रक्षा बंधन हिंदुओं का एक पवित्र त्योहार है इस त्योहार को श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। रक्षा बंधन के त्योहार के साथ ही हिंदुओ के सावन महीने का अंत भी हो जाता है। रक्षा बंधन के दिन बहने अपने भाइयों की कलाई पर राखी या धागा बांधती हैं। इसके अलावा बेटी भी अपने पिता को Rakhi बांधती और बुआ अपने भतीजों को भी राखी बांधती है। राखी बांधने के बदले भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं और हर समय उनकी रक्षा करने का वचन देते हैं। आज ही भद्राकाल भी शुरू हो चुकी है। पूर्णिमा तिथि 10 बजकर 38 मिनट पर आरंभ हो गई है। भद्रा रात 08 बजकर 53 मिनट पर समाप्त होगी। 11 अगस्त को भद्रा समाप्त होने पर रात 08 बजकर 54 मिनट से रात 09 बजकर 49 मिनट तक राखी बांध सकते हैं। लेकिन हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार सूर्यास्त के बाद राखी बांधना वर्जित है। इस कारण से कुछ लोग 12 अगस्त को भी रक्षाबंधन मना रहे हैं।
राखी बांधते समय दिशा का रखें ध्यान
राखी बांधते समय दिशा का ध्यान रखना बेहद आवश्यक है। जब भी आप अपने भाई को राखी बांधें तो उसे पूर्व दिशा की तरफ बिठाकर राखी बांधे। ध्यान रखें बहन का मुख पश्चिम दिशा की ओर हो। जब भी बहन भाई को राखी बांधे उस समय बहनों को दक्षिण-पश्चिम दिशा की ओर और भाइयों को उत्तर-पूर्व दिशा की ओर देखना चाहिए। राखी बांधने के दौरान किसी अन्य दिशा में गलती से भी ना देखें। गलती से भी उत्तर-पश्चिम दिशा में बैठकर राखी ना बांधे। राखी बांधने के लिए यह सही दिशा नहीं है।
रक्षा सूत्र या राखी बांधने का ज्योतिष महत्व
राखी या रक्षा सूत्र बांधते समय कई बातों का ध्यान रखना चाहिए। राखी बांधने का ज्योतिषीय महत्व भी है। ज्योतिष शास्त्र कर अनुसार राखी बांधते समय तीन गांठें बांधनी चाहिए। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मणिबंध से भाग्य की और जीवन की रेखा शुरू होती है। मान्यताओं के अनुसार इन मणिबंधो में त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु, महेश और त्रिशक्ति शक्ति, लक्ष्मी और सरस्वती का वास रहता है। जब आप राखी या रक्षासूत्र बांधते हैं तो यह सूत्र त्रिशक्तियों और त्रिदेव को समर्पित माना जाता है।
जब द्रौपदी ने बांधा था श्री कृष्ण के हाथ में रक्षा सूत्र
रक्षाबंधन का पर्व कैसे हुआ आरंभ ?
आज कैसे बांधे रक्षा सूत्र, क्या है पूजा विधि
– पहले स्नान करके भगवान की पूजा-आराधना करें और अपने-अपने इष्टदेव को रक्षासूत्र बांधे।
– पूजा के बाद बहनें राखी की थाली सजाएं।
– पूजा की थाली में रोली, अक्षत,कुमकुम, रंग-बिरंगी राखी, दीपक और मिठाई रखें।
– शुभ मुहूर्त को ध्यान में रखते हुए बहनें भाईयों के माथे पर चंदन, रोली और अक्षत से तिलक लगाएं।
– इसके बाद भाई के दाएं हाथ की कलाई पर रक्षासूत्र बांधे और भाई को मिठाई खिलाएं।
– अंत में बहनें भाई की आरती करते हुए अपने इष्टदेव का स्मरण करते हुए भाई की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना करें।
– रक्षासूत्र बांधते हुए आज इस मंत्र का जाप का जरूर करें।
भद्राकाल में रक्षाबंधन, आज किस मुहूर्त में बांधी जा सकती है राखी
आज पूरे दिन भद्रा काल रहेगी लेकिन इस भद्रा का वास पृथ्वी पर न होकर पाताललोक में रहेगी। ऐसे में कुछ विद्वानों का मत है कि इस भद्रा का अशुभ प्रभाव पृथ्वी वासियों के ऊपर नहीं पड़ेगी। ऐसे आज कुछ विशेष मुहूर्त में राखी बांधी जा सकती है।
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ : 11 अगस्त को सुबह 10:38 से प्रारंभ
पूर्णिमा तिथि समाप्त : 12 अगस्त को सुबह 7 बजकर 5 मिनट पर समाप्त होगी
रक्षाबंधन 2022 शुभ योग संयोग
रवि योग : रवि योग सुबह 05:30 से 06:53 तक रहेगा
आयुष्मान योग : 10 अगस्त 07:35 से 11 अगस्त दोपहर 03:31 तक
सौभाग्य योग : 11 अगस्त को दोपहर 03:32 से 12 अगस्त सुबह 11:33 तक
शोभन योग : घनिष्ठा नक्षत्र के साथ शोभन योग भी लगेगा