यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या चुनाव के बाद कश्मीर में बनने वाली सरकार ताकतवर हो सकती है या नहीं! जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान शुक्रवार को गया है। जम्मू कश्मीर के विधानसभा चुनावों पर पाकिस्तान, चीन, अमेरिका समेत दुनिया के कई देशों की नजर होगी। दरअसल जम्मू कश्मीर में धारा 370 हटने के बाद पहली बार विधानसभा चुनाव होंगे। हर किसी के मन में एक सवाल आ रहा है कि जम्मू कश्मीर की नई सरकार कितनी ताकतवर होगी? उधर बीजेपी समेत अन्य राजनीतिक दल चुनाव में जीत को लेकर अभी से अपनी दावेदारी ठोकने लगे हैं। कश्मीर में होने वाले चुनाव दिलचस्प रहेंगे। अनुच्छेद 370 हटाने के बाद से ही वहां कुछ लोग नाराज हैं और ऐसा कहा गया कि बीजेपी इसी वजह से लोकसभा चुनाव कश्मीर से नहीं लड़ी। हालांकि बीजेपी ने 370 हटाने के फैसले को अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि बताया था और देशभर में इसका प्रचार भी किया था। लेकिन अब खबर है कि कश्मीर में कुछ नई पार्टियां सामने आ रही हैं, जैसे ‘पीपुल्स कॉन्फ्रेंस’ और अल्ताफ बुखारी की ‘जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी’। कहा जा रहा है कि बीजेपी इन पार्टियों को समर्थन दे सकती है। कश्मीर में सरकार बनाने के लिए बीजेपी को स्थानीय पार्टियों का समर्थन जरूरी है।
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद ये पहला विधानसभा चुनाव होगा। घाटी से 5 अगस्त 2019 को 370 को हटा दिया गया था। 10 साल बाद होने वाले विधानसभा चुनाव कई मायनों में खास होंगे। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव ने बताया कि 19 अगस्त को अमरनाथ यात्रा समाप्त होगी और 20 अगस्त को फाइनल मतदाता सूची तैयार हो जाएगी। सभी राजनीतिक दलों को इसकी कॉपी भिजवाई जाएगी।2014 में जब आखिरी बार यहां विधानसभा चुनाव हुए थे, तब से अब तक काफी कुछ चीजें बदल गई हैं। सीटों की संख्या भी पहले से थोड़ी बढ़ गई है। पहले चुनी हुई सरकार ही सबकुछ होती थी, लेकिन अब ज्यादातर शक्तियां उपराज्यपाल के पास होंगी।
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा, ‘ECI ने जम्मू-कश्मीर के लिए कार्यक्रम की घोषणा कर दी है। जम्मू-कश्मीर के लोग लंबे समय से इसका इंतजार कर रहे थे। 2018 से लोगों की अपनी सरकार नहीं थी। यह कार्यक्रम तुरंत समाप्त हो जाएगा। इसके लिए पहली बार 1987 के बाद कम समय में चुनाव होंगे। हम पहले दिन से ही इस चुनाव के लिए तैयार हैं। ECI ने स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों पर जोर दिया।
जम्मू कश्मीर में तीन चरणों में चुनाव होंगे। चुनाव का पहला चरण 18 सितंबर को होगा। दूसरा चरण 25 सितंबर और तीसरे चरण का मतदान 1 अक्टूबर को होगा। वोटों की गिनती 4 अक्टूबर को की जाएगी। यहां सभी उम्मीदवारों को सुरक्षा प्रदान की जाएगी। इसके साथ ही सभी मतदान केंद्रों की निगरानी सीसीटीवी कैमरे की ओर से भी की जाएगी। चुनाव आयोग ने बताया कि जम्मू कश्मीर में टोटल 87.09 लाख मतदाता हैं। इनमें 42 लाख 62 हजार महिला मतदाता हैं। पुरुष मतदाताओं की संख्या 44.46 लाख है। यहां पहली बार वोट देने वाले युवा मतदाताओं की संख्या 3.71 लाख हैं। जबकि कुल मिलाकर 20.7 लाख युवा मतदाता हैं जिनकी आयु 20 से 29 वर्ष के बीच है। मतदाता सूची बनाने का काम जारी है। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव ने बताया कि 19 अगस्त को अमरनाथ यात्रा समाप्त होगी और 20 अगस्त को फाइनल मतदाता सूची तैयार हो जाएगी। सभी राजनीतिक दलों को इसकी कॉपी भिजवाई जाएगी। पूरे जम्मू कश्मीर में करीब 11, 838 मतदाता केंद्र बनाए जा रहे हैं। यह मतदाता केंद्र कुल 9169 स्थानों पर बनाए जाएंगे।
जम्मू-कश्मीर बीजेपी अध्यक्ष रविंदर रैना ने जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान पर कहा, ‘बीजेपीचुनाव आयोग के फैसले का स्वागत करती है। जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव के इस निर्णय का बीजेपीलंबे समय से इंतजार कर रही थी। पिछले 10 सालों में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में जम्मू-कश्मीर में अमन, शांति, भाईचारा मजबूत हुआ है, जम्मू-कश्मीर में विकास हुआ है। बता दें कि 10 साल बाद होने वाले विधानसभा चुनाव कई मायनों में खास होंगे। 2014 में जब आखिरी बार यहां विधानसभा चुनाव हुए थे, तब से अब तक काफी कुछ चीजें बदल गई हैं। सीटों की संख्या भी पहले से थोड़ी बढ़ गई है। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा, ‘ECI ने जम्मू-कश्मीर के लिए कार्यक्रम की घोषणा कर दी है। जम्मू-कश्मीर के लोग लंबे समय से इसका इंतजार कर रहे थे।लोकसभा चुनाव में रिकॉर्ड मतदान हुआ, हमें पूरा विश्वास है कि विधानसभा चुनाव भी रिकॉर्ड मतदान होगा और जिस तरह प्रधानमंत्री ने जम्मू-कश्मीर में शानदार काम किया है, निश्चित ही जम्मू-कश्मीर में बीजेपी की जीत होगी।’