पूरा विश्व मंदी की चपेट में आने को है! इन दिनों मंदी की खूब चर्चा है। अमेरिका में तकनीकी तौर पर इसने दस्तक दे दी है। पिछली दो तिमाहियों में अमेरिकी अर्थव्यवस्था सिकुड़ी है। इसके उलट भारत में स्थितियां उतनी बिगड़ी नहीं दिखती हैं। बेशक, महंगाई है। अन्य केंद्रीय बैंकों की देखादेखी भारतीय रिजर्व बैंक ने भी ब्याज दरें बढ़ाई हैं। जॉब मार्केट कमजोर है। लेकिन, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का भरोसा कायम है। वह संसद में कह चुकी हैं कि भारत में मंदी का सवाल ही नहीं है। इसके पहले भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने भी कहा था कि भारत की स्थिति मजबूत है। उसके पास हर स्थिति से निपटने के लिए पर्याप्त मुद्रा भंडार है। ऐसा एक और पैरामीटर है जो मंदी आने के संकेत देता है। वह अंडरवीयर और टी-शर्टों की बिक्री है। आपको सुनकर थोड़ा अटपटा जरूर लग सकता है, लेकिन यह सच है। अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व के पूर्व प्रमुख एलन ग्रींसपैन पुरुषों की अंडरवीयर की बिक्री पर काफी नजर रखते थे। वह मानते थे कि इससे मंदी का अनुमान लगाया जा सकता है। आखिर वह ऐसा क्यों मानते थे? अगर अंडरवीयर और टी-शर्ट की बिक्री को पैरामीटर मान भी लें तो भारत के बारे में ये क्या बयां करते हैं? आइए, यहां इस पूरे मामले को समझते हैं।
एलन ग्रींसपैन की गिनती धुरंधर अर्थशास्त्रियों में थी। वह 1987 से 2006 तक फेडरल रिजर्व के प्रमुख रहे। उन्होंने अमेरिका के कई राष्ट्रपतियों के साथ काम किया। इनमें रोनाल्ड रीगन, जॉर्ज एच डब्ल्यू बुश, बिल क्लिंटन और जॉर्ज डब्ल्यू बुश शामिल हैं। उनकी पुरुषों के अंडरवीयर में अलग तरह की ही दिलचस्पी रहती थी। वह मानते थे कि अंडरवीयर की बिक्री से मंदी के बारे में अनुमान लगाया जा सकता है। उनकी थ्योरी बड़ी सिंपल थी। ग्रींसपैन के अनुसार, अंडरवीयर की बिक्री साल के पूरे समय कमोबेश एक जैसी रहती है। ऐसा समय कुछ बार ही होता है जब इसमें गिरावट आती है। यही वह समय होता है जब पुरुष इतना फाइनेंशियल दबाव महसूस करते हैं कि वे अपनी अंडरवीयर को भी नहीं बदलते हैं। उन्हें लगता था कि यही मंदी की दस्तक का समय होता है।
क्या है उदाहरण
अगर ग्रींसपैन की थ्योरी को पैरामीटर मान लें तो भारत के लिए किस तरह की सूरत दिखाई देती है? इसके लिए कुछ अंडरवीयर ब्रांडों को लेना होगा। जॉकी इसके लिए अच्छा उदाहरण हो सकती है। देशभर में जॉकी के एक लाख से ज्यादा आउटलेट हैं। ये आउटलेट ढाई हजार से ज्यादा शहरों में फैले हैं। इस अंडरवीयर को बनाने और बेचने का लाइसेंस पेज इंडस्ट्रीज के पास है। पिछले साल के मुकाबले जनवरी से मार्च 2022 के दौरान पेज इंडस्ट्रीज की बिक्री 26 फीसदी बढ़ी है। यह तब है जब उसने साल के दौरान कीमतों में 13 फीसदी की बढ़ोतरी की। कॉटन की कीमतें बढ़ने के कारण अंडरवीयर के दाम बढ़ाने पड़े थे।अब बात करते हैं दूसरे इंडिकेटर यानी टी-शर्ट की। इसके लिए वी-मार्ट को लेते हैं। कंपनी के रेवेन्यू में 30 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। कंपनी वित्त वर्ष 2022-23 में अपने स्टोरों की संख्या में भी इजाफा करने के बारे में सोच रही है। अभी इसके 380 स्टोर हैं। इसमें और 60 स्टोर जोड़े जा सकते हैं।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल में संसद में कहा था कि भारत में मंदी का सवाल ही नहीं उठता है। महंगाई पर चर्चा के दौरान उन्होंने यह बात कही थी। इस दौरान उन्होंने अमेरिका का भी जिक्र किया था। सीतारमण बोली थीं कि देखना होगा कि दुनिया में क्या हो रहा है। कोरोना के संदर्भ में उन्होंने कहा था कि दुनिया ने ऐसी महामारी का सामना पहले कभी नहीं किया। इससे बाहर आने के लिए हर कोई अपने स्तर पर काम कर रहा है।
उनसे पहले आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने भी कहा था कि भारत मजबूत स्थिति में है। रिजर्व बैंक ने विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाने का अच्छा काम किया है। भारत के पास पर्याप्त विदेशी मुद्रा है। देश में श्रीलंका और पाकिस्तान जैसे हालात नहीं बनेंगे। बेशक, भारत पर विदेशी कर्ज है। लेकिन, यह अन्य देशों के मुकाबले काफी कम है। महंगाई का दबाव इस वक्त पूरी दुनिया में है। सबसे ज्यादा महंगाई खाद्य पदार्थों और ईंधन में है। रिजर्व बैंक लगातार ब्याज दरें बढ़ा रहा है। इससे आने वाले वक्त में महंगाई जरूर कम होगी।अब अगर अंडरवीयर और टी-शर्ट को भी संकेत मान लें तो भारत फिलहाल तो मंदी की जकड़न में नहीं घिरने जा रहा है। यह भी सच है कि अंडरवीयर और टी-शर्ट की बिक्री पर और भी कई बातों से असर पड़ सकता है। ऐसे में इसे अर्थव्यवस्था में मंदी के ठोस संकेत के तौर नहीं देखा जा सकता है।