अब ऑर्गन ट्रांसपोर्टेशन को नए नियम आ गए हैं! केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मानव अंगों ह्यूमन ऑर्गन के ट्रांसपोर्टेशन के लिए पहली बार गाइडलाइंस एसओपी जारी की है। ट्रांसपोर्ट के विभिन्न माध्यमों से मानव अंगों को बिना किसी परेशानी से आसानी से संबंधित अस्पतालों तक पहुंचाया जा सके, इसको ध्यान में रखते हुए यह एसओपी दी गई है, जिसका पालन करना जरूरी होगा। ऑर्गन को ले जाने वाली एयरलाइनों को प्राथमिकता टेक-ऑफ और लैंडिंग के लिए एयर ट्रैफिक कंट्रोल से अनुरोध करने और आगे की पंक्ति की सीटों की व्यवस्था करने के दिशा- निर्देश शामिल हैं। देश में अंगदान की बड़ी ज़रूरत को पूरा करने के लिए मृत लोगों और ‘ब्रेन स्टेम डेड’ लोगों से अंगदान को बढ़ावा देने की ज़रूरत है। स्पेन, अमेरिका और चीन जैसे कई देश अंगदान में काफी आगे हैं, लेकिन भारत ने भी हाल के दिनों में इस क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं। सरकार ने अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने के लिए सभी कदम उठाने को कहा है कि प्रत्यारोपित होने से पहले कोई अंग बर्बाद न हो।
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव अपूर्व चंद्रा ने कहा कि ऑर्गन ट्रांसपोर्ट प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करके सरकार का लक्ष्य कीमती अंगों के उपयोग को अधिकतम करना और जीवन रक्षक प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा कर रहे रोगियों को आशा प्रदान करना है। यह एसओपी देश भर में अंग प्रत्यारोपण संस्थानों के लिए एक रोडमैप हैं, जो बेस्ट प्रैक्टिस और क्वॉलिटी स्टैंडर्ड का पालन सुनिश्चित करते हैं। जीवित अंग को अस्पतालों के बीच तब ले जाने की जरूरत होती है, जब अंग दाता और अंग प्राप्तकर्ता दोनों एक ही शहर के भीतर या अलग-अलग शहरों में अलग-अलग अस्पतालों में होते हैं। अंगदान के मूल्यों को आत्मसात किया जा सके। अंग प्रत्यारोपण की मांग को कम करने के लिए ये अभियान गतिविधियां स्वस्थ जीवनशैली अपनाने और अंग खराब होने से बचाने के लिए कदम उठाने को भी बढ़ावा देती हैं।जब हमें कोई किसी ब्रेन-डेड व्यक्ति मिलता हैं तो समय कम होता है और हमें 12 घंटों में अंग निकालने होते हैं और प्रत्यारोपण भी कम समय में ही करना होता है। इसलिए हमें अपनी प्रणाली में सुधार करना होगा।
दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि फ्लाइट कैप्टन उड़ान के दौरान यह घोषणा कर सकता है कि मानव अंगों को ले जाया जा रहा है। एसओपी में कहा गया है कि हवाई अड्डे और एयरलाइन कर्मचारियों द्वारा आगमन पर विमान से एम्बुलेंस तक अंग बॉक्स ले जाने के लिए ट्रॉलियों की व्यवस्था की जा सकती है। हर राज्य व शहर में अंग परिवहन के लिए ‘ग्रीन कॉरिडोर’ के निर्माण से संबंधित मुद्दों को संभालने के लिए पुलिस विभाग से एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया जा सकता है। मेट्रो के लिए भी दिशा-निर्देश दिए गए हैं कि मेट्रो अधिकारी क्लीनिकल टीम को मेट्रो में ले जा सकते हैं और ऑर्गन बॉक्स के लिए कम से कम आवश्यक क्षेत्र की घेराबंदी कर सकते हैं।
भारतीय अंगदान दिवस 2010 से हर साल मनाया जाता है ताकि ब्रेन स्टेम डेथ और अंगदान के बारे में जागरूकता बढ़ाई जा सके, अंगदान से जुड़े मिथकों एवं गलत धारणाओं को दूर किया जा सके और देश के नागरिकों को मृत्यु के बाद अंग एवं ऊतक दान करने के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित किया जा सके, साथ ही उनके जीवन में अंगदान के मूल्यों को आत्मसात किया जा सके। अंग प्रत्यारोपण की मांग को कम करने के लिए ये अभियान गतिविधियां स्वस्थ जीवनशैली अपनाने और अंग खराब होने से बचाने के लिए कदम उठाने को भी बढ़ावा देती हैं।
इस वर्ष “अंगदान जन जागरूकता अभियान” के तहत देश भर में शहर से लेकर गांव स्तर तक विभिन्न जागरूकता गतिविधियों का आयोजन किया गया है, जिसमें सभी केंद्रीय सरकारी मंत्रालयों/विभागों, राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सरकारों/राष्ट्रीय, क्षेत्रीय एवं राज्य अंग और ऊतक नेटवर्किंग संगठनों/अस्पतालों/संस्थानों और मेडिकल कॉलेजों, गैर सरकारी संगठनों और अन्य हितधारकों को शामिल किया गया है। अमेरिका और चीन जैसे कई देश अंगदान में काफी आगे हैं, लेकिन भारत ने भी हाल के दिनों में इस क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं। सरकार ने अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने के लिए सभी कदम उठाने को कहा है कि प्रत्यारोपित होने से पहले कोई अंग बर्बाद न हो।नागरिकों को अंग और ऊतक दान के लिए प्रतिज्ञा लेने में सुविधा प्रदान करने के लिए, एक वेब पोर्टल शुरू किया गया है। इसके माध्यम से अब तक 1.7 लाख से अधिक नागरिक आगे आए हैं।