Wednesday, January 29, 2025
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क्या मणिपुर में फिर से बिगड़ सकते हैं हालात?

यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या मणिपुर में फिर से हालात बिगाड़ सकते हैं या नहीं! मणिपुर के जिरीबाम में 11 नवंबर को सुरक्षाबलों के साथ हुई मुठभेड़ में मारे गए 10 संदिग्ध उग्रवादी वाला मामला बढ़ता ही जा रहा है। स्थिति बेहद तनावपूर्ण होते देख केंद्र सरकार ने मणिपुर के हिंसा प्रभावित जिरीबाम समेत पांच जिलों के छह पुलिस थाना इलाकों को ‘अशांत क्षेत्र’ घोषित कर दिया। यहां शांति बनाए रखने के लिए तत्काल प्रभाव से सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां), अधिनियम (अफस्पा) 1958 की धारा-3 के तहत लागू कर दिया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा 14 नवंबर को जारी अधिसूचना में बताया गया है कि इंफाल वेस्ट, ईस्ट, जिरीबाम, कांगपोकपी और बिश्नुपुर जिलों के सेकमाई, लामसांग, लामलाई, जिरीबाम, लीमाखोंग और मोइरांग पुलिस थाना इलाकों में अफस्पा लगाया गया है। गृह मंत्रालय मामले पर पल-पल का अपडेट ले रहा है। अधिसूचना में यह भी कहा गया है कि अफस्पा को हटाने के मामले में अगर इस बीच इसे नहीं हटाया गया तो यह इन इलाकों में 31 मार्च 2025 तक लागू रहेगा।

सरकार ने बताया कि मणिपुर राज्य में सिक्योरिटी रिव्यू करने के बाद यह पाया गया कि मणिपुर में जारी जातीय हिंसा की वजह से यहां स्थिति अस्थिर बनी हुई है। इन इलाकों में रूक-रूक कर गोलाबारी हो रही है। ऐसे में सामान्य जनजीवन और जिंदगियों को देखते हुए यह जरूरी समझा जाता है कि इन इलाकों में अफस्पा लागू कर दिया जाए। इससे पहले मणिपुर के 19 थाना इलाकों को छोड़कर 26 सितंबर को एक अधिसूचना जारी करके संपूर्ण मणिपुर राज्य को 1 अक्टूबर, 2024 से छह महीने के लिए अशांत क्षेत्र घोषित किया गया था। इस बीच एनकाउंटर में मारे गए 10 संदिग्ध उग्रवादियों के मामले में कूकी समुदाय ने इनके पोस्टमार्टम में सरकार द्वारा जानबूझकर देरी किए जाने का आरोप लगाते हुए ITLF संगठन ने गुरूवार को कहा कि छह शवों के बुधवार को असम के सिलचर मेडिकल कॉलेज में पोस्टमार्टम किए गए। अब चार के और किए जा रहे हैं। संगठन ने चेतावनी दी है कि इन सभी शवों को वह मिजोरम और अन्य इलाकों से होते हुए सड़क मार्ग से उनके घरों तक लेकर जांएगे।

इस तरह की चेतावनी सुरक्षाबलों के लिए राज्य में कानून-व्यवस्था के लिए बड़ा संकट खड़ा कर सकती है। संगठन का दावा है कि वह कोई उग्रवादी नहीं थे, बल्कि विलेज वालंटियर थे। जिन्हें सीआरपीएफ ने फर्जी मुठभेड़ में मार गिराया। मामले की आंच असम और मिजोरम तक भी पहुंचने लगी है। दूसरी तरफ, मणिपुर के जिरीबाम और चुराचांदपुर जिलों से पुलिस ने तलाशी अभियान चलाते हुए भारी संख्या में गोला-बारूद बरामद किया। बरामद जखीरे में लोकल बनाई गई कम और लंबी दूरी तक मार करने वाली चार तोप भी बरामद की हैं। इस तरह से तोपों की बरामदगी सुरक्षाबलों के लिए गंभीर विषय बन रहा है।

अफस्पा’ अधिनियम ‘अशांत क्षेत्रों’ को ‘शांत’ करने के तहत सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए केंद्रीय सशस्त्र बलों को असीमित ताकत देता है। इसमें सुरक्षाबलों को यह अधिकार मिल जाता है कि वह कानून का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ बिना किसी वारंट और बाधा के एक तरह से खुलकर कार्रवाई कर सकते हैं। इसमें वह स्थिति की गंभीरता को समझते हुए फायरिंग करने से लेकर बिना वारंट के किसी परिसर की तलाशी लेने के साथ किसी को गिरफ्तार भी कर सकते हैं।

यही नहीं उधर, MNF ने 10 मारे गए लोगों को शहीद घोषित कर दिया। उन्होंने कहा कि एक संयुक्त CRPF-पुलिस टीम ने गांव के स्वयंसेवकों को मार डाला और उन्हें उग्रवादी बता दिया। MNF ने कहा कि CRPF ने पक्षपात दिखाया। इस तरह की हरकतों से मणिपुर में नाजुक स्थिति और बिगड़ने का खतरा है। अगर हम बचेंगे तो साथ मिलकर बचेंगे और अगर हम मरेंगे, तो हम यह सुनिश्चित करेंगे कि कोई अकेला न मरे। हम CRPF की कार्रवाई और उसके भेदभावपूर्ण व्यवहार की निंदा करते हैं।

इसमें कहा गया है कि शवों को सिलचर से मिजोरम होते हुए उनके घर तक ले जाया जाएगा। इस बीच 13 नागरिक अधिकार संगठनों ने मणिपुर घाटी- इंफाल पूर्व और पश्चिम, थोउबल, काकचिंग और बिष्णुपुर – में तीन महिलाओं और इतने ही बच्चों के अपहरण के विरोध में बंद लागू कर दिया। यह अपहरण कथित तौर पर जिरीबाम में विस्थापित मैतेई लोगों के लिए बने एक शेल्टर होम से किया गया था। हथियारबंद लोगों ने जिरीबाम के बगल में नागा बहुल तामेंगलोंग जिले के पुराने कैफुंडई के पास रसद ले जा रहे दो ट्रकों को आग के हवाले कर दिया।

 

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