बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल प्रमुख लालू प्रसाद यादव को झारखंड में सीबीआई की विशेष अदालत ने चारा घोटाले के पाँचवें मामले में पाँच साल की क़ैद की सज़ा सुनाई है. और 60 लाख का जुर्माना भी लगाया. वही लालू यादव के वकील का कहना है की वो हाई कोर्ट में सज़ा के ख़िलाफ़ अपील करेंगे.
झारखंड से जुड़ा चारा और पशुपालन घोटाले का यह आख़िरी और पाँचवाँ मामला था.15 फ़रवरी को कोर्ट ने लालू यादव को इस मामले में दोषी ठहराया था.
क्या है पूरा मामला ,कब क्या हुआ
2017 में सज़ा चारा और पशुपालन घोटाले के अन्य मामलों में सज़ा मिलने के बाद से लालू यादव कुल आठ महीने जेल में रहे हैं और 31 महीने हॉस्पिटल में. आठ महीने रांची स्थित होटवार के बिरसा मुंडा जेल में रहे हैं. अभी वह ज़मानत पर बाहर हैं. इंग्लिश भाषा अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया से लालू यादव के वकील प्रभात कुमार ने कहा है, ”लालू यादव 30 अगस्त, 2018 को रांची के राजेंद्र इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस यानी रिम्स में शिफ़्ट किए गए थे और 13 फ़रवरी 2021 तक रहे थे. बाद में उन्हें दिल्ली स्थित एम्स शिफ़्ट कर दिया गया था.”
लालू यादव को पिछले साल अप्रैल में एम्स से छुट्टी मिली थी और फिर उन्हें ज़मानत मिल गई. 15 फ़रवरी को चारा घोटाले के आख़िरी मामले में जब दोषी क़रार दिया गया तो उन्हें जेल प्रशासन से रिम्स में भर्ती होने की अनुमति मिल गई.
नब्बे के दशक के चर्चित करोड़ों रुपये के पशुपालन घोटाले में सीबीआई ने तब कुल 66 मामले दर्ज किए थे.इनमें से छह मामलों में बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को भी अभियुक्त बनाया गया था. बिहार विभाजन के बाद इनमें से पाँच मामले झारखंड में ट्रांसफ़र कर दिए गए थे.इन पाँच मामलों में से चार में लालू यादव पहले ही दोषी क़रार दिए जा चुके हैं. हालाँकि, इन मामलों में उन्हें ज़मानत मिल गई थी.आरसी 47-ए/96 पाँचवा और अंतिम मामला था. इसमें साल 1990-91 और 1995-96 के बीच फ़र्ज़ी बिल्स पर अवैध निकासी के आरोप हैं.पैसों की निकासी के लिहाज से भी यह सबसे बड़ी निकासी का मामला है. इसमें लालू प्रसाद यादव के ख़िलाफ़ आईपीसी की धारा 120-बी और भ्रष्टाचार निरोधक क़ानून-1998 की धाराओं 13(2) आर डब्ल्यू 13(1) (सी), (डी) के अंतर्गत आरोप तय किए गए थे.
उन पर आरोप था कि उन्होंने मुख्यमंत्री रहते हुए इस मामले में कोई एक्शन नहीं लिया. कई विधायकों और सांसदों ने क्रमशः विधान परिषद और लोकसभा में यह मामला उठाते हुए कहा था कि पशुपालन विभाग में गड़बड़ियाँ की जा रही हैं और फ़र्ज़ी बिल्स के ज़रिए अवैध निकासी करायी जा रही है.
साल 1996 में घोटाले के पर्दाफ़ाश के बाद तत्कालीन बिहार के डोरंडा थाना में 17 फ़रवरी को इसकी एफ़आइआर (नंबर 60/96) दर्ज कराई गई थी. इनमें से 55 अभियुक्तों की मौत ट्रायल के दौरान ही हो गई. आठ दूसरे अभियुक्त सीआरपीसी (दंड प्रक्रिया संहिता 1973) के प्रावधानों के मुताबिक़ सरकारी गवाह (अप्रूवर्स) बन गए. दो अभियुक्तों ने पहले ही दोष स्वीकार कर लिया था.
सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने 15 फरवरी को लालू यादव समेत अन्य आरोपियों को को 139.5 करोड़ रुपये के डोरंडा कोषागार से जुड़े चारा घोटाले में दोषी पाया था. कोर्ट ने तब सजा का ऐलान नहीं किया था. सोमवार को आज कोर्ट की कार्यवाही ऑनलाइन हुई, लालू ऑनलाइन ही इसमें शामिल हुए.
क्या है डोरंडा कोषागार मामला?
चारा घोटाले का यह सबसे बड़ा मामला साल 1990 से 1995 के बीच का है. लेकिन इसका पता साल 1996 में उस वक्त लगा था, जब कुछ सरकारी अधिकारियों ने फर्जी खर्चे की रिपोर्ट्स जमा की थीं. इसके बाद सामने आया कि डोरंडा कोषागार से करोड़ों रुपये निकाले गए और बिना वेरिफिकेशन के फर्जी खर्च की रिपोर्ट दिखाई गईं. यह घोटाला सामने आने के बाद लालू प्रसाद यादव को बिहार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा पर भी घोटाले में शामिल होने का आरोप लगा था. अदालत ने उन्हें दोषी भी करार दिया था, लेकिन बाद में सीबीआई की विशेष अदालत ने सबूतों के अभाव में उन्हें बरी कर दिया था. अदालत ने कहा था कि जगन्नाथ मिश्रा पर इस मामले में सीधे तौर पर कोई आरोप सिद्ध नहीं होता है.
डोरंडा कोषागार मामले में 99 आरोपी
डोरंडा कोषागार से जुड़े घोटाले में शुरुआत में 170 आरोपी थे. इसमें से 55 आरोपियों की मौत हो चुकी है. फिर दीपेश चांडक और आरके दास समेत सात आरोपियों को सीबीआई ने गवाह बनाया. वहीं सुशील झा और पीके जायसवाल ने कोर्ट के फैसले से पहले ही खुद को दोषी मान लिया था. वहीं मामले में छह नामजद आरोपी फरार हैं. मामले में पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव, पूर्व सांसद जगदीश शर्मा, डॉ आरके राणा, पीएसी के तत्कालीन अध्यक्ष ध्रुव भगत, तत्कालीन पशुपालन सचिव बेक जूलियस, पशुपालन विभाग के सहायक निदेशक डॉ केएम प्रसाद सहित 99 आरोपी हैं.
किस केस में लालू को हुई कितनी सजा
आजतक के सत्यजीत राय की खबर के मुताबिक RJD सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को इससे पहले चारा घोटाले से जुड़े चार अन्य मामलों में करीब 21 साल की सजा सुनाई गई थी. इनमें दुमका, देवघर और चाईबासा के दो मामले शामिल थे. चाईबासा का पहला मामला 37 करोड़ की अवैध निकासी का था, उसमें लालू को पांच साल की सजा हुई थी. देवघर कोषागार से 79 लाख की निकासी के मामले में आरजेडी मुखिया को 3.5 साल की सजा हुई थी. फिर चाईबासा के दूसरे मामले में 33.13 लाख की अवैध निकासी को लेकर उन्हें पांच साल की सजा सुनाई गई थी. इसके अलावा दुमका कोषागार से 3.13 करोड़ की निकासी के मामले में लालू प्रसाद यादव को सात साल की सजा हुई थी. इन सभी मामलों में उन्हें करीब 1 करोड़ जुर्माना भी भरना पड़ा था. फिलहाल लालू यादव जमानत पर बाहर हैं. लालू प्रसाद यादव की तबीयत फिलहाल ठीक नहीं है. तबियत ठीक न होने के चलते ही उन्हें हाईकोर्ट से राहत मिली थी.
तेजस्वी यादव ने दिया प्रतिक्रिया
अब उनके बेटे और बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने इस पर अपनी टिप्पणी में कहा है कि ऐसा लगता है कि देश में चारा घोटाले के अलावा कोई और घोटाला हुआ ही नहीं है.उन्होंने पत्रकारों के साथ बातचीत में कहा- बिहार में क़रीब 80 घोटाले हुए हैं, लेकिन सीबीआई, ईडी और एनआईए कहाँ हैं? तेजस्वी ने कहा कि इस देश में एक ही स्कैम है और एक ही नेता हैं. उन्होंने कहा- सीबीआई विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चोकसी को भूल गई.