Wednesday, May 14, 2025
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क्या आप और सपा की सीट शेयरिंग से नाराज है कुछ खास लोग?

आप और सपा की सीट शेयरिंग से कुछ खास लोग नाराज हो चुके हैं! कांग्रेस और आम आदमी पार्टी आप के बीच चुनावी तालमेल फाइनल होने के बाद शनिवार को दोनों दलों ने दिल्ली में अपने तालमेल और सीट बंटवारे का ऐलान किया। इसमें पांच राज्यों की कुल 46 सीटों को लेकर तालमेल हुआ, जिसमें से सात सीटों पर आप और 39 सीटों पर कांग्रेस बतौर इंडिया गठबंधन चुनाव लडेंगी। जिन राज्यों में तालमेल हुआ है, उसमें दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, गोवा व चडीगढ़ शामिल हैं। आप दिल्ली की चार, हरियाणा में एक व गुजरात में दो सीटों पर लड़ेंगी। इसके अलावा, असम को लेकर भी दोनों दलों के बीच तालमेल को लेकर बात चल रही है। कहा जा रहा है कि वहां दोनों चुनावी संभावनाएं टटोल रहे हैं।हालांकि इस तालमेल को लेकर दोनों दलों के बीच यह चर्चा भी तेज है कि दिल्ली सहित गोवा, गुजरात में एक दूसरे के खिलाफ लड़ते आए इन दोनों ही पार्टियों के कार्यकर्ता कितना एक दूसरे के साथ आ पाएंगे, यह देखने वाली बात होगी। वहीं इन दोनों दलों के बीच आपसी आपसी भरोसे की कमी भी एक बड़ा मुद्दा है, जिसका इशारा बीजेपी भी कर रही है। लेकिन फिलहाल घटक दलों के नेताओं का कहना है कि बीजेपी के सामने कांग्रेस या आम आदमी पार्टी नहीं बल्कि इंडिया गठबंधन लड़ रहा है। वहीं पंजाब में दोनों ही दलों ने मिलकर अलग-अलग चुनाव लड़ने का फैसला किया है। बात अगर गुजरात की करें तो कांग्रेस ने वहां भरूच व भावनगर की सीट आप को दी है। 2019 में राज्य की सभी 26 सीटों पर बीजेपी को जीत मिली थी, जबकि कांग्रेस नंबर दो पर रही थी। वोटों की बात की जाए तो बीजेपी को उस चुनाव में 63 फ़ीसदी से ज्यादा तो कांग्रेस को 32.6 फ़ीसदी वोट मिले थे। जबकि आप तब मैदान में ही नहीं थी। वहीं 2022 के असेंबली चुनाव में बीजेपी सभी 182 सीटों पर लड़ी, जबकि कांग्रेस एनसीपी के साथ मिलकर 181 सीटों पर और आम आदमी पार्टी 180 सीटों पर लड़ी। इस चुनाव में बीजेपी को 52.5 फ़ीसदी वोट और 156 सीटें आईं, जबकि कांग्रेस को 27.28 फीसदी वोट और 17 सीटें मिलीं तो वही आपको 12.9 फीसदी वोट और पांच सीटें मिलीं। कहा जा रहा है कि पिछले असेंबली चुनाव में 12 फ़ीसदी से ज्यादा वोट प्रतिशत के आधार पर ही आम आदमी पार्टी वहां दो सीटों का दावा कर रही है। गौरतलब है कि दोनों ही सीटों पर आप ने अपने मौजूदा विधायकों को मैदान में उतारा है। भरूच से ट्राइबल चेहरा चैतर वसावा हैं तो वहीं भावनगर से ओबीसी नेता व उमेश मकवाणा। दोनों ही सीटों पर बीजेपी का कब्जा पिछले तीन दशकों से बना हुआ है। जहां भरूच सीट पर आदिवासी सीटों का बाहुल्य है तो भावनगर में ओबीसी का। 38 फीसदी एसटी बहुल सीट पर बीजेपी के मनसुख वसावा सांसद हैं। जबकि भावनगर में बीजेपी की ओबीसी चेहरा भारतीबेन शियाल सांसद हैं। मकवाधा कोली समाजसे आते हैं, जिसकी तादाद इस इलाके पर ठीक-ठीक है। हालांकि भरूच कांग्रेस के दिग्गज नेता अहमद पटेल का गढ़ रहा है, जहां से उनका परिवार भी दावेदारी कर रहा है।

हरियाणा में पिछली बार कांग्रेस प्रदेश की सभी दस सीटों पर नंबर 2 पर रही थी। पिछले चुनाव में आम आदमी पार्टी अजय चौटाला व दुष्यंत चौटाला की जेजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ी थी। जिसमें 7 सीटों पर जेजेपी और तीन सीटों पर आम आदमी पार्टी मुकाबले में थी। पिछले लोकसभा चुनाव में जहां बीजेपी को 58 फ़ीसदी, कांग्रेस को 28.4 जबकि आप को नगण्य ने वोट मिले थे। पिछली बार आप अंबाला, फरीदाबाद और करनाल से लड़ी थी। . उसी साल हुए असेंबली चुनाव में आम आदमी पार्टी ने अपनी उम्मीदवार नहीं उतारे तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस इस बार भी 28 फ़ीसदी से ज्यादा वोट पाने में कामयाब रही। इस आधार पर कांग्रेस ने नौ और आप ने एक सीट कुरुक्षेत्र की लेना तय किया है। हरियाण के लिए माना जाता है कि यह आप के मुखिया अरविंद केजरीवाल का गृह प्रदेश है। दिल्ली व पंजाब के बीच स्थित इस राज्य में अपनी जगह बनाने के लिए आप काफी जद्दोजहद कर रही है।

पिछले लोकसभा चुनाव में गोवा की दो सीटों में से एक कांग्रेस और एक बीजेपी को मिली थी। बीजेपी को जहां 51 फ़ीसदी से ज्यादा वोट मिले थे तो वहीं कांग्रेस को लगभग 43 फीसदी, जबकि आम आदमी पार्टी ने दोनों सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन उसे कामयाबी नहीं मिली। 2019 में वोटो के हिसाब से उसकी भागीदारी 3.1 फीसदी रही थी। 2022 के विधानसभा चुनाव में गोवा की 40 सीटों के लिए कांग्रेस ने गोवा फॉरवर्ड पार्टी के साथ चुनाव लड़ा था, जबकि आम आदमी पार्टी ने 39 सीटों पर मुकाबले में थी। बीजेपी के 33 फ़ीसदी वोट 20 सीट के सामने कांग्रेस को 23.5 फ़ीसदी वोट के साथ 11 सीटें और आम आदमी पार्टी को 6.7 वोट के साथ दो सीटें मिली थीं. पिछले दोनों ही चुनावेां में कांग्रेस के प्रदर्शन को देखते हुए वहां आम आदमी पार्टी ने अपना उम्मीदवार नहीं उतारने का फैसला किया है।भले ही हालिया घटनाक्रम में सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद चंडीगढ़ में आम आदमी पार्टी अपना मेयर बनने में कामयाब रही हो, लेकिन चुनावी तालमेल में इस सीट से कांग्रेस का उतरना तय हुआ है। दरअसल 2019 में यह सीट बीजेपी के खाते में आई थी, जहां उसे 51 फ़ीसदी से ज्यादा वोट मिले थे। कांग्रेस यहां नंबर दो की स्थिति पर थी, जहां उसे 40.7 और आप को 1.6 फीसदी वोट मिले थे। बीजेपी से पहले यहां से कांग्रेस ही जीतती रही है।

आप के साथ कांग्रेस के तालमेल के बाद कांग्रेस के भीतर से नेताओं के असंतोष के सुर उभर रहे हैं। जहां भरूच में अहमद पटेल के बेटे फैसल अपने पिता की विरासत आसानी से छोड़ने के लिए तैयार नहीं है और भरूच के 25 फीसदी मुस्लिम वोटों के सहारे निर्दलीय लडने की बात कर रहे हैं तो वहीं यूपी में दिग्गज नेता सलमान खुर्शीद फरुर्खाबाद की अपनी सीट न बचा पाने से बैचेन व नाराज हैं। इन नेताओं के लिए बीजेपी को रोकने के लिए इंडिया गठबंधन के तौर पर साथ उतरने के लक्ष्य से ज्यादा अहम अपने राजनीतिक हित अहम हो रहे हैं।

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