वर्तमान में मोसाद खुफिया एजेंटीयों का मालिक बन चुका है! दुनिया की सबसे खतरनाक और बेरहम मानी जाने वाली इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद की पेजर ब्लास्ट टेक्नीक पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बनी हुई है। कहा जा रहा है कि यह तकनीक मोसाद के Operation Wrath of God यानी ईश्वर का कोप ऑपरेशन का हिस्सा है, जिसका इस्तेमाल तब किया गया था, जब 1972 में जर्मनी में म्यूनिख ओलंपिक चल रहे थे। उस वक्त 11 इजरायली एथलीट मारे गए थे। इसके बाद अगले 20 साल तक मोसाद ने अपने खिलाड़ियों के हत्यारों को पूरी दुनिया में खोज-खोजकर मारा। लेखक साइमन रीव की किताब ‘वन डे इन सेप्टेम्बर’ में लिखा है कि इजरायल ने म्यूनिख में मारे गए अपने खिलाड़ियों की मौत का बदला लेने के लिए अपनी खूंखार सीक्रेट एजेंसी मोसाद को इस काम में लगाया, जिसने उन्हें खोज निकालने के लिए दिन-रात एक कर दिया और उन्हें मार डाला। जॉनी…हम तुम्हें मारेंगे और जरूर मारेंगे, पर बंदूक भी हमारी होगी और गोली भी हमारी होगी और वह वक्त भी हमारा होगा…फिल्म सौदागर में अभिनेता राजकुमार का ये डायलॉग सबको याद तो जरूर होगा। इसकी याद एक बार फिर आई, जब मोसाद ने हिज्बुल्लाह पर पेजर ब्लास्ट कर सनसनी मचा दी। अब पेजर ब्लास्ट तकनीक से इजरायल ने हिज्बुल्लाह पर यह हमला किया है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा खुफिया विश्लेषक डेविड कैनेडी के अनुसार, इजरायल ने 1996 में हमास नेता याहया अयाश की हत्या के लिए उसके फोन में 15 ग्राम आरडीएक्स विस्फोटक प्लांट कर दिया था। इस डिवाइस में उस समय विस्फोट हुआ, जब याहया ने अपने पिता को फोन किया। कहा जा रहा है कि कई महीने पहले लेबनानी आतंकी ग्रुप हिजबुल्लाह ने ताइवान में बने 5000 पेजर के ऑर्डर दिए थे। डिलीवरी से पहले ही मोसाद ने पेजर के अंदर छेड़छाड़ करके उसमें 3 ग्राम से लेकर 15 ग्राम तक विस्फोटक प्लांट कर दिए थे।
कहा जा रहा है कि मोसाद को अपने ऑपरेशन को अंजाम देने में कई महीने लगे होंगे, क्योंकि हिजबुल्लाह ने महीनों पहले अपने लड़ाकों के लिए ये ऑर्डर ताइवान की गोल्ड अपोलो कंपनी को 5,000 पेजर बनाने का ऑर्डर दिया था। हाल ही में अपने लड़ाकों को देने के लिए ये पेजर ताइवान से मंगाए गए थे, जो उनकी जेबों और थैलों में फट पड़े। हालांकि, कंपनी ने इन पेजर्स का अपना होने से इनकार किया है।
कहा जा रहा है कि मोसाद ने इन पेजर को लेबनान भेजे जाने से पहले ही उसे हैक कर लिया था। हिजबुल्लाह ने यह सोचा था कि वह उसके लड़ाके लोकेशन ट्रैकिंग से बचने के लिए पेजर का इस्तेमाल करेंगे तो उसे स्मार्टफोन की तरह हैक नहीं किया जा सकेगा। मगर, लेबनानी सूत्रों ने दावा किया कि पेजर को इजरायली खुफिया एजेंसी कंट्रोल कर रही थी। उसने इजरायल से इसका बदला लेने का ऐलान किया है।
बताया जा रहा है कि महीनों पहले मोसाद ने पेजर डिवाइस के अंदर एक विस्फोटक बोर्ड इंजेक्ट किया था। इसमें 3 ग्राम से लेकर 15 ग्राम तक विस्फोटक लगाए गए थे। इसमें लिथियम ऑयन बैटरी के साथ एक छोटा विस्फोटक छिपाया गया, जिसे बस एक मैसेज के जरिये विस्फोट कराया गया। हिजबुल्लाह ने यह समझा कि शायद बैटरी गर्म होने की वजह से फट गई, मगर बाद में माना कि यह इजरायली बम विस्फोट थे।
हाल ही में इजरायल के नंबर वन दुश्मन हमास के चीफ इस्माइल हानिया की ईरान की राजधानी तेहरान में हत्या के बाद से मोसाद काफी चर्चा में रहा था। तब यह बताया गया था कि तेहरान से 1500 किलोमीटर दूर इजरायल के किसी अनजान ठिकाने से मोसाद ने आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) की मदद से हानिया की हत्या को अंजाम दिया। उस दौरान सैटेलाइट इमेज की भी मदद ली गई थी।
अमेरिकी लेखक मार्क इ वार्गो की किताब ‘द मोसाद: सिक्स लैंडमार्क मिशंस’ के अनुसार, मोसाद को इंस्टीट्यूट फॉर इंटेलीजेंस एंड स्पेशल ऑपरेशंस के नाम से भी जाना जाता है। इसका मकसद है ‘खुफिया जानकारी जुटाओ, मिशन को अंजाम दो और आतंकवाद को नेस्तनाबूद कर दो। इजरायल के बनने के कुछ समय बाद ही मोसाद का गठन हुआ, जिसका तेल अवीव में मुख्यालय है। 13 दिसंबर, 1949 को जब इसका गठन हुआ तो इसे सेंट्रल इंस्टीट्यूट फॉर कोऑर्डिनेशन के नाम से जाना गया। इजरायल में तीन प्रमुख एजेंसियां हैं – अमन, मोसाद और शिन बेट। अमन जहां सैन्य खुफिया जानकारी मुहैया कराती है। वहीं मोसाद विदेशी जासूसी मामलों को संभालती है और शिन बेट घरेलू सुरक्षा का ख्याल रखती है।
जनवरी, 2010 की बात है, जब ईरान के परमाणु कार्यक्रम के एक सलाहकार की दिनदहाड़े हत्या कर दी गई। उनकी कार के पास खड़ी मोटरसाइकिल में छिपाकर बम रखे गए थे। उस वक्त भी मोसाद के इसमें हाथ होने के आरोप लगे थे। 2011 में ईरान के एक परमाणु परियोजना प्रमुख अपनी कार में कहीं जा रहे थे और तभी उनकी बगल चल रहे एक मोटरसाइकिल चालक ने कार की पिछली विंडशील्ड पर एक छोटी सी डिवाइस चिपका दी। चंद सेकंड बाद ही उस डिवाइस से हुए विस्फोट में 45 वर्षीय न्यूक्लियर वैज्ञानिक के चिथड़े उड़ गए। मोसाद पर 5 ईरानी वैज्ञानिकों की हत्या के आरोप लग चुके हैं।
मोसाद पर यह भी आरोप लगे हैं कि वह ईरान पर 8 बड़े साइबर हमलों में शामिल था। सबसे बड़ा साइबर हमला 2010 का माना जाता है, जब यह कहा गया कि इजरायली एजेंसी ने स्टक्सनेट वायरस का पहली बार ईरानी परमाणु संयंत्र के कंप्यूटरों में प्रवेश करा दिया। नतीजतन ईरान के 9000 सेंट्रीफ्यूज में से 1000 से ज्यादा बर्बाद हो गए।