यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या आने वाले समय में विनेश फोगाट को सिल्वर मेडल मिल सकता है या नहीं! रेसलर विनेश फोगाट को क्या सिल्वर मेडल मिल सकता है? आखिर उन्होंने पहला मुकाबला तो जीता ही था। भले ही वो 100 ग्राम वजन ज्यादा पाए जाने पर फाइनल मुकाबले से बाहर हो गई हों, मगर उनका पिछला जीता हुआ मेडल तो मिलना ही चाहिए…कुछ ऐसा ही सवाल सोशल मीडिया पर पूरा देश पूछ रहा है? विनेश ने इसके लिए अंतरराष्ट्रीय खेल पंचाट न्यायालय यानी कोर्ट ऑफ ऑर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट्स (CAS) का दरवाजा खटखटाया है। कोर्ट ने भी उनकी अपील मंजूर कर ली है। विनेश ने अपनी अपील में संयुक्त रूप से सिल्वर मेडल से सम्मानित किए जाने का अनुरोध किया है। इससे विनेश के सिल्वर पाने की उम्मीद लगाने वालों के लिए एक किरण दिखाई दे रही है। आइए- जानते हैं कि क्या है खेल पंचाट न्यायालय, इसके नियम क्या हैं और क्या इसका फैसला बाध्यकारी होगा? क्योंकि विनेश की पूरी लड़ाई अब गोल्ड से हटकर सिल्वर पर आ गई है। खेल पंचाट न्यायालय एक अंतरराष्ट्रीय और सर्वोच्च अपीलीय निकाय है, जिसकी स्थापना 1984 में खेल से संबंधित विवादों को मध्यस्थता के माध्यम से निपटाने के लिए की गई थी। यह कोर्ट स्विट्जरलैंड के लॉजेन में स्थित है। यह किसी भी खेल संगठन से स्वतंत्र रूप से काम करता है। इस कोर्ट के पास एथलीटों, कोच और खेल महासंघों से जुड़े विवादों पर अधिकार क्षेत्र है। न्यायालय को खेल-संबंधी विवादों को सुलझाने और खेलों में निष्पक्ष खेल और न्याय के सिद्धांतों को कायम रखने के लिए सर्वोच्च प्राधिकरण के रूप में मान्यता प्राप्त है। CAS में 87 देशों के लगभग 300 एक्सपर्ट्स हैं, जिन्हें मध्यस्थता और खेल कानून के उनकी विशेषाता के लिए चुना गया है। हर साल CAS लगभग 300 मामले दर्ज करता है। इसका फैसला बाध्यकारी माना जाता है।
पेरिस, 2024 ओलंपिक खेलों के लिए CAS के पेरिस में दो अस्थायी कार्यालय हैं। उनमें से एक सीएएस अस्थायी डिवीजन है, जिसका काम खेलों के दौरान पैदा होने वाले किसी भी कानूनी विवाद को हल करना है। इस तरह के अस्थायी न्यायाधिकरण 1996 से ग्रीष्मकालीन और शीतकालीन ओलंपिक खेलों के हर संस्करण के साथ-साथ अन्य प्रमुख खेल आयोजनों में भी मौजूद हैं। रिपोर्टों के अनुसार, पेरिस बार ने पेरिस में सीएएस के तदर्थ डिवीजन के समक्ष फोगाट का प्रतिनिधित्व करने के लिए हरीश सॉल्वे समेत चार एडवोकेट मुहैया कराए हैं, जिसकी सुनवाई आज से शुरू होनी है। हालांकि, इस मामले में फैसला आने में कुछ समय लग सकता है।
बताया जा रहा है कि फोगाट ने अपने एडवोकेट के माध्यम से यह तर्क दिया है कि क्वॉर्टर फाइनल और सेमी फाइनल मुकाबले जब उन्होंने जीत लिए थे तो दूसरे दिन के फाइनल मुकाबले के आधार पर उन्हें सिल्वर मेडल से क्यों वंचित किया जा रहा है? दूसरा, फोगाट यह भी दावा कर सकती हैं कि अधिक वजन होने के कारण उन्हें प्रतियोगिता के दूसरे दिन ही अयोग्य ठहराया जा सकता है और इसका प्रतियोगिता के पहले दिन के नतीजों पर कोई असर नहीं पड़ना चाहिए। ऐसा कहा जा रहा है कि विनेश फोगाट की टीम ने कोर्ट के समक्ष यह अनुरोध किया है कि प्रतियोगिता के पहले दिन में उनकी रैंकिंग को बरकरार रखते हुए उन्हें संयुक्त रजत पदक दिया जाए, क्योंकि उन्होंने सभी नियमों के मुताबिक उस दिन तीनों मुकाबले जीते थे।
ओलंपिक में कुश्ती आयोजनों की देखरेख करने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (UWW) का नियम स्पष्ट रूप से कहता है कि कोई भी एथलीट जो प्रतियोगिता के दोनों दिनों में अपना वजन बढ़ा लेता है तो उसे खुद ही अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा और पूरी प्रतियोगिता में अंतिम स्थान पर रखा जाएगा। दरअसल, फोगाट को 100 ग्राम अधिक वजन होने के कारण अंतिम मुकाबले में प्रतिस्पर्धा करने से अयोग्य घोषित कर दिया गया था, जबकि 50 किलोग्राम वर्ग के लिए प्रतिस्पर्धा करते समय उनका वजन 50.1 किलोग्राम था।
यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग के तय नियमों के तहत पहलवानों का वजन मुकाबले के पहले दिन लिया जाता है। मुकाबले से पहले हर दिन वजन लिया जाता है। जो लोग किसी भी दिन अपनी तय कैटेगरी में वजन कायम रख पाने में फेल हो जाते हैं तो उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया जाता है और पूरी प्रतियोगिता में अपनी रैंक खो देते हैं। फोगाट ने प्रतियोगिता के पहले दिन अपना वजन बढ़ा लिया था, दूसरे दिन फाइनल मुकाबले से पहले उनका वजन अधिक पाया गया, जिस वजह से पहले दिन अपने सभी विरोधियों को सफलतापूर्वक हराकर फाइनल में पहुंचने के बावजूद उन्होंने अपनी रैंक गंवा दी। इस वजह से फाइनल में पहुंचने के लिए जीते गए मुकाबले के बावजूद वह सिल्वर मेडल के लिए योग्य नहीं रह गई थीं।
UWW के अंतरराष्ट्रीय कुश्ती नियमों के चैप्टर 3 की धारा 11 में कहा गया है कि सभी प्रतियोगिताओं के लिए हर सुबह संबंधित भार वर्ग में वजन मापा जाता है। वेट इन और मेडिकल प्रॉसेल करीब 30 मिनट तक चलता है। दूसरे दिन सुबह संबंधित भार वर्ग में केवल रेपेचेज और फाइनल में भाग लेने वाले पहलवानों को ही वजन के लिए आना होता है। यह वेट-इन 15 मिनट तक चलेगा। फोगाट भी नियमों के तहत दी गई 15 मिनट की अवधि के दौरान अपना वजन 50.1 किलोग्राम से कम करने में असमर्थ रही, जिसके कारण उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया।