यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या मोदी सरकार आरक्षण खत्म कर सकती है या नहीं! संघ लोक सेवा आयोग यानी UPSC ने लैटेरल एंट्री के जरिए टॉप पोस्ट पर वैकेंसी निकाली है। जैसे ही ये भर्तियां निकलीं इसे लेकर सियासी घमासान तेज होने लगा है। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने इस मुद्दे पर रिएक्ट किया है। उन्होंने इस फैसले पर सवाल खड़े कर दिए। राहुल गांधी ने फेसबुक पर एक पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने कहा कि ‘IAS का निजीकरण’ आरक्षण खत्म करने की ‘मोदी की गारंटी’ है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी अकेले नहीं हैं जिन्होंने इस मुद्दे पर रिएक्ट किया है। सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने भी इसे मोदी सरकार की साजिश करार दिया। राहुल गांधी ने फेसबुक पर पोस्ट में लिखा, ‘नरेंद्र मोदी संघ लोक सेवा आयोग की जगह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के जरिए लोकसेवकों की भर्ती कर संविधान पर हमला कर रहे हैं। केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों में महत्वपूर्ण पदों पर लेटरल एंट्री के जरिए भर्ती कर खुलेआम SC, ST और OBC वर्ग का आरक्षण छीना जा रहा है। मैंने हमेशा कहा है कि टॉप ब्यूरोक्रेसी समेत देश के सभी शीर्ष पदों पर वंचितों का प्रतिनिधित्व नहीं है, उसे सुधारने के बजाय लेटरल एंट्री द्वारा उन्हें शीर्ष पदों से और दूर किया जा रहा है।’
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कहा, ‘यह UPSC की तैयारी कर रहे प्रतिभाशाली युवाओं के हक़ पर डाका और वंचितों के आरक्षण समेत सामाजिक न्याय की परिकल्पना पर चोट है।बता दें कि मोदी सरकार बहुत ही व्यवस्थित, पद्धतिबद्ध, योजनाबद्ध और शातिराना तरीके से आरक्षण को समाप्त कर रही है।’इस तरह इंडिया गठबंधन में शामिल दलों ने UPSC की लैटरल एंट्री के जरिए सीधे निकाली गई नौकरियों के फैसले पर सवाल खड़े कर दिए हैं। ‘चंद कॉरपोरेट्स’ के प्रतिनिधि निर्णायक सरकारी पदों पर बैठ कर क्या कारनामे करेंगे इसका ज्वलंत उदाहरण SEBI है, जहां निजी क्षेत्र से आने वाले को पहली बार चेयरपर्सन बनाया गया। प्रशासनिक ढांचे और सामाजिक न्याय दोनों को चोट पहुंचाने वाले इस देश विरोधी कदम का INDIA मजबूती से विरोध करेगा। IAS का निजीकरण आरक्षण खत्म करने की मोदी की गारंटी है।’
राहुल गांधी अकेले नहीं है इंडिया गठबंधन में शामिल समाजवादी पार्टी और आरजेडी ने भी इस मुद्दे को उठाया है। अखिलेश यादव ने एक्स पर पोस्ट में लिखा, ‘भाजपा अपनी विचारधारा के संगी-साथियों को पिछले दरवाज़े से यूपीएससी के उच्च सरकारी पदों पर बैठाने की जो साजिश कर रही है, उसके खिलाफ एक देशव्यापी आंदोलन खड़ा करने का समय आ गया है। ये तरीका आज के अधिकारियों के साथ, युवाओं के लिए भी वर्तमान और भविष्य में उच्च पदों पर जाने का रास्ता बंद कर देगा। आम लोग बाबू और चपरासी तक ही सीमित हो जाएंगे। दरअसल से सारी चाल पीडीए से आरक्षण और उनके अधिकार छीनने की है। अब जब भाजपा ये जान गयी है कि संविधान को खत्म करने की भाजपाई चाल के खिलाफ देश भर का पीडीए जाग उठा है तो वो ऐसे पदों पर सीधी भर्ती करके आरक्षण को दूसरे बहाने से नकारना चाहती है। ये देश के विरूद्ध एक बड़ा षड्यंत्र है।’
आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने एक्स पर पोस्ट में लिखा, ‘केंद्र की मोदी सरकार बाबा साहेब के लिखे संविधान और आरक्षण के साथ कैसा घिनौना मजाक और खिलवाड़ कर रही है, यह विज्ञापन उसकी एक छोटी सी बानगी है। UPSC ने लैटरल एंट्री के जरिए सीधे45 संयुक्त सचिव, उप-सचिव और निदेशक स्तर की नौकरियां निकाली है लेकिन इनमें आरक्षण का प्रावधान नहीं है। अगर UPSC सिविल सेवा परीक्षा के माध्यम से 45 IAS की नियुक्ति करती तो उसे SC, STऔर OBC को आरक्षण देना पड़ता यानि 45 में से 22 अभ्यर्थी दलित, पिछड़ा और आदिवासी वर्गों से चयनित होते। केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों में महत्वपूर्ण पदों पर लेटरल एंट्री के जरिए भर्ती कर खुलेआम SC, ST और OBC वर्ग का आरक्षण छीना जा रहा है। मैंने हमेशा कहा है कि टॉप ब्यूरोक्रेसी समेत देश के सभी शीर्ष पदों पर वंचितों का प्रतिनिधित्व नहीं है, उसे सुधारने के बजाय लेटरल एंट्री द्वारा उन्हें शीर्ष पदों से और दूर किया जा रहा है।’मोदी सरकार बहुत ही व्यवस्थित, पद्धतिबद्ध, योजनाबद्ध और शातिराना तरीके से आरक्षण को समाप्त कर रही है।’इस तरह इंडिया गठबंधन में शामिल दलों ने UPSC की लैटरल एंट्री के जरिए सीधे निकाली गई नौकरियों के फैसले पर सवाल खड़े कर दिए हैं। देखना होगा कि मोदी सरकार और बीजेपी इस मुद्दे पर कैसे रिएक्ट करती है।