क्या लोकसभा चुनाव में बीजेपी के तीन नए मुख्यमंत्री दिखा पाए जादू?

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यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या लोकसभा चुनाव में बीजेपी के तीन नए मुख्यमंत्री जादू दिखा पाए या नहीं! लोकसभा चुनाव के नतीजों में बीजेपी ने गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश से लेकर उत्तराखंड में बेहतर प्रदर्शन किया है। वहीं, राजस्थान में पार्टी का प्रदर्शन उम्मीद के अनुसार नहीं रहा है। ऐसे में बीजेपी के प्रदर्शन में संबंधित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की अहम भूमिका रही है। इस भूमिका में मध्यप्रदेश के नए सीएम डॉ. मोहन यादव उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया है। पार्टी ने राज्य की 29 सीटों पर क्लीन स्वीप किया है। इसमें कांग्रेस की परंपरागत छिंदवाड़ा सीट भी शामिल है। छत्तीसगढ़ के नए सीएम विष्णु देव साय के नेतृत्व में पार्टी ने राज्य में 11 में से 10 सीट पर जीत हासिल की है। वहीं, गुजरात में पार्टी 26 में 25 सीट जीतने में कामयाब रही। उत्तराखंड में भी पार्टी ने सभी 5 सीटें जीत ली। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने बेहतर प्रदर्शन किया। यूपी में पार्टी को सबसे अधिक झटका लगा। भाजपा ने मध्य प्रदेश में छिंदवाड़ा समेत राज्य की सभी 29 लोकसभा सीट पर जीत दर्ज की। जांजगीर-चांपा अनुसूचित जाति वर्ग के लिए सुरक्षित है। बीजेपी ने राज्य में 2004, 2009 और 2014 के लोकसभा चुनावों में 11 में से 10 सीटें जीती थीं। 2019 में कांग्रेस 11 में से दो सीटें जीतने में सफल रही थी। उनमें से एक एसटी आरक्षित सीट बस्तर थी। बीजेपी साल 2000 में राज्य के गठन के बाद से लोकसभा चुनावों में पारंपरिक रूप से आरक्षित सीटों पर अच्छा प्रदर्शन करती रही है।मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने राज्य में 180 से अधिक जनसभाओं को संबोधित किया। इसके साथ ही करीब 58 रोड शो किए। नवंबर 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के बाद पार्टी ने शिवराज सिंह चौहान के स्थान डॉ. मोहन यादव को मुख्यमंत्री चुना था। मोहन यादव पर विधानसभा चुनाव के बाद लोकसभा में पार्टी के प्रदर्शन को दोहराने का दबाव था। मोहन यादव ने अपने काम को बखूबी अंजाम दिया। मध्यप्रदेश पिछले तीन लोकसभा चुनाव में बीजेपी के लिए मजबूत किला रहा है। 2014 में बीजेपी ने 29 में से 27 सीट जीती थी। वहीं, पिछले चुनाव में भी मध्य प्रदेश में बीजेपी ने 28 सीटें जीती थीं।

छत्तीसगढ़ में बीजेपी का शानदार प्रदर्शन जारी रहा। पार्टी ने यहां 2019 के अपने प्रदर्शन में सुधार किया। पार्टी ने इस बार राज्य की 11 में से 10 सीटों पर जीत हासिल की। पार्टी की जीत में राज्य के सीएम विष्णु देव साय की अहम भूमिका रही है। साय के नेतृत्व में पार्टी ने यहां कांग्रेस से बस्तर सीट छीनते हुए राज्य की सभी पांच आरक्षित लोकसभा सीट पर जीत हासिल की। राज्य की कुल 11 लोकसभा सीट में से बस्तर, कांकेर, रायगढ़ और सरगुजा अनुसूचित जनजाति (एसटी) वर्ग के लिए तथा जांजगीर-चांपा अनुसूचित जाति (एससी) वर्ग के लिए सुरक्षित है। बीजेपी ने राज्य में 2004, 2009 और 2014 के लोकसभा चुनावों में 11 में से 10 सीटें जीती थीं। 2019 में कांग्रेस 11 में से दो सीटें जीतने में सफल रही थी। उनमें से एक एसटी आरक्षित सीट बस्तर थी। बीजेपी साल 2000 में राज्य के गठन के बाद से लोकसभा चुनावों में पारंपरिक रूप से आरक्षित सीटों पर अच्छा प्रदर्शन करती रही है।

राजस्थान में लोकसभा चुनाव में बीजेपी का प्रदर्शन उम्मीद के अनुरूप नहीं रहा। पार्टी ने यहां कुल 25 में 14 सीटों पर जीत दर्ज की। पार्टी यहां पिछले साल नवंबर में हुए विधानसभा के प्रदर्शन को नहीं दोहरा सकी। राजस्थान में बीजेपी का पिछले दो आम चुनाव में बेहतर प्रदर्शन रहा था। पार्टी ने साल 2014 में राज्य की सभी 25 सीटों पर जीत दर्ज की थी। बता दें कि पार्टी ने राज्य की 29 सीटों पर क्लीन स्वीप किया है। इसमें कांग्रेस की परंपरागत छिंदवाड़ा सीट भी शामिल है। छत्तीसगढ़ के नए सीएम विष्णु देव साय के नेतृत्व में पार्टी ने राज्य में 11 में से 10 सीट पर जीत हासिल की है। वहीं, गुजरात में पार्टी 26 में 25 सीट जीतने में कामयाब रही। उत्तराखंड में भी पार्टी ने सभी 5 सीटें जीत ली।मध्यप्रदेश पिछले तीन लोकसभा चुनाव में बीजेपी के लिए मजबूत किला रहा है। 2014 में बीजेपी ने 29 में से 27 सीट जीती थी। वहीं, पिछले चुनाव में भी मध्य प्रदेश में बीजेपी ने 28 सीटें जीती थीं। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने बेहतर प्रदर्शन किया। वहीं, पिछले आम चुनाव में पार्टी ने 24 सीट जीतने में सफलता हासिल की थी। इस बार कांग्रेस ने बीजेपी से 8 सीटें छीन लीं। वहीं, तीन सीटों पर इंडिया दल के अन्य घटक जीतने में सफल रहे। ऐसे में सीएम भजन लाल शर्मा पार्टी के बेहतर प्रदर्शन में फेल दिखे।