IAS पूजा खेड़कर विकलांगता प्रमाण पत्र भी हासिल करना चाहती थी! ट्रेनी आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर इस वक्त सुर्खियों में हैं। सिविल सेवा परीक्षा पास करने के लिए फर्जी दिव्यांगता और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) सर्टिफिकेट इस्तेमाल करने का इन पर आरोप है। पूजा हाल ही में तब सुर्खियों में आईं जब उन्होंने पुणे में अपनी तैनाती के दौरान कथित तौर पर अलग ‘केबिन’ और ‘स्टाफ’ की मांग की थी और उसके बाद उनका ट्रांसफर वाशिम जिले में कर दिया गया। अब इस मामले में एक और जानकारी सामने आई है। अगस्त 2022 में, पूजा खेडकर ने पुणे से विकलांगता प्रमाण पत्र के लिए अप्लाई किया था। लेकिन डॉक्टरों ने उनकी जांच के बाद सर्टिफिकेट जारी करने से इनकार कर दिया था। रिपोर्ट में इस लेटर को दिखाया गया है। जो लेटर खारिज करते हुए भेजा गया उसमें लिखा गया है कि आपके मेडिकल कंडीशन की जांच की गई, मेडिकल बोर्ड की ओर से पूरे मामले को देखा गया लेकिन विकलांगता प्रमाण पत्र जारी करना संभव नहीं है। यह दूसरी बार था जब खेडकर ने इस तरह का मेडिकल सर्टिफिकेट हासिल करने का प्रयास किया था। रिपोर्टों के अनुसार इससे पहले अहमदनगर से एक प्रमाण पत्र हासिल करने का प्रयास किया था। महाराष्ट्र काडर की 2022 बैच की ट्रेनी IAS अधिकारी पूजा खेडकर की नियुक्ति सवालों के घेरे में आ गई है। 821वीं रैंक हासिल करने वाली अधिकारी पर आरोप लगे हैं कि सिविल सेवा परीक्षा पास करने के लिए कथित तौर पर फर्जी दिव्यांगता और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) सर्टिफिकेट जमा किए। ट्रेनी IAS अधिकारी ने ओबीसी और दृष्टिबाधित श्रेणियों के तहत सिविल सेवा परीक्षा दी थी।
इस कैटेगरी में अप्लाई करने की वजह से पूजा को एम्स में मेडिकल टेस्ट के लिए बुलाया गया। आईएएस पद के लिए चयन प्रक्रिया के दौरान पूजा ने छह बार अनिवार्य मेडिकल परीक्षण कराने से मना किया था। अप्रैल 2022 में दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में पहला टेस्ट निर्धारित किया गया था, जिसे उन्होंने कोविड-19 पॉजिटिव होने का दावा करते हुए छोड़ दिया। इसके बाद मई, जुलाई और अगस्त में भी उन्होंने परीक्षण टाल दिया। सितंबर में, उन्होंने एक एमआरआई टेस्ट नहीं करवाया जो उनकी दोनों आंखों में विजन लॉस के आकलन करने के लिए जरूरी था। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पूजा ने एक प्राइवेट मेडिकट सेंटर से एमआरआई रिपोर्ट जमा करा दी थी।
ट्रेनी IAS अधिकारी पूजा खेडकर पर आरोप हैं कि सिविल सेवा परीक्षा पास करने के लिए उन्होंने फर्जी दिव्यांगता और ओबीसी सर्टिफिकेट दिए। ट्रेनिंग के दौरान अपने लिए अलग केबिन और स्टाफ की मांग की, जो प्रोबेशनरी ट्रेनी को नहीं दिए जाते। पुणे कलेक्टर की रिपोर्ट के अनुसार पूजा ने 3 जून को ट्रेनी के तौर पर जॉइन करने से पहले ऐसी मांगे की थीं, लेकिन उन्हें ये सुविधाएं नहीं दी गईं। पद के कथित दुरुपयोग को लेकर विवाद में आने के बाद उनका ट्रांसफर कर दिया गया। आरोप यह भी है कि वह निजी ऑडी कार पर लाल-नीली बत्ती और वीआईपी नंबर प्लेट का इस्तेमाल करती थीं। खेडकर की अब एक सदस्यीय पैनल द्वारा जांच की जा रही है और दोषी पाए जाने पर उन्हें बर्खास्त कर दिया जाएगा।
ट्रेनी आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर के पिता ने बेटी का बचाव करते हुए कहा कि उन्होंने कुछ भी गैरकानूनी नहीं किया है। महाराष्ट्र सरकार के पूर्व कर्मचारी और पूजा के पिता दिलीप खेडकर ने एक मराठी समाचार चैनल से कहा कि वह वास्तव में गैर समृद्ध वर्ग (नॉन-क्रीमी लेयर) से संबंध रखते हैं। दिलीप खेडकर ने लोकसभा चुनाव लड़ा था और उन्होंने अपने चुनावी हलफनामे में 40 करोड़ रुपये की संपत्ति घोषित की थी। उन्होंने कहा कि यदि सीमित साधनों वाला कोई व्यक्ति चार से पांच एकड़ जमीन का मालिक है, तो मूल्यांकन से पता चल सकता है कि उसकी संपत्ति कई करोड़ रुपये है। दिलीप ने कहा क्रीमी लेयर के रूप में वर्गीकरण (संपत्ति) मूल्यांकन के बजाय आय पर निर्भर करता है। वहीं पूजा खेडकर की मां मनोरमा खेडकर से भूमि विवाद को लेकर उनके खिलाफ दर्ज मामले में अभी तक संपर्क नहीं कर पाई है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी। भूमि विवाद को लेकर मनोरमा द्वारा कुछ लोगों को पिस्तौल दिखाकर कथित तौर पर धमकाने का वीडियो सामने आने के बाद पुलिस ने मनोरमा और उनके पति दिलीप खेडकर के अलावा पांच अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है।