Friday, November 22, 2024
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क्या बीजेपी के लिए नुकसानदायक हो सकती है आरएसएस की नाराजगी?

यह सवाल उठना लाजमी है कि क्या बीजेपी के लिए आरएसएस की नाराजगी नुकसानदायक हो सकती है या नहीं! लोकसभा चुनाव 2024 के परिणाम के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पदाधिकारी भारतीय जनता पार्टी पर लगातार निशाना साध रहे हैं। पहले संघ प्रमुख मोहन भागवत ने मणिपुर हिंसा को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा था। अब कार्यवाहक सरसंघचालक इंद्रेश कुमार ने भी भाजपा का नाम लिए बगैर करारा तंज कसा है। संघ के पदाधिकारियों के बयानों से लाखों लोग यह सोच रहे हैं कि संघ हमेशा से भाजपा का समर्थक रहा है। अब अचानक ऐसा क्या हो गया कि बीजेपी के खिलाफ बयान दिए जा रहे हैं। दरअसल यह सब अचानक नहीं हुआ है। संघ और बीजेपी के बीच 6 महीने पहले से ही दूरियां बढ़नी शुरू हो गई थी। लोकसभा चुनाव के दौरान ये दूरियां और ज्यादा बढ़ गई। इसी कारण संघ की ओर से बीजेपी पर एक के बाद एक तंज कसे जा रहे हैं। 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में श्रीराम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हुई थी। इस प्राण प्रतिष्ठा समारोह को बीजेपी ने बड़े उत्सव के रूप में मनाया। भले ही भगवान श्रीराम करोड़ों लोगों की आस्था के केंद्र हैं लेकिन राम मंदिर का काम पूरा होने से पहले प्राण प्रतिष्ठा समारोह होने पर शंकराचार्यों ने एतराज जताया था। शंकराचार्यों का यह भी कहना था कि चुनावी फायदे के लिए बीजेपी मंदिर का निर्माण कार्य पूरा होने से पहले ही प्राण प्रतिष्ठा करा रही है। यह उचित नहीं है। वरिष्ठ पत्रकार और राजनैतिक विश्लेषक मिथिलेश जैमिनी का कहना है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी शंकराचार्यों की बात से सहमत थे लेकिन प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर संघ कुछ नहीं कर सका। बीजेपी और संघ के बीच की दूरियां तभी से शुरू हो गई थी।

चार दिन पहले यानी सोमवार 10 जून को नागपुर में आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने नागपुर में संघ के कार्यकर्ता विकास वर्ग के समापन में ऐसी ही नसीहत दी थी। यहां वो चुनाव, राजनीति और राजनीतिक दलों के रवैये पर खुलकर बोले। उन्होंने कहा जो मर्यादा का पालन करते हुए कार्य करता है, गर्व करता है, किन्तु लिप्त नहीं होता, अहंकार नहीं करता, वही सही अर्थों मे सेवक कहलाने का अधिकारी है। भागवत ने आगे कहा जब चुनाव होता है तो मुकाबला जरूरी होता है। दूसरों को पीछे धकेलना भी होता है, लेकिन इसकी एक सीमा होती है। यह मुकाबला झूठ पर आधारित नहीं होना चाहिए। लोकसभा चुनाव के चौथे चरा की वोटिंग के बाद बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा का एक बयान आया था। उन्होंने कहा, ‘शुरुआत में हम कम सक्षम थे। तब हमें RSS की जरूरत पड़ती थी। अब हम सक्षम हैं। आज BJP खुद अपने आप को चलाती है।’ इस बयान में बीजेपी और आरएसएस के बीच जो खींचतान चल रही थी, उसकी झलक साफ दिखी।

जैमिनी का कहना है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हिंदूवादी संगठन है जो सभी हिंदुओं को साथ लेकर चलना चाहता है। संघ हमेशा धर्म गुरुओं और शंकराचार्यों के फैसलों से पक्ष में खड़ा रहा है। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले अयोध्या में हुए राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में धर्म गुरुओं और शंकराचार्यों की अनुमति नहीं ली गई। कुछ शंकराचार्यों ने तो कई टीवी चैनल को खुलकर बयान दिए थे कि राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा समारोह मुहूर्त के हिसाब से ना होकर राजनैतिक फायदे के हिसाब से हो रहा है। कई हिंदू संगठन भी शंकराचार्यों के फैसलों को मानते हैं लेकिन अयोध्या में हुए राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शंकराचार्यों की बात नहीं सुनी गई थी। यही वजह है कि संघ भी बीजेपी की मनमानी से नाराज हो गया। लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने अपनी मनमर्जी से टिकट वितरण किया। भले ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस हमेशा से भाजपा का खुलकर पक्षधर रहा लेकिन इस बार टिकट वितरण में संघ की अनुमति नहीं ली गई। वोटिंग के बाद बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा का एक बयान आया था। उन्होंने कहा, ‘शुरुआत में हम कम सक्षम थे। तब हमें RSS की जरूरत पड़ती थी। अब हम सक्षम हैं। आज BJP खुद अपने आप को चलाती है।’ इस बयान में बीजेपी और आरएसएस के बीच जो खींचतान चल रही थी, उसकी झलक साफ दिखी।वरिष्ठ पत्रकार मिथिलेश जैमिनी का कहना है कि जिन नेताओं को संघ टिकट दिलाना चाहता था, पार्टी ने उन नेताओं को टिकट ही नहीं दिया। संघ के पदाधिकारी बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व की मनमानी से खुश नहीं है।

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