहा जिसमें दो पुरुष पुलिसकर्मी महिला प्रोफेसर को जमीन पर पटक देते हैं और टॉर्चर करते हुए गिरफ्तार करते हैं। इस वीडियो को देखकर कोई भी सन्न रह जाए। यही नहीं पुलिस टॉर्चर का एक और चौंकाने वाला मामला अमेरिका के ओहयो स्टेट में सामने आया। पुलिस ने एक अश्वेत शख्स को पकड़ने के दौरान इसकदर प्रताड़ित किया कि 53 वर्षीय युवक की मौत हो गई। इस घटना को लेकर भी पुलिस की कड़ी आलोचना हो रही। अमेरिका में हो रही इन घटनाओं ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि अमेरिका अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर खुद को चैंपियन के तौर पर पेश करता रहा है। उसने भारत समेत दूसरे देशों पर इसे लेकर सवाल भी उठाए हैं। हालांकि, अभी जो अमेरिका में हो रहा इससे उसके दोहरे मानदंड का पता चलता है। कैसे वो अपने घर पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन तो करता दिख ही रहा, विदेशों में भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में हेरफेर करता नजर आता है। इसके कई उदाहरण एक के बाद एक सामने आ रहे हैं।

अमेरिका में इस सबसे बड़ा मुद्दा कॉलेज और यूनिवर्सिटीज में छात्रों के प्रदर्शन से जुड़ा है। जानकारी के मुताबिक, ये प्रदर्शन इजरायल के खिलाफ और फिलीस्तीन के समर्थन में हो रहे हैं। वैसे ये प्रदर्शन कई दिनों से चल रहा था लेकिन हाल के दिनों में ये काफी तेजी से बढ़ता दिख रहा। इसकी वजह है अमेरिकी पुलिस की कॉलेज-यूनिवर्सिटी कैंपस में घुसकर की गई कार्रवाई। जिसमें कई छात्र-छात्राओं को पकड़ा गया। एक भारतीय मूल की छात्रा को भी अरेस्ट किया गया। मामला अमेरिका के प्रिंसटन विश्वविद्यालय का है, जहां पढ़ने वाली भारतीय मूल की छात्रा समेत दो स्टूडेट्स को कैंपस में फिलस्तीन के समर्थन में विरोध-प्रदर्शन के आरोप में गिरफ्तार किया गया। उनके कैंपस में प्रवेश करने पर रोक लगा दी गई है। छात्रा का नाम अचिंत्य शिवलिंगन कोयंबटूर में जन्मी और कोलम्बस में पली-बढ़ी हैं। अचिंत्य को यूनिवर्सिटी कैंपस में प्रवेश से रोक दिया गया है और अनुशासनात्मक कार्रवाई भी की जा रही है।

वहीं अमेरिकी पुलिस की ज्यादती का एक और मामला तब सामने आया जब यूनिवर्सिटी की एक महिला प्रोफेसर को गिरफ्तार किया गया। महिला प्रोफेसर को पकड़ने के लिए पुरुष पुलिसकर्मी आए थे। प्रोफेसर ने इसका विरोध किया तो पुलिस ने उन्हें जमीन पर गिरा दिया और फिर टॉर्च करते हुए हथकड़ी लगा दी। इस दौरान वह महिला चिल्ला रही थी कि वो एक प्रोफेसर हैं। फिर भी पुलिसकर्मी नहीं माने। पूरा घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है। इस वीडियो को देखकर पुलिस के रवैये पर सवाल खड़े हो जाते हैं। जरा सोचिए, जिस तरह की कार्रवाई अमेरिकी यूनिवर्सिटी के कैंपस में हुई अगर भारत में ऐसा हुआ होता, तो बवाल ही मच जाता। अमेरिका खुद ऐसी घटना पर रिएक्ट किए बिना रहता।

अमेरिकी पुलिस की ज्यादती का ये अकेला मामला नहीं है। यूएस के ओहयो स्टेट में पुलिस का बर्बर रूप नजर आया। हुआ ये कि पुलिस जब अश्वेत शख्स 53 वर्षीय फ्रैंक टायसन को पकड़ने गई तो उन्होंने उसकी गर्दन को पैरों से जकड़ लिया। उसे जमीन पर गिराकर हथकड़ियां लगाईं। गिरफ्तारी के दौरान वो शख्स बार-बार चिल्लाता रहा कि सांस नहीं ले पा रहा। बावजूद इसके पुलिस ने उसकी बात पर गौर नहीं किया। इस दौरान उस शख्स की हालत इतनी बिगड़ गई कि करीब 15 मिनट में ही उसकी मौत हो गई। टायसन 18 अप्रैल को हुई एक कार दुर्घटना के मामले में आरोपी थे। हालांकि जिस तरह से पुलिस ने उनके साथ सलूक किया वो सन्न करने वाला था। ये पूरा घटनाक्रम पुलिसवालों के बॉडीकैम में रिकॉर्ड हो गया। जिसे देखने के बाद हर कोई पुलिसिया करतूत पर सवाल खड़े कर रहा।

वहीं अमेरिका में हो रहे इन प्रदर्शन को लेकर भारतीय विदेश मंत्रालय ने भी रिएक्ट किया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की आजादी और सुरक्षा व्यवस्था के बीच संतुलन जरूरी है। इस दौरान उन्होंने अमेरिका को टारगेट करते हुए कहा कि हम सभी को इस बात से आंका जाता है कि हम घर में क्या करते हैं, न कि इस आधार पर कि हम विदेश में क्या करते हैं। इस दौरान उन्होंने अमेरिकी यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे भारतीय छात्रों को लेकर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि इंडियन एंबेसी भारतीय छात्रों के साथ संपर्क में है।

हाल के वर्षों में संयुक्त राज्य अमेरिका में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में गिरावट आई है। द न्यूयॉर्क टाइम्स और सिएना कॉलेज की ओर से आयोजित 2022 के राष्ट्रीय सर्वे में 66% प्रतिभागियों का कहना है कि उन्हें विश्वास नहीं है कि अमेरिकी स्वतंत्र भाषण का आनंद लेते हैं। 8% का यह भी कहना है कि अमेरिकियों को बोलने की आजादी नहीं है। फ्री स्पीच इंस्टीट्यूट की 2022 यूएस स्टेट फ्री स्पीच इंडेक्स रिपोर्ट के अनुसार, अधिकांश राज्यों का प्रदर्शन स्वतंत्र भाषण और सभा के अधिकार का सम्मान करने में खराब है।