Sunday, May 19, 2024
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क्या अब विश्व में चढ़ सकता है विश्व युद्ध?

आने वाले समय में विश्व में विश्व युद्ध छिड़ सकता है! सीरिया में अपने मिशन पर इजरायल के हमले के 12 दिन बाद ईरान ने इजरायल पर ड्रोन और मिसाइलों से अटैक कर दुनिया को सकते में डाल दिया। हमले के बाद पश्चिमी देशों की ओर से प्रतिक्रियाएं भी देखने को मिली। वहीं भारतीय विदेश मंत्रालय ने भी इसे लेकर एक बयान जारी किया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा है कि ” भारत इजरायल और ईरान के बीच बढ़ रहे तनाव को लेकर चिंतित है। इन दोनों देशों के बीच इस तरह की दुश्मनी इस इलाके की सुरक्षा और शांति को खतरा है। हम दोनों देशों से सयंम बरतने, पीछे हटने और डिप्लोमेसी के ट्रैक पर लौटने की अपील करते हैं। ये बेहद जरूरी है कि क्षेत्र में सुरक्षा और स्थिरता बनी रहे। इसके अलावा विदेश मंत्रालय की ओर से ये भी कहा गया कि हम हालातों पर नजदीकी से नजर रखे हुए हैं। हमारे दूतावास वहां रह रहे भारतीयों के साथ संपर्क में हैं। ईरान और इजरायल, दोनों देशों के लिए ट्रैवल एडवाइजरी भी जारी की गई हैं। लोगों को सलाह दी है कि अगली सूचना तक ईरान और इस्राइल की यात्रा न करें।इसके साथ जो लोग इन दोनों देशों में रहे रहे हैं, उनसे कहा गया है कि वो अपना ध्यान रखें और एंबेसी के संपर्क में रहें। भारत ने इसके लिए एक हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया है। भारत सरकार पूरे हालात पर गहरी नजर बनाए हुए है। शनिवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक्स पर पोस्ट कर बताया कि उन्होंने ब्रिटिश विदेश मंत्री डेविड कैमरून के साथ बातचीत की। इस दौरान दोनों नेताओं ने वेस्ट एशिया के हालात पर चर्चा की । इस बीच अमेरिका, ब्रिटेन कनाडा और यूएन ने ईरानी अटैक की आलोचना की है, साथ ही इस पर चर्चा करने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने जी 7 नेताओं की बैठक भी बुलाई है तो वहीं यूएन सेक्योरिटी काउंसिल की एक इमरजेंसी बैठक भी बुलाई गई है। हालांकि पश्चिम एशिया मामलों के जानकार ओमैर अनस कहते हैं कि लगता नही हैं कि मामला और आगे बढ़ेगा, वो कहते हैं कि ” ईरान इस मसले पर किसी बड़े संघर्ष के पक्ष में नहीं है, वो एस सीमित दायरे में संदेश देना चाहता था। अपनी संप्रभुता साबित करने के लिए उसे इसे ये अटैक करना पड़ा और अब जैसा कि दो बड़ी शक्तियों के बीच होता है, उसने अपनी संप्रभुता इस अटैक के साबित कर दी है । वहीं अगर बात इजरायल की है, तो वॉर ऑफ वर्ड्स में वो भले ही कुछ भी कहे, लेकिन दो वजहों से अमेरिका उसे आगे नहीं बढ़ने को कहेगा।

पहली वजह ये है कि अंतरराष्ट्रीय कानूनों के मुताबिक अमेरिका जानता है कि इजरायल ने सीरिया में किया वो गलत था। इसके साथ दूसरी वजह वहां हो रहे राष्ट्रपति चुनावों से जुड़ी है। राष्ट्रपति बाइडेन फिर से राष्ट्रपति बनने की दौड़ में वैसे ही ट्रंप की ओर से से बेहद कड़े मुकाबले का सामना कर रहे हैं, ऐसे में बाइडेन नहीं चाहेंगे कि इजरायल फिर से भड़काऊ कार्रवाई करें। ” हालांकि कुछ जानकार मानते हैं कि तनाव बढ़ सकता है। अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार अमिताभ सिंह कहते हैं कि इजरायल की घरेलू पॉलिटिक्स में नेतन्याहू कमजोर पड़े हुए हैं। इसके साथ ही वो राफा पर अटैक करना चाहते हैं। बढ़ते तनाव में दुनिया का ध्यान बड़ी जंग पर चला जाएगा। इससे राफा, जिसे वो आतंकियों का गढ़ मानते हैं, वहां से उन्हें हटाने में इन्हें कामयाबी मिल जाएगी। लेकिन मौजूदा रुख से इतर अगर ईरान इसमें शामिल हो गया, चीन और रूस दोनों इसमें शामिल हो जाएंगे। लेकिन सब कुछ इस पर निर्भर करता है, कि इजरायल अब क्या करेगा ? दरअसल इस पूरे मामले की जड़ में 1 अप्रैल को सीरिया की काउंसलर बिल्डिंग में हुआ इजरायली अटैक है। इस हमले में ईरान के दो जनरलों की मौत हो गई थी।

जानकार कहते हैं कि भारत ने अपने पहले आधिकारिक बयान में बेहद सधी हुई प्रतिक्रिया दी है, जो कि संतुलित है और आगे भी वो ऐसी ही पोजीशन बरकरार रखेगा। ओमेर कहते हैं कि – भारत को अपने रुख में इस बात का ध्यान रखना होगा कि सीरिया में ईरानी मिशन पर हमला जेनेवा कन्वेंशन के नियमों का उल्लंघन है, ऐसे में किसी भी प्रतिक्रिया में इस का जिक्र किए बगैर उसके लिए कोई स्टैंड लेना मुश्किल होगा। इसके साथ ही भारत इजरायल फिलिस्तीन संघर्ष को लेकर अपनी शुरुआती प्रतिक्रिया की तरह यहां भी प्रो इजरायली रुख के पैटर्न को दोहराना नहीं चाहेगा। ऐसे में प्रतिक्रिया संतुलित ही होगी। वहीं अमिताभ सिंह कहते हैं कि अगर ये मामला संयुक्त राष्ट्र के सामने आता है तो भारत एब्सटेन कर सकता है, क्योंकि एक ओर तो ईरानी मिशन पर अटैक जेनेवा कन्वेंशन का उल्लंघन है। दूसरी ओर यूनाइटेड नेशन्स चार्टर का आर्टिकल 51 भी ये कहता है कि सेल्फ डिफेंस में ईरान की प्रतिक्रिया गलत नहीं है। ऐसे में भारत का रुख किसी भी हाल में अगर प्रो ईरान नहीं रहेगा तो प्रो इजरायल भी नहीं रहेगा।

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