वर्तमान में देश में सर्वाइकल कैंसर का इलाज मिल चुका है! सर्वाइकल कैंसर की जांच अब देसी किट से संभव होगी। एम्स सहित तीन अन्य सेंटरों पर देश में बनी इस किट का ट्रायल शुरू कर दिया गया है। एम्स के डायरेक्टर डॉ. एम श्रीनिवास, कैंसर सेंटर की चीफ डॉ. सुषमा भटनागर, डॉ. नीरजा भाटला की उपस्थिति में जांच किट का ट्रायल रन शुरू किया गया। इस किट की सफलता देश में सर्वाइकल कैंसर की जांच में मददगार साबित होगी। अभी महंगी किट की वजह से जांच प्रभावित होती है। इसलिए सस्ती दर पर देसी किट लाने की तैयारी है। एम्स की तरफ से दी गई जानकारी के अनुसार करीब 1,27,526 महिलाएं हर साल देश में सर्वाइकल कैंसर से पीड़ित होती हैं। इनमें से करीब 79,906 महिलाओं की मौत हो जाती है। नैशनल इंस्टिट्यूट फॉर रिसर्च इन रिप्रोडक्टिव एंड चाइल्ड हेल्थ (NIRRCH) शामिल हैं। उन्होंने कहा कि यह एक डायग्नोस्टिक किट है। अब यह देखना है कि यह कितनी कारगर है। 2030 तक महिलाओं में 70 पर्सेंट स्क्रीनिंग का टारगेट रखा गया है। वहीं लड़कियों में 90 पर्सेंट तक वैक्सीनेशन का टारगेट है।ब्रेस्ट कैंसर के बाद महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर सबसे अधिक हो रहा है। यह स्थिति तब है, जब इस कैंसर के खिलाफ वैक्सीन तक उपलब्ध है। लेकिन समय पर जांच नहीं होने की वजह से इस बीमारी का पता नहीं चल पाता है। गंभीर स्थिति में बीमारी का पता चलने पर मौत का खतरा बढ़ जाता है।
एम्स की कैंसर सेंटर की चीफ डॉ. सुषमा भटनागर ने बताया कि यह लो कॉस्ट एचपीवी टेस्ट किट है। यह ट्रायल मल्टी सेंटर हो रहा है। इनमें एम्स के अलावा नोएडा स्थित नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ कैंसर प्रिवेंशन एंड रिसर्च (NICPR) और मुंबई स्थिति आईसीएमआर का सेंटर नैशनल इंस्टिट्यूट फॉर रिसर्च इन रिप्रोडक्टिव एंड चाइल्ड हेल्थ (NIRRCH) शामिल हैं। उन्होंने कहा कि यह एक डायग्नोस्टिक किट है। अब यह देखना है कि यह कितनी कारगर है। 2030 तक महिलाओं में 70 पर्सेंट स्क्रीनिंग का टारगेट रखा गया है। वहीं लड़कियों में 90 पर्सेंट तक वैक्सीनेशन का टारगेट है।
लेडी हार्डिंग अस्पताल में अब कैंसर के इलाज के लिए आधुनिक मशीन का इस्तेमाल शुरू कर दिया गया है। वहीं हाई एनर्जी लीनियर एक्सेलरेटर (लीनेक) मशीन से ब्रेन ट्यूमर के इलाज में फायदा होगा। यहां आम गरीब मरीजों का कैंसर का इलाज आधुनिक मशीन की मदद से मुफ्त में की जाएगी। प्राइवेट में इन मशीनों के जरिए थेरेपी लेना काफी महंगा पड़ता है।अस्पताल में 25 साल पहले बने रेडिएशन आंकोलॉजी डिपार्टमेंट में अब जाकर रेडियोथेरेपी की सुविधा शुरू की गई है। 13 करोड़ की लागत से रेडिएशन एंड आंकोलॉजी ब्लॉक में हाई डोज ब्रेकीथेरेपी और सिटी सिम्युलेटर इंस्टॉल किया गया है। वहीं, ब्रेन ट्यूमर जैसे कैंसर के इलाज के लिए 22 करोड़ की लागत से लीनेक मशीन मंगाई जा रही है।
अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर डॉक्टर सुभाष गिरी ने बताया कि अस्पताल में रेडिएशन एंड आंकोलॉजी डिपार्टमेंट तो 25 साल पहले बनी थी, लेकिन यहां पर इलाज की आधुनिक सुविधाओं का अभाव था। लगभग पांच साल पहले रेडिएशन एंड आंकोलॉजी ब्लॉक बनाई गई। 5 मंजिले इस भवन में अब कैंसर के इलाज के लिए सुविधाओं का विस्तार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अब इस ब्लॉक में कैंसर के इलाज को बेहतर किया जा रहा है। यहां मैन पावर की कमी नहीं है। जानकारी के अनुसार करीब 1,27,526 महिलाएं हर साल देश में सर्वाइकल कैंसर से पीड़ित होती हैं। इनमें से करीब 79,906 महिलाओं की मौत हो जाती है। ब्रेस्ट कैंसर के बाद महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर सबसे अधिक हो रहा है। आंकोलॉजी ब्लॉक में हाई डोज ब्रेकीथेरेपी और सिटी सिम्युलेटर इंस्टॉल किया गया है। वहीं, ब्रेन ट्यूमर जैसे कैंसर के इलाज के लिए 22 करोड़ की लागत से लीनेक मशीन मंगाई जा रही है।यह स्थिति तब है, जब इस कैंसर के खिलाफ वैक्सीन तक उपलब्ध है। लेकिन समय पर जांच नहीं होने की वजह से इस बीमारी का पता नहीं चल पाता है।
गंभीर स्थिति में बीमारी का पता चलने पर मौत का खतरा बढ़ जाता है।डॉक्टर ने कहा कि रेडियोथेरेपी के शुरू होने से यूट्रस कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर के इलाज में फायदा होगा। वहीं हाई एनर्जी लीनियर एक्सेलरेटर (लीनेक) मशीन से ब्रेन ट्यूमर के इलाज में फायदा होगा। यहां आम गरीब मरीजों का कैंसर का इलाज आधुनिक मशीन की मदद से मुफ्त में की जाएगी। प्राइवेट में इन मशीनों के जरिए थेरेपी लेना काफी महंगा पड़ता है।