आने वाले समय में भारत और नेपाल के बीच में तनाव बढ़ सकता है! नेपाल की केपी शर्मा ओली की सरकार ने एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। उन्होंने एक नया नोट छापने का फैसला किया है, जिस पर नेपाल का नया नक्शा होगा। इस नक्शे में भारत के तीन इलाके – लिंपियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी को नेपाल का हिस्सा बताया गया है। यह नक्शा 2020 में जारी किया गया था और तब से भारत-नेपाल के रिश्तों में तनाव बना हुआ है। भारत का कहना है कि ये तीनों इलाके उसके हैं। नया नोट नेपाल राष्ट्र बैंक (NRB) जारी करेगा। यह 100 रुपये का नोट होगा। नोट छापने का ठेका एक चीनी कंपनी चाइना बैंकनोट प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉरपोरेशन को दिया गया है। कंपनी 30 करोड़ नोट छापेगी। इसके लिए उसे 89.9 लाख डॉलर मिलेंगे। एक्सपर्ट्स का मानना है कि ओली सरकार राष्ट्रवाद की राजनीति खेल रही है। वह इस मुद्दे का इस्तेमाल भारत के खिलाफ लोगों को भड़काने के लिए कर रही है।
भारत ने पहले ही कह दिया है कि नेपाल के दावे मनगढ़ंत हैं और वह उन्हें बिल्कुल भी स्वीकार नहीं करेगा। 2020 में जब नेपाल ने नया नक्शा जारी किया था, तब भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी। भारत ने इसे एकतरफा कार्रवाई बताया था और नेपाल को चेतावनी दी थी कि इस तरह के कृत्रिम विस्तार स्वीकार्य नहीं होंगे। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि हमारा रुख बेहद स्पष्ट है। हम नेपाल के साथ एक स्थापित मंच के माध्यम से अपने सीमा मामलों पर चर्चा कर रहे हैं। इस बीच, उन्होंने अपनी तरफ से कुछ एकतरफा कदम उठाए हैं, लेकिन अपनी तरफ से कुछ करके, वे हमारे बीच की स्थिति या जमीनी हकीकत को बदलने वाले नहीं हैं। नेपाल की सीमा भारत के पांच राज्यों – सिक्किम, पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड से लगती है। सीमा की कुल लंबाई 1,751 किलोमीटर से ज्यादा है।
लिंपियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी पश्चिमी नेपाल में उत्तराखंड से लगे हुए हैं। नए नोट को लेकर भारत की तरफ से अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन माना जा रहा है कि इससे दोनों देशों के रिश्तों में और खटास आ सकती है। यह मामला पहले से ही दोनों देशों के बीच एक बड़ा विवाद बना हुआ है। नए नोट से इस विवाद को और हवा मिलने की आशंका है। भारत सरकार के विरोध के बाद भी नेपाल सरकार ने अपने देश का नया राजनीतिक और प्रशासनिक नक्शा जारी कर दिया है। इस नए नक्शे में नेपाल ने लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा के कुल 395 वर्ग किलोमीटर के भारतीय इलाके को अपना बताया है। नेपाल के भू प्रबंधन और सुधार मंत्रालय की ओर से मंत्री पद्मा अरयाल ने नेपाल का यह नया नक्शा जारी किया।
इससे पहले नेपाल सरकार ने ऐलान किया किया था कि वह नया नक्शा जारी कर लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को अपने क्षेत्र में शामिल करेगी। इस नक्शे को अब स्कूलों और सभी सरकारी कार्यालयों में इस्तेमाल किया जाएगा। पद्मा ने कहा कि नए नक्शे को संसद के समक्ष रखा जाएगा ताकि उसमें किए गए संशोधनों को मंजूरी दिलाई जा सके।
नेपाल ने अपने नए नक्शे में कुल 395 वर्ग किलोमीटर के इलाके को शामिल किया है। लिंपियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी के अलावा गुंजी, नाभी और कुटी गांवों को भी शामिल किया गया है। नेपाल के नए नक्शे में कालापानी के कुल 60 वर्ग किलोमीटर के इलाके को अपना बताया है। इसमें लिंपियाधुरा के 335 किलोमीटर के इलाके को जोड़ दें तो यह कुल 395 वर्ग किलोमीटर हो जाता है। इस तरह से नेपाल ने भारत के 395 किलोमीटर के इलाके पर अपना दावा ठोका है। इससे पहले सोमवार को प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के नेतृत्व में कैबिनेट की बैठक के दौरान इस मैप को मंजूरी दी गई थी।
इसके मुताबिक, लिंपियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी को नेपाल का हिस्सा बताया था। जबकि ये इलाके भारत में आते हैं। नेपाली कैबिनेट से नए नक्शे के प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद नेपाल की राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने कहा था, ‘लिंपियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी इलाके नेपाल में आते हैं और इन इलाकों को वापस पाने के लिए मजबूत कूटनीतिक कदम उठाए जाएंगे।’ मंगलवार को प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने संसद में कहा था कि कालापानी, लिंपियाधुरा और लिपुलेख हमारा है और हम उसे वापस लेकर रहेंगे। दरअसल, पिछले दिनों धारचूला से लिपुलेख तक नई रोड का रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की ओर से उद्घाटन किया गया था। इस रोड पर काठमांडू ने आपत्ति जताई है। इस रोड से कैलाश मानसरोवर जाने वाले तीर्थयात्रियों की दूरी कम हो जाएगी। नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ग्यावली ने भारत के राजदूत विनय मोहन क्वात्रा को तलब कर लिया था।
जवाब में भारत ने अपनी पोजिशन साफ करते हुए कह था कि ‘उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में हाल ही बनी रोड पूरी तरह भारत के इलाके में हैं।’ ग्यावली ने सोमवार को एक ट्वीट में जानकारी दी कि ‘कैबिनेट ने 7 प्रान्त, 77 जिलों और 753 स्थानीय निकायों वाले नेपाल का नक्शा प्रकाशित करने का निर्णय लिया है। इसमें लिंपियाधुरा, लिपुलेक और कालापानी भी होंगे।’