पीएम मोदी एक बार फिर आने वाले समय में अमेरिका के दौरे पर जा सकते हैं! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसी महीने अमेरिका के दौरे पर जा रहे हैं। लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद ये उनकी पहली यूएस यात्रा होगी। पीएम मोदी अमेरिका जाने से पहले पिछले दो महीनों में यूक्रेन और रूस का दौरा कर चुके हैं। रूस और यूक्रेन की यात्रा के बाद उनका ये अमेरिका दौरा बेहद अहम माना जा रहा है। प्रधानमंत्री 21 सितंबर को डेलावेयर के विलमिंगटन में क्वाड (QUAD) शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। विलमिंगटन अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन का गृहनगर है। विलमिंगटन होने वाले क्वाड शिखर सम्मेलन में इस अलायंस के सभी मौजूदा नेताओं का एक साथ आखिरी जमावड़ा होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि बाइडेन और जापान के फुमियो किशिदा दोनों ही अपने पद से हट रहे हैं। बाइडेन ने हाल ही में ऐलान किया है कि वह दूसरी बार राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव नहीं लड़ेंगे। किशिदा ने भी लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रमुख के रूप में फिर से चुनाव नहीं लड़ने की अपनी योजना स्पष्ट कर दी है। प्रधानमंत्री मोदी लगातार 11 साल से पीएम पद की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। वो क्वाड समिट में शामिल अन्य चार लोगों में वरिष्ठ नेता है। यह घटनाक्रम महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत 2025 में इस शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा।
डेलावेयर शिखर सम्मेलन क्वाड गठबंधन के गठन के 20 साल पूरे होने का प्रतीक होगा। बाइडेन का विलमिंगटन में एक घर है और वह सीनेटर रहने के दौरान एमट्रैक से वाशिंगटन आते-जाते थे। कई मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका ने शुरू में शिखर सम्मेलन के लिए कैलिफोर्निया में सनीलैंड्स एस्टेट पर विचार किया था। 2013 में, जहां तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने चीन के नवनियुक्त राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मेजबानी की थी। चीनी नेता ने उस समय ‘प्रमुख देशों के संबंधों का एक नया मॉडल’ प्रस्तावित किया था। इसमें तय किया गया था कि वाशिंगटन डीसी और बीजिंग दोनों किसी भी संघर्ष या टकराव के लिए सहमत नहीं होंगे।
डेलावेयर में क्वाड शिखर सम्मेलन के बाद, पीएम मोदी 22-23 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र के फ्यूचर शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए न्यूयॉर्क जाएंगे। 22 सितंबर को, प्रधानमंत्री लॉन्ग आइलैंड के 16,000 सीटों वाले नासाउ वेटरन्स मेमोरियल कोलिजियम में ‘मोदी और यूएस प्रोग्रेस टुगेदर’ शीर्षक से एक मेगा कम्यूनिटी इवेंट को संबोधित करेंगे। हालांकि, पीएम मोदी संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित नहीं करेंगे। विदेश मंत्री एस जयशंकर 28 सितंबर को भारत की ओर से संबोधित करेंगे। पीएम मोदी की ये अमेरिका यात्रा राष्ट्रपति चुनाव से कुछ महीने पहले हो रही है, जहां रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रम्प का सामना डेमोक्रेट उम्मीदवार कमला हैरिस से है!
यही नहीं एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक घटनाक्रम में, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने आधिकारिक तौर पर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस अक्टूबर में इस्लामाबाद आने का निमंत्रण दिया है। यह निमंत्रण आगामी शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शासनाध्यक्षों की परिषद की बैठक से जुड़ा है। हालांकि, इन दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक रूप से तनावपूर्ण संबंधों को देखते हुए, मोदी के पाकिस्तान आने की संभावना काफी दूर की कौड़ी लगती है। भारत के साथ चल रहे तनाव के कारण पिछले आठ वर्षों में सार्क शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने के इस्लामाबाद के असफल प्रयासों से इसका उदाहरण मिलता है।
भारत ने भी पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी को 2023 में गोवा में आयोजित विदेश मंत्रियों की बैठक के लिए निमंत्रण भेजा था। मोदी को पाकिस्तान से मिला निमंत्रण भी एससीओ के इसी बहुपक्षीय ढांचे के अनुरूप एक औपचारिकता है। यही वजह है कि पाकिस्तान निमंत्रण भेजने के बावजूद एससीओ मीटिंग में पीएम मोदी की मौजूदगी की उम्मीद नहीं कर रहा है। पाकिस्तान की इस आशंका की वजह सिर्फ भारत से उसका तनावपूर्ण रिश्ता ही नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरकार प्रमुखों की बैठकों के बजाय एससीओ राष्ट्राध्यक्षों की परिषद के शिखर सम्मेलनों में भाग लेने की अपनी परंपरा बनाई है। सरकार प्रमुखों की बैठकों में विदेश मंत्री एस. जयशंकर भाग लिया करते हैं।
मोदी एससीओ राष्ट्राध्यक्षों के शिखर सम्मेलनों में नियमित रूप से भाग लेते रहे हैं, हालांकि इस साल की शुरुआत में संसद सत्र चालू होने के कारण वो कजाकिस्तान में आयोजित शिखर सम्मेलन में शामिल नहीं हो पाए थे। फिर भी, उन्होंने कजाकिस्तान के राष्ट्रपति कासिम-जोमार्ट टोकायेव को शिखर सम्मेलन के लिए भारत के समर्थन का आश्वासन दिया, जो इस सुरक्षा केंद्रित गठबंधन के प्रति भारत के समर्पण को दर्शाता है। इस ब्लॉक में कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, उज्बेकिस्तान और ताजिकिस्तान जैसे मध्य एशियाई देशों के साथ-साथ चीन, रूस और ईरान शामिल हैं।