भारतीय सेनाओं में भर्ती की नई अग्निपथ योजना को लेकर देश भर में मचे बवाल को शांत करने के लिए सेना के तीनों अंगों ने रविवार को इस योजना से जुड़ी कई बातों को स्पष्ट करने की कोशिश की.
इस सिलसिले में रविवार को दिल्ली में सेना के तीनों अंगों के शीर्ष नेतृत्व ने प्रेस को संबोधित किया. इसमें रक्षा मंत्रालय में सैन्य मामलों के विभाग के अतिरिक्त सचिव लेफ़्टिनेंट जनरल अनिल पुरी, वायुसेना के एयर मार्शल एसके झा, नौसेना के वाइस एडमिरल डीके त्रिपाठी और थलसेना के एडजुटेंट जनरल बंसी पोनप्पा शामिल थे.
इससे पहले रविवार को अग्निपथ योजना को लेकर केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में तीनों सेना के प्रमुखों की लगातार दूसरे दिन बैठक हुई.
इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में लेफ़्टिनेंट जनरल अनिल पुरी ने स्पष्ट कर दिया है कि सेना में जवानों की भर्ती की नई अग्निपथ योजना वापस नहीं ली जाएगी. उनके अनुसार यह एक प्रगतिशील क़दम है और देश की रक्षा के लिए ऐसा करना बेहद ज़रूरी है.
लेफ़्टिनेंट जनरल अनिल पुरी ने कहा, “सेना में सुधारों की कवायद 1989 से ही चल रही थी, इस पर अलग-अलग वक़्त में अमल किया जाता रहा है, लेकिन सेना की औसत उम्र कम करने के उद्देश्य से जवानों की भर्ती में बदलाव पहले नहीं किया जा सका. ये अब जाकर हो पाया है.”
लेफ्टिनेंट जनरल अनिल पुरी ने साफ किया कि अनुशासन भारतीय सेना की नींव है, इसलिए आगजनी, तोड़फोड़ करने वालों के लिए सेना में कोई जगह नहीं है. उन्होंने कहा कि अनुशासन सशस्त्र बलों के लिए एक बुनियादी ज़रूरत है, इसलिए यदि किसी भी उम्मीदवार के ख़िलाफ़ कोई प्राथमिकी है तो वे सेना का हिस्सा नहीं हो सकते हैं.
उन्होंने कहा, “सेना के साथ जो अग्निवीर जुड़ना चाहता है, उसे एक शपथ पत्र देना होगा कि उसने किसी प्रदर्शन या तोड़फोड़ में हिस्सा नहीं लिया. फौज में पुलिस वेरिफिकेशन के बिना कोई नहीं आ सकता. इसलिए प्रदर्शन कर रहे छात्रों से अनुरोध है कि अपना समय ख़राब न करें.”
सैन्य अधिकारियों ने आरोप लगाया है कि इस योजना के सामने आने के बाद युवाओं के ग़ुस्से को भड़काने में असामाजिक तत्वों के साथ कोचिंग संस्थानों का योगदान है. उन्होंने साफ किया कि सेना को अनुमान नहीं था कि इस योजना को लेकर युवाओं के बीच ऐसा ग़ुस्सा देखने को मिलेगा.
‘सेवा के बाद जवान क्या करेंगे’ का सवाल
महज़ चार साल की सेवा के बाद सेना से निकलने वाले जवान आगे क्या करेंगे, के सवाल पर उन्होंने कहा, “हर साल लगभग 17,600 लोग तीनों सेवाओं से समय से पहले सेवानिवृत्ति ले रहे हैं. किसी ने कभी उनसे यह पूछने की कोशिश नहीं की कि वे सेवानिवृत्ति के बाद क्या करेंगे.”
उन्होंने कहा, ”पहली बात तो ये कि हम 25 फ़ीसदी अग्निवीरों को सेना में ही रख लेंगे और बाक़ी लोग जो वहां से निकलेंगे उन्हें कई जगहों पर नियोजित करने की कोशिश चल रही है. इस बारे में रक्षा और गृह मंत्रालय ने कई अहम एलान किए हैं. इसके लिए हम कौशल विकास मंत्रालय और शिक्षा मंत्रालय से भी बात कर रहे हैं. समय के साथ इस दिशा में काफ़ी कुछ किया जाएगा.”
उन्होंने दावा किया कि रक्षा मंत्रालय ने सभी राज्यों को सलाह दी है कि पुलिस की भर्ती में अग्निवीरों को वरीयता दी जाए, चार राज्यों ने तो इसका भरोसा भी दे दिया है और उम्मीद है कि समय के साथ बाक़ी राज्य भी ऐसा करेंगे.
अभी तक रक्षा मंत्रालय के 16 पीएसयू ने अपनी नौकरियों में 10 फ़ीसदी अग्निवीरों को रिज़र्वेशन देने का एलान कर दिया है. गृह मंत्रालय ने केंद्रीय अर्धसैनिक बलों और असम राइफ़ल्स की नौकरियों में भी 10 फ़ीसदी आरक्षण का एलान किया है. कोस्टगार्ड ने भी भर्तियों में अग्निवीरों को वरीयता देने का फ़ैसला किया है.
लेफ्टिनेंट जनरल अनिल पुरी ने कहा, “सरकार के विभिन्न विभागों में अग्निवीरों के लिए रिज़र्वेशन के बारे में पहले ही योजना बनाई गई थी, हिंसा की घटनाओं के बाद ऐसी घोषणाएं की गई हैं ऐसा नहीं है.”
‘बैंक से दिलवांएगे आसान कर्ज़’
लेफ्ट़िनेंट जनरल अनिल पुरी ने कहा, ”अग्निवीर चार साल की सेवा के बाद 21.5 साल से 25 साल के बीच सेना से बाहर आ जाएंगे. तब उनके पास 12वीं की डिग्री होगी जिसमें सीखी गई सभी स्किल का ब्यौरा होगा. साथ ही उन्हें सेवानिधि पैकेज के रूप में 11.71 लाख रुपए मिलेंगे. उन्हें बैंकों से आसानी से कर्ज़ देने की व्यवस्था की जाएगी, ताकि वे अपना कोई कारोबार खड़ा कर सकें. वे शारीरिक कौशल के साथ कई तरह के अनुभव और प्रशिक्षण से भी लैस होंगे.”
उन्होंने पत्रकारों से पूछा कि बताइए 25 साल की उम्र तक कितनों को रोज़गार मिल पाता है और फिर दावा किया कि उस उम्र में इतने कुशल लोग ज़रूर आत्मनिर्भर हो जाएंगे.
उन्होंने कहा, “अपंग होने पर पैकेज देने का प्रावधान किया गया है. देश की सेवा में बलिदान देने वाले अग्निवीरों को एक करोड़ रुपये का मुआवज़ा मिलेगा. ‘अग्निवीर’ को सियाचिन और अन्य क्षेत्रों जैसे क्षेत्रों में वही भत्ता और सुविधाएं मिलेंगी, जो वर्तमान में नियमित सैनिकों पर लागू होती है. सेवा शर्तों में उनके साथ कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा.”
उन्होंने कहा कि सेवा से बाहर निकलने वाले अग्निवीरों को और कुशल बनाने के लिए ‘ब्रिजिंग कोर्स’ करवाने की भी व्यवस्था की जाएगी.
1989 से बदलाव की सोची जा रही थी
लेफ्ट़िनेंट जनरल अनिल पुरी ने दावा किया कि यह बदलाव लागू करने को लेकर पिछले कई सालों से काफ़ी चर्चा की गई. उन्होंने कहा कि इस योजना को अंतिम रूप देने में तीनों सेनाओं के साथ भारतीय सेना के पहले सीडीएस जनरल विपिन रावत भी शामिल थे. इसके लिए सभी देशों में जवानों की भर्ती प्रक्रिया की भी स्टडी की गई.
उन्होंने कहा, ”सेना में भर्ती की प्रक्रिया बदलने की कवायद 1989 से जारी है. कारगिल युद्ध के बाद बनी समिति ने भी इसकी सिफ़ारिश की थी. इस दिशा में कमांडिंग अफसर की उम्र पहले कम की जा चुकी है.”
लेफ्ट़िनेंट जनरल अनिल पुरी के अनुसार, सेना को युवा बनाने की बात 1989 में जब सोची गई थी तब जवानों की औसत उम्र 30 साल थी, जो अब 32 साल हो चुकी है. हमें 2030 तक इस आंकड़े को 26 साल तक लाना है. यह इसलिए भी ज़रूरी है कि तब भारत की क़रीब आधी आबादी 25 साल से कम होगी.”
उन्होंने कहा कि कारगिल वार सहित पाकिस्तान और चीन के साथ लड़े गए सभी युद्धों और 2020 में चीन के साथ लद्दाख के गलवान में हुई झड़प का हवाला देते हुए कहा कि जवानों की कम औसत उम्र की ज़रूरत हमेशा महसूस की गई थी. इसलिए सेना ने पिछले दो सालों में काफ़ी विचार विमर्श के बाद अग्निपथ योजना लाने का फ़ैसला किया.
”14 जून को सरकार ने दो अहम एलान किए. सबसे पहला केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों में 10.5 लाख ऱोजगार देने का एलान किया गया. और दूसरा अग्निपथ योजना के तहत 46 हज़ार अग्निवीरों की भर्ती का एलान किया गया. लेकिन मीडिया के चलते सारा ध्यान अग्निपथ पर चला गया.”
‘जोश और होश के बीच होगा संतुलन’
उन्होंने कहा, ”भारतीय सेना में ‘जोश (युवा) और होश (अनुभवी)’ के बीच संतुलन बनाने की ज़रूरत अरसे से महसूस की जा रही थी. जवानों की इस नई भर्ती योजना से इन दोनों चीज़ों के बीच संतुलन बन जाएगा.”
उन्होंने कहा, ”समय के साथ टेक्नोलॉजी में बदलाव हो रहा है और हमें आधुनिक लड़ाई लड़ने लायक पहले से युवा सैनिकों की ज़रूरत होगी, क्योंकि युवा टेक्नोलॉजी के साथ ज़्यादा सहज होते हैं.”
उन्होंने कहा कि सेना में बहाली की उम्र सीमा पहले भी 17.5 साल से 21 साल ही थी और अग्निपथ योजना में इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है.
उनसे पूछा गया कि अग्निपथ योजना जब इतनी ही सोची समझी थी, तो युवाओं के आंदोलन करने पर भर्ती की अधिकतम उम्र सीमा को 21 साल से बढ़ाकर 23 साल क्यों किया गया. इस पर लेफ़्टिनेंट जनरल पुरी ने कहा कि ऐसा कोरोना महामारी के चलते ऐसा किया गया.
शुरू होगा भर्ती अभियान
एयर मार्शल एसके झा ने बताया कि भारतीय वायुसेना में 24 जून से अग्निवीरों के पहले बैच को भर्ती करने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. आवेदन देने की प्रक्रिया ऑनलाइन होगी. एक महीने बाद 24 जुलाई से फेज-1 की ऑनलाइन परीक्षाएं शुरू हो जाएंगी.
उन्होंने बताया कि दिसंबर में अग्निवीर के पहले बैच को वायुसेना में शामिल कर लिया जाएगा और 30 दिसंबर से पहले उनके पहले बैच की ट्रेनिंग शुरू हो जाएगी.
वहीं नौसेना के वाइस एडमिरल डीके त्रिपाठी ने भी बताया कि नौसेना की भर्ती प्रक्रिया शुरू हो गई है. उनके अनुसार, ”25 जून तक हमारा विज्ञापन सूचना और प्रसारण मंत्रालय में पहुंच जाएगा. एक महीने के अंदर भर्ती प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. 21 नवंबर को हमारे पहले अग्निवीर हमारे ट्रेनिंग संस्थान में रिपोर्ट कर देंगे.”
उन्होंने बताया कि नौसेना में ‘जेंडर न्यूट्रल’ अग्निवीर शामिल होंगे यानी महिला अग्निवीरों की भी भर्ती की जाएगी.
उनके अनुसार, ”उसके लिए हमारी ट्रेनिंग में जो संशोधन करना है उसके लिए काम शुरू हो चुका है. हमें 21 नवंबर का इंतज़ार है. मुझे आशा है कि महिला और पुरुष ‘अग्निवीर’ आईएनएस चिल्का पर रिपोर्ट करेंगे.
वहीं थल सेना में भर्ती के बारे में एडजुटेंट जनरल बंसी पोनप्पा ने कहा, ”दिसंबर के पहले हफ्ते तक हमें 25 हज़ार अग्नवीरों का पहला बैच मिल जाएगा और दूसरा बैच फरवरी 2023 के आसपास शामिल हो जाएगा, जिससे यह 40,000 हो जाएगा.”
पहले से चल रही भर्ती की सभी प्रक्रियाएं रद्द
पत्रकारों के सवालों के जवाब में अधिकारियों ने साफ़ कर दिया कि कोरोना के पहले 2019 से चल रही भर्ती की सभी प्रक्रियाओं को रद्द कर दिया गया है और अब सेना में जवानों की भर्ती केवल और केवल अग्निपथ योजना के ज़रिए ही होगी.
लेफ्ट़िनेंट जनरल अनिल पुरी ने इसके लिए कोरोना को वजह बताया. उन्होंने कहा कि कोरोना के चलते वे नहीं जानते कि किस युवा के मेडिकल कंडीशन में क्या बदलाव हुआ होगा, इसलिए सेना में अब भर्ती चाहने वाले सभी युवाओं को अब अग्निपथ योजना के तहत अप्लाई करना होगा.
समय के साथ भर्ती में होगा इज़ाफा
उन्होंने साफ किया कि अग्निपथ योजना के तहत 46 हज़ार जवानों की भर्ती का जो एलान हुआ है, उस संख्या में समय के साथ धीरे धीरे वृद्धि होती जाएगी. आगे हर साल 50 60 हज़ार जवानों की भर्ती की जाएगी, फिर 90 हज़ार और फिर 1.25 लाख तक यह जा सकती है.
इसकी वजह बताते हुए उन्होंने कहा कि सेना में अभी हर साल क़रीब 60 हज़ार जवानों को प्रशिक्षण देने की क्षमता है, जिसे बढ़ाने में वक़्त लगेगा.
अब तक क्या क्या हुआ?
- 14 जून 2022: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सेना के तीनों अंगों के प्रमुखों के साथ अग्निपथ योजना की घोषणा की.
- 15 और 16 जून: अग्निपथ योजना को लेकर विरोध बढ़ने लगा. राजनेताओं और राजनीतिक दलों में उसे कर सोशल मीडिया पर टिप्पणी करना शुरू किया. बीजेपी के नेता वरुण गांधी ने भी इसे लेकर सवाल उठाए. कुछ राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने कहा कि वो अपने यहां सरकारी नौकरियों में अग्निवीरों को प्रथमिकता देंगे.
- 17 जून 2022: सरकार इसे लेकर युवाओं को भरोसा दिलाने की कोशिश में दिखने लगी. सरकार ने कहा कि पिछले दो सालों में कोरोना महामारी के कारण सेना में भर्ती प्रक्रिया प्रभावित हुई थी, इसलिए अग्निपथ योजना के पहले साल में आयु सीमा में दो वर्ष की रियायत देकर उसे 21 साल से 23 साल किया जाएगा.
- 18 जून 2022: गृह मंत्रालय ने कहा असम राइफ़ल्स और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में होने वाली भर्तियों में 10 फ़ीसदी सीटें अग्निवीरों के लिए रिज़र्व होंगी. साथ ही भर्ती के लिए निर्धारित अधिकतम आयु में तीन साल की छूट देने का फ़ैसला किया गया.
- अग्निपथ के तहत भारतीय वायुसेना ने अधिसूचना जारी की जिसमें नौकरी के दौरान छुट्टियों, तनख़्वाह और नौकरी ख़त्म होने पर मिलने वाली धनराशि के बारे में विस्तर से बताया गया.