Thursday, November 21, 2024
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क्या तेलंगाना में शुरू हो सकती है जातिगत जनगणना?

यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या तेलंगाना में जातिगत जनगणना शुरू हो सकती है या नहीं! जाति जनगणना का हमेशा समर्थन करने वाली कांग्रेस सरकार ने आज इसको लेकर बड़ा कदम उठाया है। आज तेलंगाना सरकार ने जातिगत जनगणना शुरू कर दी है। जिसको लेकर अब कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पीएम मोदी पर निशाना साधा है। पीएम मोदी और भाजपा पर निशाना साधते हुए राहुल गांधी ने एक्स पर लिखा- मोदी जी, आज से तेलंगाना में जातिगत गिनती शुरू हो गई है. इससे मिलने वाले डेटा का इस्तेमाल हम प्रदेश के हर वर्ग के विकास के लिए नीतियां बनाने में करेंगे। जल्द ही यह महाराष्ट्र में भी होगा, सबको पता है कि भाजपा देश में एक व्यापक जाति जनगणना नहीं करवाना चाहती है।

इसके साथ ही उन्होंने पीएम मोदी पर चैलेंज देते हुए कहा कि मैं मोदी जी से साफ कहना चाहता हूं- आप देश भर में जातिगत जनगणना को रोक नहीं सकते हैं। हम इसी संसद में जातिगत जनगणना को पास करके दिखाएंगे और आरक्षण पर से 50% की दीवार को तोड़ देंगे। जाति जनगणना पर कांग्रेस पार्टी ने शनिवार को कहा कि देशभर में जाति जनगणना कराना और SC, ST और OBC आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट की 50% की सीमा हटाना उनके लिए बहुत महत्वपूर्ण है। तेलंगाना में कांग्रेस सरकार शनिवार से जाति सर्वेक्षण शुरू कर रही है। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने बताया कि अगले कुछ हफ्तों में 80,000 कर्मचारी घर-घर जाकर 33 जिलों के 1.17 करोड़ से ज्यादा घरों का सर्वेक्षण करेंगे। उन्होंने कहा कि 1931 के बाद यह पहली बार है जब तेलंगाना में सरकार जाति आधारित सर्वेक्षण करा रही है।

जयराम रमेश ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक और क्रांतिकारी कदम है। यह तेलंगाना के लोगों की भावनाओं का सम्मान है और बाबा साहेब आंबेडकर के संविधान के आदर्शों को स्थापित करता है।उन्होंने आगे कहा कि जैसा कि राहुल गांधी ने इस हफ़्ते हैदराबाद में कहा था कि यह राष्ट्रीय जाति जनगणना का एक नमूना है जो ‘इंडिया’ की सरकार करवाएगी। बता दें कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने जाति आधारित जनगणना की एक बार फिर वकालत की है। उन्होंने बुधवार को कहा कि देश में यह कवायद होकर रहेगी और इस प्रक्रिया से दलितों, अन्य पिछड़ा वर्गों और आदिवासियों के साथ हो रहे अन्याय का पता चलेगा। जाति आधारित जनगणना का वास्तविक अर्थ न्याय है और उनकी पार्टी 50 फीसदी आरक्षण सीमा की दीवार को भी तोड़ेगी। महाराष्ट्र में 20 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले नागपुर में संविधान सम्मान सम्मेलन में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने ये बातें कही। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने जिस तरह से इस मुद्दे को उठाया वो बेहद अहम है। इससे पहले उन्होंने तेलंगाना में भी जाति जनगणना पर आवाज बुलंद की।

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने एक दिन पहले कहा कि वो तेलंगाना में जाति जनगणना कराने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि वो तेलंगाना को देश भर में जाति जनगणना के लिए एक मॉडल बनाएंगे। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने भारत में जातिगत भेदभाव को अनोखा और दुनिया में सबसे बुरे में से एक बताया। वो देश में 50 प्रतिशत आरक्षण की बनावटी बाधा को ध्वस्त कर देंगे। भेदभाव की सीमा और प्रकृति का आकलन करने के लिए सबसे पहले जाति जनगणना की जानी चाहिए। इसलिए, मैं न केवल तेलंगाना में जाति जनगणना सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हूं, बल्कि यह भी सुनिश्चित करूंगा कि तेलंगाना देश में जाति जनगणना के लिए एक मॉडल बने।

सवाल उठ रहे कि क्या कांग्रेस नेतृत्व को कास्ट सेंसस में भविष्य नजर आ रहा? जिस तरह से हरियाणा के चुनाव में पार्टी को शिकस्त मिली उसे देखते हुए कांग्रेस अब कोई गलती नहीं करना चाहती। ऐसा इसलिए क्योंकि महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनाव सिर पर हैं। पार्टी को उम्मीद है कि आरक्षण और जातीय जनगणना के मुद्दे से पार्टी को फायदा हो सकता है। यही वजह है कि राहुल गांधी ने नागपुर में संबोधन के दौरान संविधान, आरक्षण और कास्ट सेंसस का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि बाबासाहेब आंबेडकर की ओर से तैयार किया गया संविधान सिर्फ एक किताब नहीं बल्कि जीवन जीने का एक तरीका है। उसी तरह जाति जनगणना विकास का प्रतिमान है। इससे स्पष्टता आएगी और नया प्रतिमान बनेगा।

राहुल गांधी यूं ही जातिगत जनगणना की पैरवी नहीं कर रहे। इस मुद्दे को लेकर वो सीधे तौर पर आरएसएस और बीजेपी को टारगेट करना चाहते हैं। यही वजह है कि नागपुर में संविधान सम्मान सम्मेलन के दौरान उन्होंने कहा कि बीजेपी और आरएसएस अभी जातीय जनगणना को लेकर चर्चा कर रहे हैं कि उन्हें क्या रुख अपनाना चाहिए। जाति जनगणना पर उन्हें क्या कहना चाहिए। कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि मैं आपसे कहना चाहता हूं कि आरएसएस-बीजेपी कुछ भी कर लें, जातीय जनगणना होकर रहेगी। इस पर जो भी चर्चा करनी है कर लें। भारत की जनता ने तय कर लिया है कि जाति जनगणना होकर रहेगी और 50 फीसदी की दीवार टूटेगी। यह आवाज धीरे-धीरे बढ़ रही है। हमारा काम है कि हम लोगों को समझाएं कि जाति जनगणना से ही संविधान की रक्षा होगी।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी महाराष्ट्र और झारखंड चुनावों में संविधान की रक्षा और जातिगत जनगणना की बात कर रहे हैं। खास बात है कि इस बार राहुल मनुस्मृति की आलोचना भी कर रहे। हरियाणा में दलित वोटरों की नाराजगी से जो झटका लगा उसी को देखते हुए शायद कांग्रेस ने नई रणनीति बनाई है। पार्टी इस बार किसी भी कीमत पर दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों के वोटों को खोना नहीं चाहती है। यही वजह है कि पार्टी झारखंड और महाराष्ट्र में ‘संविधान सम्मान सम्मेलन’ कर रही। झारखंड में हुए इसी सम्मेलन के दौरान राहुल गांधी ने मनुस्मृति को संविधान विरोधी पुस्तक बताया था। उन्होंने कहा कि संविधान और मनुस्मृति के बीच की लड़ाई वर्षों से चली आ रही है।

 

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