क्या भारत चीन बॉर्डर पर हो सकता है युद्ध?

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भारत और चीन के बीच कई समझौते हो चुके हैं, लेकिन देपसांग और डेमचोक ऐसी जगह है जहां पर अभी तक कुछ नहीं हो पाया! भारत और चीन की सेनाएं पूर्वी लद्दाख के गोगरा-हॉट स्प्रिंग्‍स इलाके में स्थित पैट्रोलिंग पॉइंट-15 से पीछे हटने लगी हैं। 28 महीनों से सीमा पर जारी तनाव के बीच गुरुवार को PP-15 पर डिसइंगेजमेंट की शुरुआत हुई। हालांकि यहां पर 40-50 से ज्‍यादा सैनिक नहीं थे। इसके बावजूद, PP-15 पर एक ‘नो पैट्रोल बफर जोन’ बना दिया गया है। भारत के लिए चिंता का सबब चीनी सैनिकों का बड़ी संख्‍या में देपसांग और डेमचोक में जमा होना है। चीन की पीपुल्‍स लिबरेशन आर्मी ने देपसांग में अच्‍छा-खासा अतिक्रमण कर रखा है। डेमचोक में भी चीनी सेना ने अतिरिक्‍त टेंट गाड़ दिए हैं। भारत और चीन सीमा पर ताजा स्थिति क्‍या है, आइए समझते हैं।

करीब सालभर चली बातचीत के बाद, भारत और चीन कुगरांग नाला के पास PP-15 से सेना पीछे करने पर राजी हुए हैं। सेना ने गुरुवार एक बयान में कहा कि 16वें दौर की कोर कमांडर लेवल बातचीत में PP-15 से डिसइंगेजमेंट पर सहमति बनी। यह बातचीत 17 जुलाई को हुई थी। PP-15 पर दोनों तरफ से केवल 40-50 सैनिक मौजूद थे जबकि इससे सटे इलाकों में कहीं ज्‍यादा फोर्स है।PP-15 पर ‘बफर जोन’ बनाए जाने के साथ ही LAC पर ताजा तनाव के दरम्‍यान बने बफर जोन्‍स की संख्‍या 4 हो गई है। इससे पहले, PP-14, PP-17A और पैंगोंग झील के दो तटों पर 3 से लेकर 10 किलोमीटर के बफर जोन बनाए गए थे। पैगोंग झील-कैलाश रेंज क्षेत्र से डिसइंगेजमेंट फरवरी 2021 में हुआ था। गोगरा पोस्‍ट के पास मौजूद PP-17 पर इसी साल अगस्‍त की शुरुआत में बफर जोन बना। चिंता की बात यह है कि ये बफर जोन्‍स उन इलाकों में बने हैं जिन्‍हें भारत अपना मानता है।

भारत के लिए एक बड़ी समस्‍या देपसांग में PLA का अतिक्रमण है। उत्‍तर में काराकोरम पास और अति-महत्‍वपूर्ण दौलत बेग ओल्‍डी तक जाने के लिए 16,000 फीट की ऊंचाई पर मौजूद यह पठारी इलाका बेहद अहम है। PLA लगातार देपसांग में भारतीय सैनिकों को ब्‍लॉक कर रही है। वह भी 18-18 किलोमीटर भीतर तक, जिस इलाके को भारत अपना मानता है। अप्रैल-मई 2020 के बाद भारत परंपरागत रूप से PP-10, 11, 12, 12A और 13 पर पैट्रोल भी नहीं कर पा रहा। यह माना जा रहा है कि देपसांग का मसला केवल शीर्ष स्‍तर पर राजनीतिक दखल से सुलझ सकता है।

डेमचोक सेक्‍टर की स्थिति भी देपसांग से अलग नहीं है। यहां पर चारदिंग निंगलुंग नाला (CNN) ट्रैक जंक्‍शन के पास, जून 2022 से भारतीय इलाके में चीन ने अतिरिक्‍त टेंट गाड़ रखे हैं। चीन के लड़ाकू विमान कई बार वास्‍तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के बेहद करीब से उड़ान भरते हुए नजर आए हैं। अक्‍सर उन्‍होंने 10 किलोमीटर के नो-फ्लाई जोन का भी उल्‍लंघन किया।PP-15 से डिसइंगेजमेंट पर सहमति बनने में सालभर से ज्‍यादा लग गए। देपसांग और डेमचोक में तनाव के आगे यह बेहद छोटा कदम है। हालांकि, इससे पीएम नरेंद्र मोदी और चीनी राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय बैठक का रास्‍ता साफ हो सकता है।यह माना जा रहा है कि देपसांग का मसला केवल शीर्ष स्‍तर पर राजनीतिक दखल से सुलझ सकता है।

डेमचोक सेक्‍टर की स्थिति भी देपसांग से अलग नहीं है। यहां पर चारदिंग निंगलुंग नाला (CNN) ट्रैक जंक्‍शन के पास, जून 2022 से भारतीय इलाके में चीन ने अतिरिक्‍त टेंट गाड़ रखे हैं। चीन के लड़ाकू विमान कई बार वास्‍तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के बेहद करीब से उड़ान भरते हुए नजर आए हैं। अक्‍सर उन्‍होंने 10 किलोमीटर के नो-फ्लाई जोन का भी उल्‍लंघन किया।PP-15 से डिसइंगेजमेंट पर सहमति बनने में सालभर से ज्‍यादा लग गए। देपसांग और डेमचोक में तनाव के आगे यह बेहद छोटा कदम है। हालांकि, इससे पीएम नरेंद्र मोदी और चीनी राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय बैठक का रास्‍ता साफ हो सकता है। यह बैठक 15-16 सितंबर के बीच उज्‍बेकिस्‍तान में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्‍मेलन के दौरान हो सकती है। दोनों देशों ने अभी तक न तो द्विपक्षीय मुलाकात की पुष्टि की है, न ही इससे इनकार किया है। पीएम मोदी और राष्‍ट्रपति जिनपिंग के बीच अप्रैल-मई 2020 के बाद से कोई बात/मुलाकात नहीं हुई है।यह बैठक 15-16 सितंबर के बीच उज्‍बेकिस्‍तान में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्‍मेलन के दौरान हो सकती है। दोनों देशों ने अभी तक न तो द्विपक्षीय मुलाकात की पुष्टि की है, न ही इससे इनकार किया है। पीएम मोदी और राष्‍ट्रपति जिनपिंग के बीच अप्रैल-मई 2020 के बाद से कोई बात/मुलाकात नहीं हुई है।