एक सवाल आपके मन में हमेशा से आता होगा कि क्या गर्भवती महिला को जमानत मिल सकती है? संविधान हर गर्भवती महिला को गर्भावस्था के दौरान गौरवपूर्ण जीवन का अधिकार देता है। कोर्ट उस आने वाले बच्चे के अधिकारों को ध्यान में रख रही है क्योंकि उसे जेल में नहीं रखा जा सकता। जब तक आरोपी की वजह से कोई बहुत बड़ा खतरा न पैदा हो रहा तो अपराध की गंभीरता को देखते हुए जमानत दी जा सकती है। गर्भावस्था ऐसी स्थिति है जो अपने-आप में बेहद खास है और गर्भवती महिला को जेल में रखकर उसके बच्चे को यातना नहीं दी जा सकती। सीआरपीसी की धारा 437 (1) भी कहती है कि आरोपी के 16 साल के कम होने या महिला होने या बीमार होने की स्थिति में जमानत दी जा सकती है!
ऐसी बहुत सारे मामले आपने सुने होंगे जिसमें जेलों में बंद महिलाओं ने बच्चे को जेल में ही जन्म दिया है। सबसे ताजा मामला कासगंज जिला कारागार से आया था। जहां पर मर्डर केस में बंद एक गर्भवती महिला ने जिला अस्पताल में नवजात को जन्म दिया। पुलिस के कड़े पहरे के साथ महिला को जेल से अस्पताल ले जाया गया जहां पर किलकारी गूंजी। प्रसूता और नवजात दोनों ही अस्पताल में सुरक्षित थे। जेल नियम के मुताबिक जैसे ही महिला स्वस्थ्य होगी महिला और नवजात बच्चे को जेल भेजा जाएगा। हालांकि जेल में भी मां, बच्चे दोनों का पूरा ख्याल रखा जाता है। अलग बैरक में महिला की पूरी व्यवस्था की जाती है। मगर जेल तो जेल है घर नहीं हो सकता। लेकिन एक दिन पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने मानवीय संवेदना के आधार पर गर्भवती महिला को जमानत दी है। ऐसे बहुत सारे मामले हैं जहां महिला को जेल में ही बच्चे को जन्म देना पड़ता है।
सोचकर ही रूह कांप जाती है कि मां या बाप की जुर्म की सजा बच्चा भी भुगते। द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण के मामा ने उनकी मां को जेल में कैद कर रखा था। आज भी किसी धारावाहिक में वो चित्र चलते हैं तो लोग भावुक हो जाते हैं मगर सोचिए जब हम 21वीं सदी में जी रहे हैं आज भी बहुत सारी महिलाएं ऐसी हैं जिनको अपने बच्चे का जन्म जेल में ही देना पड़ता है। कानून और मानवता दो अलग-अलग बाते हैं। ये बात तो तय है कि जो महिला जेल में बंद है जाहिर है उसने कोई न कोई अपराध जरूर किया होगा। लेकिन मानवता ये कहती है कि इसमें उसके गर्भ में पल रहे बच्चे का क्या कसूर। दिल्ली हाईकोर्ट के इस फैसले पर आज उन तमाम महिलाओं की उम्मीदें जगी होंगी जो किसी न किसी अपराध के कारण जेल में सजा काट रही हैं।
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि जमानत पर विचार करने के लिए समाज पर अपराध की प्रकृति और गंभीरता और इस तरह के अपराध के प्रभाव जैसे पहलुओं को उचित महत्व देना आवश्यक है। हालांकि, एक महिला की गर्भावस्था एक विशेष परिस्थिति है, इसलिए हिरासत में बच्चे को जन्म देना न केवल मां के लिए एक आघात होगा, बल्कि बच्चे पर हमेशा के लिए गलत प्रभाव डालेगा। आरोपी काजल ने अपनी गर्भावस्था और बच्चे की डिलीवरी को देखते हुए छह महीने की अंतरिम जमानत की मांग करते हुए एक अर्जी दायर की थी। इस मामले में पीड़ित रमन के बयान पर प्राथमिकी दर्ज की गई थी। जिसने 21 दिसंबर 2021 को अपने माता-पिता की सहमति के खिलाफ मेनका के साथ विवाह किया था।
ये मामला बहुत संगीन था। काजल की आंखों में ऐसा खून सवार हुआ कि उसको पता ही नहीं चला कि वो क्या करने जा रही है। काजल ने दंपति का अपहरण किया। इसके बाद रमन जोकि मेनका का पति था। मेनका के परिवार के सदस्यों ने दर्ज एफआईआर में बताया कि 22 दिसंबर 2021 को कथित तौर पर दंपत्ति का अपहरण कर लिया और उनकी बेरहमी से पिटाई करने के बाद, उनके प्राइवेट अंग को कुल्हाड़ी से काट दिया गया।ये मामला बहुत संगीन था। काजल की आंखों में ऐसा खून सवार हुआ कि उसको पता ही नहीं चला कि वो क्या करने जा रही है। काजल ने दंपति का अपहरण किया। इसके बाद रमन जोकि मेनका का पति था। मेनका के परिवार के सदस्यों ने दर्ज एफआईआर में बताया कि 22 दिसंबर 2021 को कथित तौर पर दंपत्ति का अपहरण कर लिया और उनकी बेरहमी से पिटाई करने के बाद, उनके प्राइवेट अंग को कुल्हाड़ी से काट दिया गया। इसके बाद रमन को एक नाले में फेंक दिया गया, जहां से उसके भाई ने उसे बचाया और एम्स ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया। इसके बाद रमन को एक नाले में फेंक दिया गया, जहां से उसके भाई ने उसे बचाया और एम्स ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया।