यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या कांग्रेस पूर्व सांसद अशोक तंवर के जरिए दलितों को साथ पाएगी या नहीं! पूर्व सांसद अशोक तंवर शुक्रवार को कांग्रेस में औपचारिक रूप से शामिल हो गए। तंवर ने हरियाणा के दलित एवं अन्य पिछड़े वर्गों के मतदाताओं से आह्वान किया कि वे कांग्रेस को बड़ा जनादेश दें ताकि यह प्रदेश नंबर एक बन सके। तंवर बृहस्पतिवार को लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के साथ हरियाणा के महेंद्रगढ़ में चुनावी मंच पर नजर आए थे। इससे कुछ घंटे पहले ही उन्होंने बीजेपी के उम्मीदवार के लिए प्रचार किया था। हरियाणा में 5 अक्टूबर को वोटिंग होगी। ऐसे में यह सवाल है कि आखिर कांग्रेस को अशोक तंवर की ऐन मौके पर वापसी से कितना फायदा मिलेगा। पार्टी के कोषाध्यक्ष अजय माकन ने कांग्रेस मुख्यालय में तंवर का स्वागत किया और उन्हें संविधान की एक प्रति भी सौंपी। बाद में तंवर ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से मुलाकात की। इस मुलाकात के दौरान कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा भी मौजूद थे। खरगे ने मुलाकात की तस्वीर साझा करते हुए ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ”हरियाणा में हम 36 बिरादरी के साथ हैं। हमारे संकल्प सबके लिए है। दलितों, आदिवासियों, पिछड़े वर्ग, अल्पसंख्यक व गरीबों की आवाज़ हम सदैव उठाते रहेंगे। आज कांग्रेस में वापसी करने वाले पूर्व सांसद अशोक तंवर और हमारे सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा से मुलाकात की।’
दीपेंद्र हुड्डा ने तंवर को हरियाणा के वंचित, बहुजन और सर्वसमाज की मजबूत आवाज करार दिया। उन्होंने कहा, ”सिरसा से 15वी लोकसभा में मेरे साथी रहे, हरियाणा के ग़रीब-किसान-वंचित-बहुजन व सर्वसमाज की मज़बूत आवाज़ भाई अशोक तंवर जी का कांग्रेस पार्टी में शामिल होने पर स्वागत हैं। पार्टी में उनके शामिल होने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष खरगे जी से अशोक भाई के संग औपचारिक मुलाक़ात कर आशीर्वाद लिया।’ कांग्रेस मुख्यालय में माकन ने तंवर का पार्टी में औपचारिक रूप से स्वागत करते हुए कहा, ”हम सभी ने संविधान की रक्षा करने का प्रण लिया है। हम देश के संविधान और बाबासाहेब आंबेडकर के सिद्धांतों की रक्षा के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। हमें आशा है कि अशोक तंवर जी के आने से इन प्रयासों को और बल मिलेगा।’ तंवर ने कहा, ”मेरे राजनीतिक जीवन की शुरुआत कांग्रेस पार्टी से हुई। कुछ समय के लिए मैं भाजपा में शामिल हो गया था, लेकिन वहां देश के संविधान और बाबासाहेब के प्रति कोई आस्था नहीं है।”
उन्होंने कहा कि भाजपा लोगों को बांटने का काम करती है, लेकिन राहुल गांधी जी ने यात्रा निकालकर लोगों को एक करने का काम किया है। पूर्व सांसद ने कहा, ‘आज मैं फिर देश जोड़ने और संविधान बचाने की लड़ाई में राहुल गांधी जी के साथ खड़ा हूं। तंवर ने कहा कि मैं हरियाणा के दलितों, वंचितों और पिछड़ों से अनुरोध करता हूं कि हरियाणा को फिर नंबर एक बनाने के लिए यहां कांग्रेस की सरकार बनाएं। मेरा आग्रह है कि लोग कांग्रेस को बड़ा जनादेश दें जिसका संदेश पूरे देश में जाए।”
एक सवाल के जवाब में तंवर ने कहा कि सिरसा लोकसभा में उनकी नहीं, बल्कि भाजपा और उसकी नीतियों की हार हुई है। हरियाणा में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान से दो दिन पहले बृहस्पतिवार को भाजपा को झटका देते हुए अशोक तंवर बृहस्पतिवार को महेंद्रगढ़ जिले में राहुल गांधी की रैली में कांग्रेस में शामिल हो गए थे। कांग्रेस में वापसी से कुछ घंटे पहले सिरसा के पूर्व सांसद तंवर ने सफीदों विधानसभा क्षेत्र में भाजपा उम्मीदवार के लिए प्रचार किया था और मतदाताओं से भाजपा को तीसरी बार सत्ता में वापस लाने का आह्वान किया था।
तंवर पांच साल पहले हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ मतभेदों के चलते कांग्रेस से अलग हो गए थे। वह अप्रैल 2022 में आम आदमी पार्टी (आप) में शामिल हुए थे। आप में शामिल होने से पहले वह कुछ समय के लिए तृणमूल कांग्रेस में भी रहे थे। पार्टी के कोषाध्यक्ष अजय माकन ने कांग्रेस मुख्यालय में तंवर का स्वागत किया और उन्हें संविधान की एक प्रति भी सौंपी। बाद में तंवर ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से मुलाकात की।भाजपा में शामिल होने के बाद तंवर ने मई में सिरसा लोकसभा सीट से कांग्रेस नेता कुमारी सैलजा के खिलाफ चुनाव लड़ा था लेकिन हार गए थे। भाजपा ने सिरसा से निवर्तमान सांसद सुनीता दुग्गल का टिकट काटकर तंवर को मुकाबले में उतारा था।