Thursday, March 28, 2024
HomeIndian Newsक्या चरणजीत सिंह चन्नी पंजाब के सियासत के बनेगे जादूगर

क्या चरणजीत सिंह चन्नी पंजाब के सियासत के बनेगे जादूगर

पंजाब चुनाव से पहले कांग्रेस में मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर चल रही अटकलों पर अब विराम लग गया है. रविवार को एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने ऐलान किया है कि चरणजीत सिंह चन्नी ही कांग्रेस का मुख्यमंत्री चेहरा होंगे. उन्होंने कहा कि चन्नी जी से मैंने बात की और उनसे पूछा आपके पापा क्या करते हैं. चंन्नी जी गरीब घर के बेटे हैं और गरीबी को समझते हैं, गरीबी से निकले हैं. चंन्नी जी मुख्यमंत्री बने तो आपने नोट किया होगा कि आपको इनमें अहंकार दिखा? थोड़ा भी? नहीं. मुख्यमंत्री हैं और जनता के बीच जाते हैं लेकिन, कभी आपने प्रधानमंत्री को या योगी जी को जनता की मदद करते हुए देखा? वो लोग राजा है. चन्नी जी मुख्यमंत्री बनने नहीं आए हैं, पंजाब की सेवा करने आये हैं.असल मे राहुल गांधी ने लुधियाना में वर्चुअल रैली को संबोधित करते हुए यह  एलान किया है.

इस दौरान चरणजीत सिंह चन्नी के अलावा पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू भी मंच पर मौजूद थे.चन्नी के नाम का एलान करते हुए राहुल गांधी ने कहा,  पंजाब के लोगों को  किस तरह के नेता की  जरूरत है ,आगे कहते है की  “हमें ग़रीब घर का मुख्यमंत्री चाहिए.जो ग़रीब व्यक्तियों के दिल की घबराहट को समझे. क्योंकि पंजाब को उसी  व्यक्ति की ज़रूरत है.  यह काफी मुश्किल फ़ैसला था, लेकिन आप सभी का प्रेम इसे और आसान बना दिया.राहुल गांधी के एलान करते ही सिद्धू ने चन्नी का हाथ उठाया और फिर दोनों को गांधी मंच की ओर लाए. इस दौरान पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़ भी साथ दिखे. राहुल गांधी ने घोषणा के बाद चन्नी-सिद्धू और जाखड़ तीनों ही नेताओं को गले लगाया.

 कौन है चरणजीत सिंह चन्नी

चरणजीत सिंह के तीन भाई हैं- डॉक्टर मनमोहन सिंह, मनोहर सिंह और सुखवंत सिंह. चरणजीत सिंह चन्नी की पत्नी कमलजीत कौर एक डॉक्टर हैं . और उनके दो बेटे हैं. चन्नी के पिता हर्ष सिंह कुछ साल आजीविका के लिए अरब देशों में रहे थे. देश वापस लौटने पर उन्होंने मोहाली के खरर में टेंट हाउस का कारोबार शुरू किया. चन्नी ने चंडीगढ़ के गुरुगोविंद सिंह खासला कॉलेज से पढ़ाई की और फिर पंजाब यूनिवर्सिटी से एलएलबी किया. इसके बाद चन्नी ने पंजाब टेक्नीकल यूनिवर्सिटी से एमबीए की पढ़ाई की. चन्नी के एक क़रीबी सहयोगी मुकेश कुमार मिनका के मुताबिक़ पढ़ाई में उनकी दिलचस्पी इतनी अधिक थी कि मंत्री रहते हुए वे पंजाब यूनिवर्सिटी से पीएचडी कर रहे थे.

चन्नी की राजनीतिक सफर 

58 साल के चरणजीत सिंह चन्नी की राजनीतिक यात्रा साल 1996 में  शुरू हुआ . जब वे खरर नगर पालिका के अध्यक्ष बने. इसी दौरान वे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रमेश दत्त के संपर्क में आए. चन्नी राजनीति के अपने शुरुआती दिनों से ही रमेश दत्त से जुड़े हुए थे. हालांकि चन्नी के संपर्क दलित कांग्रेस नेता चौधरी जगजीत सिंह से भी थे.  लेकिन साल 2007 के चुनाव में उन्हें टिकट नहीं मिल पाया. चन्नी ने फ़ैसला किया कि वे चमकौर साहिब से स्वतंत्र उम्मीदवार की हैसियत से चुनाव लड़ेंगे और वे जीत  की बाजी मार दिया .साल 2012 में जब कैप्टन अमरिंदर सिंह ने उन्हें टिकट दिया तो वे फिर विधानसभा का चुनाव जीते. साल 2015 से 2016 तक वे सुनील जाखड़ के बाद पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता भी रहे.चरणजीत सिंह चन्नी ने कांग्रेस हाई कमान के पास भी अपनी पहुँच बनाई और ये माना जाता है कि कांग्रेस नेता अंबिका सोनी से उनके अच्छे रिश्ते हैं. साल 2017 का चुनाव जीतने के बाद चन्नी कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार में पहली बार मंत्री बने. कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार के अधूरे वादों को लेकर उठ रही आवाज़ों की अगुवाई करने वालों में चन्नी भी थे. कहते हैं कि पंजाब कांग्रेस कमेटी की कमान नवजोत सिंह सिद्धू को देने का समर्थन चन्नी ने भी किया था.बीते साल राज्य कांग्रेस के तत्कालीन प्रभारी हरीश रावत से मिलने के लिए देहरादून जाने वाले पंजाब के मंत्रियों और विधायकों में चन्नी भी थे. साल 2017 के विधानसभा चुनावों में चन्नी ने जो शपथ पत्र दाखिल किया था, उसके मुताबिक़ उनके पास उस वक़्त लगभग 14.53 करोड़ की संपत्ति थी.

पंजाब के पहले दलित मुख्यमंत्री

चरणजीत सिंह चन्नी पंजाब में दलित समुदाय के पहले ऐसे नेता हैं जिन्हें राज्य के मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी संभालने का मौक़ा मिला. कैप्टन अमरिंदर सिंह के इस्तीफ़े के बाद कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री पद के लिए नवजोत सिंह सिद्धू, सुनील जाखड़, अंबिका सोनी और सुखजिंदर सिंह रंधावा के नामों पर अफवाहों का बाज़ार गर्म था. लेकिन कांग्रस हाई कमान ने पंजाब के नए मुख्यमंत्री के रूप में चरणजीत सिंह चन्नी के नाम का एलान करके सबको चौंका दिया था राजनीतिक बिरादरी के महकमे  में हर तरफ़ यही कहा जा रहा था कि कांग्रेस ने पंजाब विधानसभा के चार महीने पहले दलित कार्ड खेलने की कोशिश की लेकिन इससे इस बात की अहमियत कम नहीं हो जाती कि पंजाब की राजनीति में ये एक ऐतिहासिक घटना थी। इसके साथ काँग्रेस पार्टी मे एक फिर से  उम्मीद की किरण  देखा जा रहा है . जैसा की अमरिंदर सरकार  को लेकर लोगों मे खास नाराजगी देखी  जा रही  थी  ,लेकिन  चन्नी  को काफी हद तक कम करने मे सफलता हासिल हुआ है .अब देखना है की क्या चरणजीत सिंह चन्नी वापस फिर से काँग्रेस को पंजाब की सियासत को  दिलाते है या नहीं ?

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments