यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या अब पैक्ड फूड खतरनाक साबित हो सकता है या नहीं! जानकरी के लिए बता दे कि इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रीशियन की एक्सपर्ट कमिटी ने सुझाव दिया है कि पैक्ड फूड और पेय पदार्थों में चीनी की मात्रा तय हो। ज्यादा चीनी, फैट और नमक वाले खाने से बचा जाना चाहिए। इससे सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है। अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड में आमतौर पर ज्यादा चीनी और नमक होता है। गाइडलाइंस में कहा गया कि जैम्स, फ्रूट पल्प, कार्बोनेटेड बेवरेज, हेल्थ ड्रिंक समेत ऐसे खाद्य पदार्थों का सीमित प्रयोग ही करें। घर में भी ज्यादा फैट, ज्यादा चीनी और नमक वाले खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। आईसीएमआर की गाइडलाइंस में कहा गया है कि अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड के नियमित सेवन से डायबिटीज, हाइपरटेंशन, हृदय संबंधी रोग जैसी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। कैलोरी से भरपूर अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड्स को काफी लोग खाना पसंद करते हैं, ऐसे खाद्य पदार्थों में फाइबर की मात्रा कम और चीनी की मात्रा जरूरत से ज्यादा होती है। ज्यादा तले हुए उत्पादों से भी बचना चाहिए। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रीशन और आईसीएमआर ने पैकेज्ड खाने और पेय पदार्थों में चीनी की मात्रा पर कितनी होनी चाहिए, इसको लेकर लिमिट तय करने का सुझाव भी दिया है।
पैकेज्ड खानों में कितनी एडेड शुगर और टोटल शुगर की कितनी मात्रा हो, यह तय होना चाहिए। अगर किसी खाद्य पदार्थ में नैचुरल तौर पर मीठा होता है और उस उत्पाद में अलग से चीनी मिलाई गई हो तो उसे एडेड शुगर कहते हैं। गाइडलाइंस में कहा गया है कि लोगों को ज्यादा से ज्यादा फ्रेश फूड ही लेना चाहिए। प्रोसेस्ड फूड की मात्रा कम करनी चाहिए। मिलेट्स, दाले, ताजे फल, ताजी सब्जियों का प्रयोग अपने आहार में बढ़ाना होगा।चीनी के अधिक सेवन से होने वाले संभावित खतरों को कूल ड्रिंक, पैकेज्ड जूस, कुकीज, केक, हेल्थ ड्रिंक में चीनी की मात्रा के लिए सीमा तय करने की सिफारिश की है। इससे पहले आईसीएमआर और एनआईएन ने जो गाइडलाइंस जारी की थी, उसमें बताया था कि खाने- पीने में लापरवाही से कई तरह की बीमारियां हो रही है। स्वस्थ जीवन शैली अपनाकर डायबिटीज, फैटी लीवर, ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों से बचा जा सकता है। ज्यादा फैट वाला खाना बहुत नुकसानदायक होता है।
फैटी लीवर की समस्या एक बड़ी जनसंख्या को हो रही है। जब आपके लीवर में बहुत अधिक वसा हो जाती है तो यह समस्या होती है। जिन पैकेट फूड में ज्यादा तेल, नमक और चीनी का प्रयोग होता है, उससे बचना चाहिए। बच्चों में पैकेट फूड की आदत एक समस्या बन रही है। ज्यादा फैट, चीनी और नमक वाले खाद्य पदार्थों का का सेवन करने से वजन बढ़ना, हार्ट डिजीज, त्वचा संबंधी बीमारियां, डायबिटीज, किडनी और लीवर समेत कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं। अगर किसी खाद्य पदार्थ में नैचुरल तौर पर मीठा होता है और उस उत्पाद में अलग से चीनी मिलाई गई हो तो उसे एडेड शुगर कहते हैं। गाइडलाइंस में कहा गया है कि लोगों को ज्यादा से ज्यादा फ्रेश फूड ही लेना चाहिए। प्रोसेस्ड फूड की मात्रा कम करनी चाहिए। मिलेट्स, दाले, ताजे फल, ताजी सब्जियों का प्रयोग अपने आहार में बढ़ाना होगा।
इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल के कंसल्टेंट हार्ट स्पेशलिस्ट, कार्डियोलॉजिस्ट और सर्जन का कहना है कि अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड को पचाने में दिक्कत होती है। इससे ब्लड शुगर भी बढ़ जाता है। मोटापे की समस्या आ जाती है। डॉ. बंसल का कहना है कि वैसे तो प्रोसेस्ड फूड भी सीमित मात्रा में ही खाना चाहिए। प्रोसेस्ड फूड में मैदा और ब्रेड जैसे उत्पाद आते हैं, वहीं अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड में बर्गर, डीप फ्राई खाद्य पदार्थ होते है। अल्ट्रा-प्रोसेस्ड उत्पाद अगर बहुत ज्यादा खाते हैं तो शुगर, ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों को न्यौता देना होता है, जो बाद में दिल से जुड़े रोगों में तब्दील हो जाती है। बता दें कि ज्यादा चीनी और नमक वाले खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। आईसीएमआर की गाइडलाइंस में कहा गया है कि अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड के नियमित सेवन से डायबिटीज, हाइपरटेंशन, हृदय संबंधी रोग जैसी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। कैलोरी से भरपूर अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड्स को काफी लोग खाना पसंद करते हैं, ऐसे खाद्य पदार्थों में फाइबर की मात्रा कम और चीनी की मात्रा जरूरत से ज्यादा होती है। मान लीजिए शुगर की बीमारी जो एक उम्र के बाद अगर आनी हो तो इस तरह का खाना खाकर वो समय से बहुत पहले ही आ जाएगी। ऐसे में खान- पान में संयम बहुत जरूरी है।