जैसा कि कई राज्यों में भूकंप के झटके महसूस किये जा रहे है जिनकी तीव्रता रिएक्टर स्केल पर मापी गई तो तीव्रता 6.6 रही. भूकंप का असर कई राज्यों में रहा जैसे ही दिल्ली NCR, जम्मू कश्मीर, पंजाब, हिमाचल, उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड और मध्य प्रदेश के समेत पूरे उत्तर भारत में था. बताया जा रहा है कि अफ़ग़ानिस्तान का हिन्दु कुश भूकंप का केंद्र क्षेत्र था. वहीं आज 24 मार्च, शुक्रवार के दिन मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी भूकंप के झटकों को महसूस किया गया है. जिसकी तीव्रता रिएक्टर स्केल के मुताबिक़ 4.0 थी. यह भूकंप के झटके सुबह क़रीब 10:31 बजे के आस–पास आया था.
भूकंप का केंद्र ग्वालियर से 28 किलोमीटर दूर ज़मीन से 10 किलोमीटर अंदर था यह जानकारी हमें नेशनल सेंटर फॉर सीसमोलॉजी से मिली है. उधर, छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर समेत आस–पास के इलाकों में सुबह के क़रीब 10:39 बजे भूकंप के झटके महसूस किए गए थे. बताया जा रहा है इसका केंद्र सूरजपुर के भटगांव से 11 किलोमीटर के दूरी पर है.
इससे पहले मंगलवार रात को भारत के कई राज्यों में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए थे. रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 6.6 थी. भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान का हिंदू कुश क्षेत्र था. इन झटकों के बाद लोग डर गए थे और अपने-अपने घरों से बाहर निकल गए थे. जबकि, राहत कि बात ये रही की अब तक देश से किसी भी राज्यों से जान जाने या किसी तरह के नुकसान की खबर सामने नहीं आई हैं.
भूकंप आने का कारण
भूकंप आने का कारण इनर कोर, आउटर कोर, मैनटल और क्रस्ट हो सकती है जो चार परतों से बनी हुई है. क्रस्ट और ऊपरी मैन्टल कोरको लिथोस्फेयर के नाम से जाना जाता है. अब ये 50 किलोमीटर की मोटी परत कई वर्गों में बंटी हुई है. जिन्हें टैकटोनिक प्लेट्स भी कहा जाता है. यानि धरती की ऊपरी सतह 7 टेक्टोनिक प्लेटों से मिलकर बनी है. ये प्लेटें कभी भी एक समान नहीं होती, ये लगातार हिलती रहती हैं, जब ये प्लेटें एक दूसरे की तरफ बढ़ती है तो इनमें आपस में टकराव होता है. टकराव के कारण कई बार ये प्लेटें टूट भी जाती हैं. इनके टकराने से बड़ी मात्रा में ऊर्जा निकलती है जिससे इलाके में हलचल होती है. इस टकराव को ही भूकंप कहते है. कई बार ये झटके काफी कम तीव्रता के होते हैं, इसलिए हम इसे कई बार महसूस भी नहीं कर पाती है हमें पता ही नहीं चलता की कब भूखंप आया था. परंतु कई बार इतनी ज्यादा तेज़ तीव्रता के होते हैं, कि धरती फट जाती है और हमें आसानी से महसूस कर लेते हैं कि भूकम्प ने दस्तक दी है.
भूकंप आने पर क्या करना चाहिए
भूकंप के आने पर कोशिश करें का जितना भी हो सके उतना सुरक्षित रहे राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अनुसार यदि भूकंप आने के समय आप घर पर मौजूद है तो ज़मीन के तरफ़ झुक जाएं या किसी भी मज़बूत फ़र्नीचर या मेज़ के नीचे छुप जाएँ और अपने हाथों से सिर को बचाए रखें. जब तक भूकंप की तीव्रता रुक नहीं जाती.
यदि अगर आपके घर में मेस्सी या किसी तरह का फ़र्नीचर नहीं है तो अपने चेहरे और सिर को अपने दोनों हाथ के बाज़ूओ से ही अच्छी तरह से ढक ले और घर के किसी कोने में झुक कर बैठ जाएं. ऐसी चीज़ों से दूर रहें जैसे की खिड़कियाँ, दरवाज़े, शीशे और दीवारों से. जो गिर सकती हैं और आप को नुक़सान पहुँचा सकती है उनसे दूर रहें. जब तक भूकंप के झटके न रुके और बाहर जाना सुरक्षित न होतब तक अंदर ही रहें. अभी तक हुईं रिसर्च में पता चला है कि भूकंप के दौरान सबसे ज्यादा चोटें तब लगती हैं, जब घर के अंदर मौजूद लोग दूसरी जगह पर जाने की कोशिश करते हैं. अपनी बचाव के लिए उन्हें इस बात की जानकारी नहीं होती की हैं वे ही उन्हें नुक़सान पहुँचा सकती है.
भूकंप के आने पर सबसे सुरक्षित जगह खुला मैदान माना जाता है जहाँ पर पेड़ और बिजली न हो.
इस बात का ख़ास ख्याल रखें की अगर आप भूकंप के समय घर से बाहर है तो किसी पेड़, बिल्डिंग, स्ट्रीट लाइट या फिर टेलीफ़ोन केतारों के आस–पास न हो नहीं तो आपकी जान को अधिक ख़तरा हो सकता है.
भूकंप के समय आप किसी चलते वाहन में हों तो जितनी जल्दी हो सुरक्षा के साथ गाड़ी रोकें तथा गाड़ी में रुके रहें. लेकिन गाड़ी को बिल्डिंग, पेड़, स्ट्रीट लाइट और बिजली या टेलीफोन के तारों के नीचे न रोकें.