Tuesday, April 30, 2024
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आखिर देश के पहले आम चुनाव में कितनी थी बैलट बॉक्स? जानिए पूरी कहानी!

एक समय ऐसा था जब बैलेट बॉक्स की कीमत ₹4 हुआ करती थी,आज हम आपको आजाद भारत में हुए पहले आम चुनाव में बैलेट बॉक्स और उसके संदर्भ में बनाई गई कहानी के बारे में जानकारी देने वाले हैं! आपको बता दे कि देश में जब पहले लोकसभा चुनाव की तैयारी चल रही थी, तब यह मसला उठा कि बैलट बॉक्स का इंतजाम कैसे होगा। यह भी कि ये बॉक्स किस साइज के रखे जाएं। इलेक्शन कमिशन की चिंता यह थी कि बैलट बॉक्स ऐसा होना चाहिए, जिसमें कोई छेड़छाड़ न की जा सके। उसे देखकर वोटरों को चुनाव प्रक्रिया पर भरोसा जगे। साथ ही बैलट बॉक्स इस्तेमाल करने में सहूलियत हो। 2 लाख से अधिक पोलिंग बूथों के लिए करीब 20 लाख बैलट बॉक्स की जरूरत थी। लिहाजा ये बहुत महंगे न हों, इसका भी ध्यान रखना था। इसी के साथ इलेक्शन कमिशन ने तय किया कि सभी बैलट बॉक्स उसकी ओर से तय नाप-जोख के हिसाब से स्टील के बनाए जाएंगे। बॉक्स ऐसे बनें, जिनमें अलग से ताले लगाने की जरूरत न हो। हर बॉक्स 8 इंच ऊंचा, 9 इंच लंबा और 7 इंच चौड़ा होना था। बॉक्स 20 गेज वाले स्टील से बनाए जाने थे। यही नहीं बता दे कि बॉक्स बनाने में स्टील की जरूरत को देखते हुए निर्वाचन आयोग ने इंडस्ट्री एंड सप्लाई मिनिस्ट्री से अनुरोध किया था कि उन इकाइयों को स्टील मुहैया कराया जाए, जिन्हें राज्य सरकारों ने बैलेट बॉक्स बनाने का ऑर्डर दिया है। ये बॉक्स बनाने में 8 हजार 165 टन स्टील लगा था। विधानसभाओं और लोकसभा के चुनाव एकसाथ हो रहे थे, लिहाजा अलग-अलग रंगों के बॉक्स रखे गए। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि उस समय देश में साक्षरता बहुत कम थी। मतदाताओं को रंग पहचानने में कोई दिक्कत न हो, इसलिए बैलेट बॉक्स पर संबंधित रंग का बैकग्राउंड सफेद रखा गया था। 

डिजाइन ऐसी रखी गई कि बॉक्स का कोई भी हिस्सा बाहर की ओर न निकला हो। चुनाव आयोग ने तय किया कि लोकसभा चुनाव में बैलेट बॉक्स ऑलिव ग्रीन, मीडो ग्रीन, पेल ग्रीन और ब्रुंसविक ग्रीन कलर के होंगे। विधानसभा चुनावों के लिए चॉकलेट, महोगनी, टीक, डार्क टैन और ब्रॉन्ज कलर चुने गए। इस बात का फैसला राज्यों पर छोड़ दिया गया कि वे अपने यहां किन रंगों के बैलेट बॉक्स का उपयोग करेंगे। राज्यों को सुझाव दिया गया था कि वे अपनी जरूरत के सारे बैलेट बाॉक्स किसी एक ही फर्म से तैयार कराएं ताकि उनकी डिजाइन एक जैसी रहे। आयोग का यह निर्देश इस मायने में मददगार रहा कि एक राज्य के सभी मतदानकर्मियों को इन बैलेट बॉक्स के जरिए ट्रेनिंग देने में भी आसानी हुई।

इससे बक्सों को एक-दूसरे के साथ पैक करने में आसानी होती थी! बता दे कि बॉक्स बनाने के लिए कई कंपनियों से डिजाइन और प्राइस कोट मंगाए गए। बता दें कि पहले आम चुनाव में करीब 20 लाख बैलेट बॉक्स का इस्तेमाल किया गया था। मद्रास सहित कुछ इलाकों में लकड़ी के बॉक्स भी इस्तेमाल में लाए गए, लेकिन ज्यादातर राज्यों में चुनाव आयोग के निर्देश के अनुसार स्टील के बॉक्स ही मतदान केंद्रों में रखे गए थे। वोटर्स की सुविधा के लिए अलग-अलग रंगों के बॉक्स का इस्तेमाल किया गया क्योंकि लोकसभा के साथ कुछ विधानसभाओं के भी चुनाव कराए गए थे। इन कम्पनियों में मेसर्स गोदरेज एंड बॉएस ने प्रति बॉक्स 5 रुपये, हैदराबाद ऑलविन मेटल्स लिमिटेड ने 4 रुपये 15 आना, बंगो स्टील फर्नीचर लिमिटेड कलकत्ता ने 4 रुपये 6 आना और ओरिएंटल मेटल प्रेसिंग वर्क्स बॉम्बे ने 4 रुपये 15 आना का प्राइस कोट किया था। 

इनके अलावा उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से कई कंपनियों ने प्राइस कोट किए थे। यही नहीं गोदरेज कंपनी के एक अधिकारी के मुताबिक, कंपनी की अन्य वस्तुओं के निर्माण पर इसका कोई असर नहीं पड़ा था. इसका मतलब था मजदूरों ने बैलेट बॉक्स तैयार करने के लिए अतिरिक्त घंटों में काम किया था. कंपनी के पास ओरिजिनल ऑर्डर 12.24 लाख बैलेट बॉक्स का आया था, लेकिन फैक्ट्री में 12.83 लाख बैलेट बॉक्स तैयार कर लिए थे. अधिकारी के मुताबिक, अन्य कंपनियों को भी इसी काम के लिए ऑर्डर दिए गए थे, लेकिन जब वे पूरा नहीं कर सके तो वे ऑर्डर भी गोदरेज को मिल गए. उनमें इंपीरियल सर्जिकल कंपनी लखनऊ, गणेशदास रामगोपाल एंड संस लखनऊ, पीपल आयरन एंड स्टील इंडस्ट्रीज कानपुर और दिल्ली आयरन एंड स्टील कंपनी गाजियाबाद जैसी इकाइयां शामिल थीं। राज्यों को यह छूट दी गई थी कि इलेक्शन कमिशन की ओर से तय डिजाइन के अनुसार वे किसी भी यूनिट से बैलट बॉक्स बनवा सकते हैं। इसी दौरान पहले आम चुनाव में बैलट बॉक्स तैयार करने पर कुल 1 करोड़ 22 लाख 87 हजार 349 रुपये खर्च हुए थे।

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